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नवाडीह आरसी चर्च में आस्था और उत्साह के साथ मनाया गया नवाखानी पर्व

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#डुमरी #नवाखानी_पर्व : आरसी चर्च नवाडीह में रविवार को सामूहिक मिस्सा पूजा और प्रार्थना के साथ नवाखानी पर्व धूमधाम से संपन्न
  • आरसी चर्च नवाडीह में रविवार को नवाखानी पर्व का आयोजन हुआ।
  • कार्यक्रम की अगुवाई फादर ब्यातुष किंडो ने की, सहयोग में फादर पिंगल कुजूर और फादर देवनीश एक्का मौजूद रहे।
  • मिस्सा पूजा के दौरान नए धान का पहला अंश ईश्वर और पूर्वजों को समर्पित किया गया।
  • पर्व में कोरल दल ने धार्मिक गीत और भजन प्रस्तुत किए।
  • आयोजन में सिस्टर वेरनासिया, सिस्टर फ्लोरा, सचिन एक्का, रंजीत कुजूर, लीविन टोप्पो, प्रदीप मिंज, विकास लकड़ा समेत सैकड़ों श्रद्धालु शामिल हुए।

डुमरी प्रखंड के नवाडीह आरसी चर्च में रविवार को नवाखानी पर्व बड़े पारंपरिक उत्साह और आस्था के साथ मनाया गया। इस अवसर पर विशेष मिस्सा पूजा का आयोजन किया गया, जिसकी अगुवाई मुख्यानुष्ठाता फादर ब्यातुष किंडो ने की। उनके साथ सहयोगी फादर पिंगल कुजूर और फादर देवनीश एक्का भी मौजूद रहे।

फादर ब्यातुष किंडो ने अपने संदेश में कहा कि नवाखानी पर्व ईश्वर की कृपा और किसानों के परिश्रम का परिणाम है। उन्होंने कहा कि अन्न सिर्फ जीने का साधन नहीं बल्कि प्रकृति और प्रभु की कृपा का जीवंत रूप है। इसी कारण गांववाले अपने खेतों से प्राप्त नए धान का पहला अंश ईश्वर और पूर्वजों को अर्पित करते हैं। यह पर्व लोगों को धरती, सूर्य, जल और प्रकृति के प्रति आभार जताने का अवसर देता है।

सामूहिक पूजा और एकजुटता का संदेश

पूरे आयोजन के दौरान श्रद्धालुओं ने सामूहिक प्रार्थना कर गांव और समाज की सुख-समृद्धि की कामना की। यह पर्व समाज को एकजुटता और भाईचारे का संदेश देता है और सभी को प्रकृति से जुड़ाव का महत्व समझाता है।

सांस्कृतिक और धार्मिक प्रस्तुति

ब्रदर समीर एक्का की अगुवाई में कोरल दल ने धार्मिक गीत और भजन प्रस्तुत कर माहौल को भक्ति और उत्साह से भर दिया। मौके पर सिस्टर वेरनासिया, सिस्टर फ्लोरा, सचिन एक्का, रंजीत कुजूर, लीविन टोप्पो, प्रदीप मिंज, विकास लकड़ा समेत सैकड़ों धर्मावलंबी शामिल हुए और पर्व की गरिमा को बढ़ाया।

न्यूज़ देखो: नवाखानी पर्व से मिली प्रकृति और समाज को जोड़ने की प्रेरणा

यह पर्व दिखाता है कि किस तरह से आस्था, परंपरा और मेहनत का संगम जीवन को संतुलन और समृद्धि देता है। नवाखानी सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि समाज को प्रकृति के प्रति आभार और सामूहिकता का पाठ पढ़ाता है।

हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

परंपरा से प्रेरणा लें

नवाखानी पर्व हमें सिखाता है कि जीवन और समाज तभी समृद्ध हो सकते हैं जब हम मेहनत, आस्था और भाईचारे को साथ लेकर चलें। हमें भी चाहिए कि अपनी परंपराओं को संजोएं और प्रकृति का सम्मान करें। अपनी राय कमेंट करें और इस खबर को दोस्तों के साथ साझा करें ताकि यह सकारात्मक संदेश और आगे तक पहुंचे।

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Aditya Kumar

डुमरी, गुमला

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