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लंगर कोट गांव में नवरात्रि का समापन: हवन व कन्या पूजन के साथ हुआ भक्ति और संदेश से भरा आयोजन

#हुसैनाबाद #नवरात्रि_समापन : लंगर कोट गांव में भक्ति, आस्था और नारी सम्मान का संदेश देते हुए नवरात्र पर्व का समापन हुआ।

लंगर कोट गांव में श्रद्धा और भक्ति के साथ नवरात्रि का समापन हुआ। पूरे नौ दिनों तक चली पूजा-अर्चना और दुर्गा उपासना के बाद शुक्रवार को हवन और कन्या पूजन के साथ यह पर्व संपन्न हुआ। इस दौरान धार्मिक वातावरण और सामूहिक उत्साह ने पूरे गांव को आध्यात्मिक रंगों से भर दिया।

मां दुर्गा की उपासना और नारी सम्मान का संदेश

आचार्य रामाकांत तिवारी ने कहा कि नवरात्रि पर्व केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि नारी के सम्मान और शक्ति की पहचान का उत्सव है। उन्होंने कहा कि सनातन संस्कृति में नारी को देवी स्वरूपा माना गया है और नवरात्रि के नौ दिनों तक शक्ति के विभिन्न रूपों की आराधना इसी भावना का प्रतीक है।

आचार्य रामाकांत तिवारी ने कहा: “मां दुर्गा की उपासना करने से घर-परिवार और समाज में सुख-शांति और समृद्धि आती है। यह पर्व हमें नारी के प्रति सम्मान और करुणा की भावना को जागृत करने का संदेश देता है।”

उन्होंने कहा कि आज भी समाज में पुत्र की चाह में कन्या भ्रूण हत्या जैसी कुप्रथाएं जारी हैं, जो नवरात्रि की भावना के बिल्कुल विपरीत हैं।
उन्होंने उपस्थित लोगों से आग्रह किया कि कन्या पूजन के समय दो संकल्प अवश्य लें — पहला, गर्भ के भीतर किसी नव दुर्गा की हत्या नहीं करेंगे और न करने देंगे, दूसरा, जीवन के किसी भी संबंध में स्त्री के प्रति सदैव सम्मान की दृष्टि रखेंगे

श्रद्धा और भक्ति से भरा आयोजन

दुर्गा पूजा समिति की ओर से आयोजित कार्यक्रम में सुबह से ही भक्तों का आना-जाना लगा रहा। हवन के बाद कन्याओं का पूजन, भंडारा वितरण और आरती के साथ पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया। आयोजन में सुदेश्वर प्रसाद गुप्ता, दिनेश्वर चौधरी, प्रमोद कुमार चौधरी, गोपाल चौधरी, मुद्रिका शर्मा, मनोज कुमार चौधरी, बृज बिहारी सिंह, रामवृक्ष सिंह, सोनू कुमार चौधरी, सुनिता देवी, सविता देवी, ममता देवी, कौशल्या देवी, मनोरमा देवी, शकुंतला देवी, पार्वती देवी, सरस्वती देवी, अरुण कुमार सिंह, अरविंद कुमार शर्मा, राहुल कुमार ठाकुर, पवन कुमार पटेल, सुरज कुमार पासवान समेत बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद थे।

संस्कृति और सामाजिक चेतना का प्रतीक

आचार्य तिवारी ने कहा कि नवरात्रि केवल देवी आराधना का नहीं बल्कि आंतरिक शक्ति, संयम और करुणा का भी प्रतीक है। उन्होंने कहा कि जब तक समाज में नारी के प्रति सच्चा सम्मान नहीं होगा, तब तक किसी भी पूजा का उद्देश्य अधूरा रहेगा। उन्होंने बेटियों की सुरक्षा और शिक्षा को देवी आराधना का वास्तविक रूप बताया।

न्यूज़ देखो: नवरात्रि में जागी नारी सम्मान की चेतना

लंगर कोट गांव का यह आयोजन केवल धार्मिक नहीं बल्कि सामाजिक चेतना का संदेश देने वाला भी रहा। आचार्य के विचारों ने समाज में नारी के प्रति दृष्टिकोण पर गहरी छाप छोड़ी। आज जब कन्या भ्रूण हत्या और असमानता जैसे मुद्दे अब भी मौजूद हैं, ऐसे आयोजन समाज को आत्ममंथन का अवसर देते हैं।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

आस्था और आदर से बने समाज की नींव

नवरात्रि जैसे पर्व हमें नारी शक्ति के सम्मान और समाज में संतुलन बनाए रखने का संदेश देते हैं। अब समय है कि हम इन पर्वों की भावना को जीवन में उतारें — बेटियों की रक्षा करें, महिलाओं का आदर करें और शक्ति की आराधना कर्म के रूप में करें। अपनी राय कमेंट करें, इस खबर को दोस्तों तक पहुंचाएं और जागरूकता फैलाएं ताकि समाज में नारी सम्मान की भावना और प्रबल हो।

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