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पांच लाख का इनामी नक्सली अब बना शांति का दूत: लवलेश गंझू की आत्मसमर्पण कथा

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#लातेहार #नक्सल_समर्पण : माओवादी से समाज सुधारक बनने की दास्तान — पत्रकारों से साझा किया संघर्ष और पश्चाताप
  • 50 से अधिक संगीन मामलों में वांछित और पांच लाख इनामी था लवलेश गंझू
  • पत्रकारों से साझा की बचपन से लेकर नक्सल संगठन से जुड़ाव की दर्दनाक कहानी
  • माता-पिता के न होने के कारण भटका, फिर माओवादियों की छांव में पड़ा
  • टीपीसी की प्रताड़ना से उबरकर जेजेएमपी में शामिल हुआ, लिया बदले का रास्ता
  • अब परिवार संग शांति से जीवन जीने की बात कही, साथियों से भी की मुख्यधारा में लौटने की अपील

पत्रकारों के सामने लवलेश गंझू ने खोला अपना जीवनपथ

लातेहार (16 जुलाई): मंगलवार को आत्मसमर्पण के बाद जेजेएमपी के सब जोनल कमांडर और पांच लाख के इनामी नक्सली लवलेश गंझू ने पहली बार मीडिया के सामने अपने जीवन की असली कहानी रखी। 50 से अधिक आपराधिक मामलों में वांछित लवलेश ने बताया कि कैसे वह बचपन में माओवादियों की ओर आकर्षित हुआ, कैसे उसे टीपीसी (तृतीय प्रस्तुति कमेटी) के हाथों मार डालने की कोशिश की गई, और कैसे उसने नक्सलवाद की राह पकड़ ली

लवलेश गंझू ने कहा: “जब मैं 12-13 साल का था, हमारे गांव में माओवादी आते थे। हम उन्हें खाना खिलाते थे। मुझे पता नहीं था कि नक्सली क्या होते हैं। मेरे माता-पिता नहीं थे। कोई सही रास्ता दिखाने वाला नहीं था, इसी कारण मैं उनके साथ जुड़ गया।”

टीपीसी से संघर्ष ने बनाया नक्सली

लवलेश ने बताया कि जब टीपीसी के उग्रवादियों ने गांव में आकर उसे लाठी-डंडे से बुरी तरह पीटा, तो वह किसी तरह बचकर लातेहार भाग आया। वहां से उसने बदला लेने की ठान ली। फिर उसका संपर्क जेजेएमपी सुप्रीमो पप्पू लोहरा से हुआ और उसने संगठन में शामिल होकर उन लोगों से बदला लिया जिन्होंने उसे मारने की कोशिश की थी।

“मैं भी उन्हीं के रास्ते पर चल पड़ा। नफरत और प्रतिशोध ही मेरी पहचान बन गई।”

आत्मसमर्पण से मिला सुकून

मंगलवार को आत्मसमर्पण के बाद पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने लवलेश को फूलों का गुलदस्ता और प्रतीकात्मक चेक सौंपकर सम्मानित किया। अब लवलेश शांति का जीवन जीना चाहता है

“अब मैं सुकून की जिंदगी जीना चाहता हूं। जेल से निकलने के बाद ईमानदारी से काम करूंगा।”

साथियों से की भावनात्मक अपील

लवलेश ने अपने पुराने साथियों से भी अपील की कि वे भी हथियार छोड़ें और अपने परिवार के साथ शांति से जीवन यापन करें।

“हिंसा किसी समस्या का हल नहीं। साथियों से कहूंगा कि वे भी मुख्यधारा से जुड़ें।”

न्यूज़ देखो: पश्चाताप से बदलाव की राह

न्यूज़ देखो मानता है कि लवलेश गंझू का आत्मसमर्पण केवल एक कानूनी प्रक्रिया नहीं, बल्कि वो सामाजिक बदलाव की मिसाल है जो बताती है कि हर भटका हुआ इंसान सही रास्ते पर लौट सकता है। झारखंड की मिट्टी ने न केवल उग्रवाद को देखा है, बल्कि पश्चाताप और परिवर्तन की कहानियां भी गढ़ी हैं।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

जीवन में शांति और सही राह जरूरी

हिंसा का रास्ता कभी भी स्थायी समाधान नहीं हो सकता। अगर आप या आपके जानने वाले किसी गलत रास्ते पर हैं, तो आज से बदलाव की शुरुआत करें। इस खबर को शेयर करें, टिप्पणी करें, और उन तक पहुंचाएं, जिनके लिए यह प्रेरणा बन सकती है।
शांति, परिवार और भविष्य — यही है असली जीत।

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