
#गढ़वा #सामाजिक_सहायता : लीवर इंफेक्शन से पीड़ित इंग्लेश प्रसाद को गढ़वा जिला कमेटी ने व्हीलचेयर उपलब्ध कराकर राहत दी — समाज के सहयोग से मिला सहारा
- मोरबे निवासी इंग्लेश प्रसाद लीवर इन्फेक्शन के बाद बिस्तर पर थे
- 1 जून को जिला कमेटी से मुलाकात में जताई थी व्हीलचेयर की जरूरत
- गढ़वा जिला अध्यक्ष मनीष कमलापुरी की पहल पर भेंट की गई व्हीलचेयर
- सामाजिक एकता से मरीज को मिला सहारा, कार्यक्रम में कई सदस्य उपस्थित
- सहायता पाकर मरीज और परिवार ने जताया आभार
जब दर्द सुना समाज ने, मदद पहुंची घर तक
गढ़वा ज़िला: ग्राम मोरबे निवासी इंग्लेश प्रसाद, जो हाल ही में दिल्ली से लीवर इन्फेक्शन का इलाज कराकर लौटे हैं, लंबे समय से चलने-फिरने में असमर्थ थे। बिस्तर पर पड़े इंग्लेश ने अपने दर्द को समाज के सामने रखा — उन्हें व्हीलचेयर की सख्त ज़रूरत थी।
1 जून को गढ़वा जिला कमेटी के पदाधिकारियों की एक टीम जब उनसे मिलने पहुंची, तो इंग्लेश ने कहा कि अगर व्हीलचेयर मिल जाए, तो कुछ राहत मिल सकती है। दर्द की इस पुकार को जिला कमेटी ने गंभीरता से लिया, और अब उसी वादे को निभाते हुए उन्हें व्हीलचेयर सौंपी गई।
जिला कमेटी की पहल बनी सहारा
इस मानवीय प्रयास की अगुवाई की गढ़वा जिला कमेटी के अध्यक्ष मनीष कमलापुरी ने। उनके नेतृत्व में सामाजिक संगठन ने यह सुनिश्चित किया कि मरीज की जरूरत अनदेखी न रहे। इंग्लेश प्रसाद को यह व्हीलचेयर ससम्मान भेंट की गई, जिससे अब वे दैनिक जीवन के कुछ कार्यों में स्वतंत्र हो सकेंगे।
इस मौके पर रामाशंकर प्रसाद, रामकुमार गुप्ता, नीतीश कमलापुरी, धनंजय कमलापुरी, सुरेंद्र कमलापुरी, भरत कमलापुरी, आनंद कमलापुरी, दीनानाथ कमलापुरी और वीरेंद्र कमलापुरी सहित कई समाजसेवी उपस्थित रहे।
मदद का असर, मरीज और परिवार ने जताया आभार
व्हीलचेयर मिलने के बाद इंग्लेश प्रसाद और उनके परिजनों ने गढ़वा जिला कमेटी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यह मदद उनके लिए केवल एक व्हीलचेयर नहीं, बल्कि आज़ादी और आत्मसम्मान की वापसी है।
परिजनों ने बताया कि इलाज के बाद दिल्ली से लौटने के बाद वे आर्थिक रूप से परेशान थे। ऐसे में समाज का यह सहयोग उनके लिए उम्मीद की नई किरण बना है।
न्यूज़ देखो: जब समाज साथ चले, कोई अकेला नहीं रहता
गढ़वा की यह कहानी बताती है कि जब कोई ज़रूरतमंद आवाज़ उठाता है और समाज उसे सुनता है, तो बदलाव संभव है। यह सिर्फ एक व्हीलचेयर नहीं, बल्कि सहयोग और संवेदना की मिसाल है। ‘न्यूज़ देखो’ ऐसे सामाजिक प्रयासों को सामने लाता रहेगा, ताकि संवेदनशीलता की यह श्रृंखला मजबूत होती रहे।
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आप भी बन सकते हैं किसी की उम्मीद
एक छोटी मदद किसी की जिंदगी में बड़ा बदलाव ला सकती है। समाज की बेहतरी के लिए एकजुट होकर ऐसे ही प्रयास ज़रूरी हैं। आप क्या सोचते हैं इस पहल के बारे में? कमेंट में बताएं, लेख को रेट करें और जरूरतमंदों की मदद की प्रेरणा फैलाने के लिए इसे शेयर करें।