
#चैनपुर #स्वास्थ्य_व्यवस्था : कर्मियों की अनुपस्थिति से सरकारी सेवाएं ठप, गरीब ग्रामीण सबसे ज्यादा प्रभावित
- चैनपुर CHC में जरूरी सेवाएं बंद।
- जन्म प्रमाण पत्र काउंटर रहा बंद।
- आयुष्मान भारत कार्ड से जुड़े कर्मी नदारद।
- दूरदराज़ से आए ग्रामीण परेशान।
- चिकित्सा प्रभारी को कर्मियों की जानकारी नहीं।
चैनपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र एक बार फिर लापरवाही और अव्यवस्था को लेकर चर्चा में है। शनिवार को स्वास्थ्य केंद्र की स्थिति ऐसी रही कि डॉक्टरों की मौजूदगी के बावजूद जरूरी प्रशासनिक सेवाएं पूरी तरह ठप रहीं। जन्म प्रमाण पत्र निर्माण और आयुष्मान भारत कार्ड से जुड़े कर्मियों की अनुपस्थिति के कारण दूर-दराज़ से आए ग्रामीणों को बिना काम कराए ही लौटना पड़ा। इससे सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था की जमीनी हकीकत एक बार फिर उजागर हो गई।
ग्रामीणों का कहना है कि सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए वे समय और पैसा खर्च कर स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे थे, लेकिन उन्हें निराशा के सिवा कुछ नहीं मिला। खासकर गरीब और जरूरतमंद परिवारों के लिए यह स्थिति और भी कष्टदायक रही।
सुबह से इंतजार, लेकिन काउंटर रहे बंद
ग्रामीणों ने बताया कि वे सुबह से ही चैनपुर CHC परिसर में मौजूद थे। जन्म प्रमाण पत्र और आयुष्मान कार्ड से संबंधित काउंटर खुले होने की उम्मीद में लोग घंटों इंतजार करते रहे, लेकिन दोनों ही काउंटर पूरे दिन बंद रहे। न कोई कर्मचारी आया और न ही किसी ने यह बताया कि सेवाएं कब शुरू होंगी।
कुछ ग्रामीणों का कहना था कि उन्हें बच्चों के स्कूल नामांकन और सरकारी योजनाओं के लिए जन्म प्रमाण पत्र की सख्त जरूरत थी, जबकि कई लोग आयुष्मान कार्ड बनवाने या उसमें सुधार कराने पहुंचे थे। लेकिन कर्मचारियों की गैरहाजिरी ने उनकी परेशानी और बढ़ा दी।
गरीब और जरूरतमंद परिवार सबसे ज्यादा प्रभावित
ग्रामीणों ने बताया कि वे रोज़ कमाने-खाने वाले लोग हैं। एक दिन का काम छोड़कर सरकारी कार्यालय आना उनके लिए आसान नहीं होता। ऐसे में बिना काम हुए लौटना उनके लिए दोहरी मार साबित हुआ। कई लोगों ने कहा कि अगर कर्मचारियों की अनुपस्थिति की पहले से जानकारी होती, तो वे बेवजह समय और पैसे खर्च कर यहां नहीं आते।
चिकित्सा प्रभारी का बयान बना सवालों का कारण
जब इस पूरे मामले को लेकर चैनपुर के चिकित्सा प्रभारी धनु राज सुब्रहरु से सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि कौन कर्मी उपस्थित थे और कौन अनुपस्थित। उन्होंने मामले की जांच कर उचित कार्रवाई करने का आश्वासन दिया।
हालांकि, चिकित्सा प्रभारी का यह बयान खुद स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है। सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि जब एक प्रखंड स्तर के चिकित्सा प्रभारी को ही अपने अधीनस्थ कर्मचारियों की उपस्थिति-अनुपस्थिति की जानकारी नहीं है, तो व्यवस्था पर नियंत्रण कैसे संभव है।
वेतन मिल रहा, जिम्मेदारी से मुंह मोड़ रहे कर्मी
ग्रामीणों में इस बात को लेकर भी गहरा रोष है कि स्वास्थ्य कर्मियों को सरकार द्वारा हर महीने हजारों रुपये वेतन दिया जा रहा है, इसके बावजूद वे अपनी जिम्मेदारियों से बचते नजर आते हैं। जन्म प्रमाण पत्र और आयुष्मान कार्ड जैसी सेवाएं आम जनता के लिए बेहद जरूरी हैं, लेकिन इन्हें हल्के में लिया जा रहा है।
लोगों का कहना है कि स्वास्थ्य केंद्र केवल इलाज का स्थान नहीं है, बल्कि यह नागरिकों के लिए कई जरूरी सरकारी सेवाओं का केंद्र भी है। अगर यहां ही लापरवाही बरती जाएगी, तो आम जनता भरोसा किस पर करेगी।
सख्त कार्रवाई की उठी मांग
ग्रामीणों और स्थानीय लोगों ने मांग की है कि इस मामले में केवल जांच का आश्वासन देकर खानापूर्ति न की जाए, बल्कि दोषी कर्मियों के खिलाफ सख्त विभागीय कार्रवाई हो। लापरवाह कर्मचारियों पर वेतन कटौती से लेकर सेवा समाप्ति तक की कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी स्थिति दोबारा न उत्पन्न हो।
लोगों का साफ कहना है कि अगर समय रहते कड़े कदम नहीं उठाए गए, तो चैनपुर CHC की बदहाली यूं ही जारी रहेगी और इसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ेगा।



न्यूज़ देखो: स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोलती तस्वीर
चैनपुर CHC की यह स्थिति बताती है कि कागजों में सब ठीक दिखाने वाली व्यवस्था जमीनी स्तर पर कितनी कमजोर है। जांच और आश्वासन से आगे बढ़कर ठोस कार्रवाई ही जनता का भरोसा बहाल कर सकती है। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
जवाबदेही तय हो, तभी सुधरे व्यवस्था
स्वास्थ्य सेवाएं जनता का अधिकार हैं, कोई एहसान नहीं।
लापरवाही करने वालों पर कार्रवाई जरूरी है।
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