
#बरवाडीह #शिक्षा_विभाग : विद्यालय में भोजन और शिक्षण व्यवस्था में गड़बड़ी उजागर — जिला परिषद सदस्य ने कार्रवाई की मांग की।
- राजकीय मध्य विद्यालय बभंडीह में मध्याह्न भोजन (एमडीएम) और शिक्षा व्यवस्था में गंभीर अनियमितताएं सामने आईं।
- पत्रकार के निरीक्षण में पाया गया कि कई महीनों से बच्चों को अंडा नहीं दिया गया।
- 170 से अधिक बच्चों का नामांकन, लेकिन उपस्थिति बेहद कम और रजिस्टर में फर्जी उपस्थिति दर्ज।
- जिला परिषद सदस्य संतोषी शेखर ने दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की।
- सांसद प्रतिनिधि दीपक राज ने भी कहा — “बच्चों के हक़ का अन्न हड़पना अपराध है।”
बरवाडीह प्रखंड के राजकीय मध्य विद्यालय बभंडीह में शिक्षा और भोजन व्यवस्था की लापरवाही ने जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों में आक्रोश पैदा कर दिया है। विद्यालय में न तो बच्चों को नियमित रूप से पौष्टिक भोजन मिल रहा है और न ही गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जा रही है। एक स्थानीय पत्रकार ने अभिभावकों की शिकायत पर जब विद्यालय की स्थिति का निरीक्षण किया तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। बच्चों ने बताया कि उन्हें महीनों से अंडा नहीं मिला, केवल पिछले शुक्रवार को ही एक बार दिया गया था। विद्यालय में नामांकन तो 170 से अधिक है, लेकिन उपस्थिति बहुत कम रहती है।
विद्यालय की वास्तविक स्थिति उजागर
ग्रामीणों ने बताया कि विद्यालय में शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह अव्यवस्थित है। शिक्षक समय पर विद्यालय नहीं आते और कई बार कक्षाएं बिना अध्यापक के ही बीत जाती हैं। भोजन वितरण में भी लापरवाही आम बात हो गई है। बच्चों को न तो समय पर भोजन मिलता है और न ही गुणवत्ता की कोई जांच होती है।
स्थानीय लोगों ने बताया कि विद्यालय का उपस्थिति रजिस्टर फर्जी तरीके से भरा जाता है, जिससे यह दिखाया जा सके कि बच्चे नियमित रूप से विद्यालय आते हैं। लेकिन वास्तविकता इसके बिल्कुल विपरीत है।
जनप्रतिनिधियों ने जताई नाराज़गी
इस पूरे मामले पर पश्चिमी क्षेत्र की जिला परिषद सदस्य संतोषी शेखर ने गहरी नाराज़गी जताई। उन्होंने कहा कि यह बेहद चिंताजनक है कि सरकारी विद्यालयों में बच्चों के अधिकारों की अनदेखी हो रही है।
संतोषी शेखर ने कहा: “यदि विद्यालयों में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और भोजन नहीं मिल रहा है, तो यह भविष्य के साथ खिलवाड़ है। मैं इस प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए उपायुक्त और जिला शिक्षा पदाधिकारी से मिलकर दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग करूंगी। साथ ही विद्यालय में पूर्व से मिल रही शिकायतों की जांच के लिए विशेष कमेटी गठित करने की बात भी रखूंगी।”
उनका कहना था कि यदि शिक्षक अपने दायित्वों का सही तरीके से निर्वहन नहीं कर रहे हैं, तो उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई होनी चाहिए।
सांसद प्रतिनिधि ने जताई कड़ी आपत्ति
वहीं सांसद प्रतिनिधि दीपक राज ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए कहा कि यह केवल लापरवाही नहीं, बल्कि गंभीर अपराध है।
दीपक राज ने कहा: “अगर बच्चों के हक़ का अन्न कोई हड़प रहा है और सच्चाई दिखाने वाले पत्रकार को डराने की कोशिश कर रहा है, तो अब खामोशी नहीं चलेगी। मैं उपायुक्त से मांग करता हूं कि इस प्रकरण की निष्पक्ष जांच कराते हुए संबंधित प्रधानाध्यापक पर तत्काल कार्रवाई की जाए। यदि कार्रवाई नहीं हुई तो पूरा मामला सांसद महोदय के समक्ष रखा जाएगा।”
उन्होंने कहा कि सरकारी योजनाओं का लाभ जरूरतमंदों तक नहीं पहुंचना, शासन की मंशा के विपरीत है।
ग्रामीणों ने की उच्चस्तरीय जांच की मांग
गांव के अभिभावकों और स्थानीय लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि विद्यालय की कार्यप्रणाली की उच्चस्तरीय जांच कर जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए। ग्रामीणों ने कहा कि यदि अब भी कार्रवाई नहीं हुई तो वे प्रखंड मुख्यालय का घेराव करेंगे। उनका कहना है कि विद्यालय का माहौल सुधरना आवश्यक है ताकि बच्चे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और पौष्टिक भोजन पा सकें।
शिक्षा विभाग की साख पर सवाल
राजकीय मध्य विद्यालय बभंडीह में इस तरह की लापरवाही शिक्षा विभाग की निगरानी व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है। यदि विद्यालयों में निरीक्षण नियमित नहीं हुआ और जवाबदेही तय नहीं की गई, तो इसी तरह बच्चों का भविष्य दांव पर लगता रहेगा।
प्रशासन को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि विद्यालयों में मध्याह्न भोजन योजना पारदर्शी ढंग से लागू हो और शिक्षक नियमित रूप से बच्चों को पढ़ाएं।
न्यूज़ देखो: बच्चों के अधिकारों पर नहीं हो खिलवाड़
यह मामला केवल एक विद्यालय की लापरवाही नहीं, बल्कि पूरे तंत्र की विफलता को उजागर करता है। सरकारी योजनाओं का उद्देश्य गरीब और वंचित वर्ग के बच्चों को शिक्षा और पोषण प्रदान करना है, लेकिन जिम्मेदारों की लापरवाही इसे खोखला बना रही है। प्रशासन को अब कड़ी निगरानी और सख्त कार्रवाई की जरूरत है, ताकि ऐसे हालात दोबारा न बनें।
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शिक्षा ही सबसे बड़ी ताकत है — उसे बचाना हम सबकी जिम्मेदारी
अगर विद्यालयों में बच्चों को सही शिक्षा और पोषण नहीं मिलेगा, तो राष्ट्र की नींव कमजोर होगी। हर नागरिक को जागरूक रहकर अपने क्षेत्र के विद्यालयों की स्थिति पर नजर रखनी चाहिए। शिक्षा से ही समाज में समानता, प्रगति और आत्मनिर्भरता आती है।
आइए, बच्चों के अधिकारों के प्रति संवेदनशील बनें। अपनी राय कमेंट में साझा करें, खबर को आगे बढ़ाएं और जिम्मेदार तंत्र तक यह संदेश पहुंचाएं — क्योंकि बच्चों का भविष्य हम सबकी जिम्मेदारी है।




