
#महुआडांड़ : आंगनबाड़ी केंद्रों में बन रहे शौचालयों में घटिया निर्माण सामग्री और मानकों की अनदेखी से दीवारों की मजबूती पर सवाल।
- महुआडांड़ प्रखंड के कई आंगनबाड़ी केंद्रों में निर्माणाधीन शौचालयों की गुणवत्ता पर गंभीर आरोप।
- ग्रामीणों के अनुसार ईंट जोड़ाई अधूरी, मसाला बेहद कमजोर और अनुपातहीन बताया गया।
- सीमेंट–बालू मिश्रण निर्धारित मानक से काफी कम, दीवार पर पानी का छिड़काव भी नहीं।
- हल्का दबाव डालने पर दीवारों में दरारें, गिरने का खतरा बढ़ा।
- स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन से तत्काल जांच और दोषी सवेदक पर कार्रवाई की मांग की।
- सरकारी राशि की बंदरबांट और बच्चों की सुरक्षा से खिलवाड़ पर ग्रामीणों में नाराजगी।
महुआडांड़ प्रखंड के अंतर्गत संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों में निर्माणाधीन शौचालयों की स्थिति चिंता का विषय बन गई है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इन शौचालयों का निर्माण जिस तरह से किया जा रहा है, वह न केवल निर्माण मानकों की अनदेखी है बल्कि बच्चों और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की सुरक्षा के साथ खुला खिलवाड़ भी है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि निर्माण कार्य में उपयोग की जा रही ईंटें ठीक से नहीं जोड़ी गई हैं और दीवारों का मसाला इतना कमजोर है कि थोड़ा सा दबाव डालने पर भी दरारें नजर आने लगती हैं।
निर्माण की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल
ग्रामीणों के अनुसार सीमेंट और बालू का मिश्रण निर्धारित अनुपात से काफी कम गुणवत्ता का है। यह भी बताया जा रहा है कि निर्माण के दौरान दीवारों पर समय-समय पर पानी का छिड़काव नहीं किया जा रहा है, जो किसी भी भवन की मजबूती के लिए अत्यंत आवश्यक होता है। इस लापरवाही के कारण दीवारें कमजोर हो गई हैं और भविष्य में इनके ढहने का खतरा बढ़ गया है। यदि स्थिति ऐसी ही बनी रही तो कुछ ही महीनों में शौचालय उपयोग के योग्य नहीं रहेंगे और किसी भी समय बड़ा हादसा हो सकता है।
बच्चों और आंगनबाड़ी कर्मियों की सुरक्षा जोखिम में
आंगनबाड़ी केंद्रों का उपयोग छोटे बच्चों द्वारा किया जाता है, ऐसे में शौचालयों की कमजोर संरचना किसी भी समय गंभीर दुर्घटना को जन्म दे सकती है। ग्रामीणों ने कहा कि जब बच्चों के उपयोग के लिए बनाई जाने वाली मूलभूत सुविधाओं में ही इतनी बड़ी अनियमितता सामने आ रही है, तो यह सरकारी व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा करती है।
ग्रामीणों ने कार्रवाई की मांग की
ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से मामले की त्वरित जांच कराने की मांग की है। उनका कहना है कि सरकारी धन की खुलेआम बंदरबांट हो रही है और निर्माण कार्य में पारदर्शिता बिल्कुल नहीं दिख रही। ग्रामीण यह भी कहते हैं कि बच्चों की सुरक्षा से जुड़ी किसी भी कार्य में गुणवत्ता पर समझौता स्वीकार नहीं है और दोषी सवेदक के खिलाफ सख्त कदम उठाना आवश्यक है।
न्यूज़ देखो: निर्माण में लापरवाही पर प्रशासन की कड़ी निगरानी जरूरी
आंगनबाड़ी केंद्र बच्चों के विकास और सुरक्षा का प्राथमिक आधार होते हैं। ऐसे में घटिया निर्माण न केवल नियमों का उल्लंघन है बल्कि बच्चों के जीवन के लिए भी खतरा है। प्रशासन को चाहिए कि इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप कर जिम्मेदार लोगों पर कठोर कार्रवाई करे और सुनिश्चित करे कि आगे ऐसा दोबारा न हो।
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बच्चों की सुरक्षा सर्वोपरि—जिम्मेदारी निभाना हम सबका कर्तव्य
जब बात बच्चों की सुरक्षा और उनके भविष्य की हो, तो लापरवाही की कोई जगह नहीं होती। समाज और प्रशासन दोनों की जिम्मेदारी है कि ऐसी अनियमितताओं के खिलाफ आवाज उठाएं और सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करें। अब समय है कि हम जागरूक नागरिक बनकर ऐसे मुद्दों पर अपनी भूमिका निभाएं।
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