
#चंदवा #शिक्षाव्यवस्था : निरीक्षण के दौरान विद्यालय में शिक्षक नदारद मिले, बच्चे खेलते नजर आए — भीम आर्मी महासचिव ने कार्रवाई की मांग की
- चंदवा प्रखंड के ललकीटांड कुदरा ग्राम स्थित उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक अनुपस्थित पाए गए।
- भीम आर्मी झारखंड प्रदेश महासचिव वीरेंद्र कुमार ने विद्यालय का निरीक्षण किया और गंभीर अनियमितताओं की ओर ध्यान दिलाया।
- सुबह से लेकर 11:30 बजे तक बच्चे बिना पढ़ाई केवल खेलते नजर आए।
- अभिभावकों ने भी शिक्षकों की लापरवाही पर गहरी चिंता व्यक्त की।
- महासचिव ने चेतावनी दी कि समय रहते सुधार नहीं हुआ तो आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा।
चंदवा प्रखंड अंतर्गत ललकीटांड कुदरा ग्राम का उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय लापरवाही का शिकार होता दिख रहा है। विद्यालय के निरीक्षण के दौरान यह पाया गया कि सुबह से लेकर दोपहर तक किसी भी शिक्षक की उपस्थिति दर्ज नहीं थी और बच्चे खेलते हुए नजर आए। इस स्थिति ने न केवल बच्चों की पढ़ाई प्रभावित की, बल्कि अभिभावकों में भी गहरी चिंता पैदा कर दी।
महासचिव ने उठाई आवाज
निरीक्षण के दौरान भीम आर्मी झारखंड प्रदेश महासचिव वीरेंद्र कुमार ने कहा कि विद्यालय में शिक्षा पूरी तरह से अव्यवस्थित हो चुकी है।
वीरेंद्र कुमार ने कहा: “शिक्षा का अधिकार अधिनियम के बावजूद यदि शिक्षक नियमित रूप से कक्षा नहीं लेंगे तो ग्रामीण बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित होना पड़ेगा। प्रशासन को तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए।”
उन्होंने प्रशासन और शिक्षा विभाग से शिक्षकों की जवाबदेही तय करने और नियमित निरीक्षण करने की मांग की।
अभिभावकों की चिंता
ग्रामीण अभिभावकों ने भी इस स्थिति पर नाराजगी जताई। उनका कहना है कि गरीब परिवारों के बच्चे पूरी तरह से सरकारी विद्यालयों पर निर्भर रहते हैं। यदि विद्यालय का माहौल लापरवाही से भरा रहेगा तो नई पीढ़ी पिछड़ जाएगी और बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा।
आंदोलन की चेतावनी
वीरेंद्र कुमार ने स्पष्ट चेतावनी दी कि अगर शिक्षा व्यवस्था में सुधार नहीं किया गया तो आंदोलन का रास्ता अपनाने पर मजबूर होना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि विद्यालयों में शिक्षकों की अनुपस्थिति सिर्फ एक संस्थान की समस्या नहीं है, बल्कि यह पूरे समाज के लिए खतरे का संकेत है।
न्यूज़ देखो: शिक्षा व्यवस्था पर गहरा सवाल
चंदवा का यह मामला स्पष्ट करता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा व्यवस्था कितनी कमजोर हो चुकी है। बच्चों का भविष्य बचाने के लिए प्रशासन को तत्काल हस्तक्षेप करना होगा और जवाबदेही तय करनी होगी। यदि हालात नहीं बदले तो आने वाली पीढ़ी को इसके गंभीर नतीजे भुगतने होंगे।
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बच्चों का भविष्य सुरक्षित करें
शिक्षा समाज की सबसे बड़ी ताकत है, और इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। अब समय है कि हम सब मिलकर शिक्षा की गुणवत्ता पर निगरानी रखें, अपनी राय साझा करें और इस खबर को आगे बढ़ाएं ताकि बच्चों को उनका हक मिल सके।