
#नेतरहाटनाशपातीउत्पादन #लातेहारफलक्रांति – सैकड़ों एकड़ में बागवानी, बंगाल से तमिलनाडु तक पहुंच रही मिठास
- नेतरहाट की नाशपाती को देशभर में मिल रही खास पहचान
- 85 एकड़ में सरकारी और 100+ एकड़ में ग्रामीण स्तर पर खेती
- बिहार, बंगाल, यूपी से लेकर महाराष्ट्र और तमिलनाडु तक भारी डिमांड
- हर साल लाखों रुपये का कारोबार, किसान सीधे हो रहे लाभान्वित
- पर्यटक भी हो रहे आकर्षित, ₹20 प्रति किलो की दर से मिल रहे ताजे फल
नाशपाती की मिठास से महका नेतरहाट, बढ़ा किसानों का सम्मान
लातेहार (नेतरहाट) — झारखंड के खूबसूरत हिल स्टेशन नेतरहाट अब केवल अपने मौसम और वादियों के लिए नहीं, बल्कि स्वादिष्ट नाशपाती की खेती के लिए भी चर्चा में है। हर साल जून-जुलाई में तैयार होने वाली ये नाशपाती देशभर में भेजी जाती है और इसकी मांग लगातार बढ़ती जा रही है।
कृषि विभाग ने डंकन क्षेत्र में 85 एकड़ भूमि पर नाशपाती का बागान विकसित किया है, जबकि स्थानीय ग्रामीणों ने अपनी निजी जमीनों पर 100 एकड़ से अधिक क्षेत्र में इसकी बागवानी की है। यहाँ की मिट्टी, मौसम और ऊंचाई इस फल की गुणवत्ता को बेजोड़ बनाते हैं।
करोड़ों का कारोबार, किसानों को मिला लाभ
स्थानीय किसानों के अनुसार, हर साल लाखों रुपये की नाशपाती की बिक्री होती है, जिसमें किसान सीधे व्यापारी से डील करते हैं। व्यापारी झारखंड, बिहार, बंगाल, यूपी, एमपी, ओडिशा, महाराष्ट्र और दक्षिण भारत के राज्यों से यहां पहुंचते हैं। बिचौलियों की अनुपस्थिति किसानों की कमाई में इजाफा करती है।
पर्यटन के दृष्टिकोण से भी यह क्षेत्र नाशपाती बागानों के कारण नई पहचान पा रहा है। पर्यटकों को बागान भ्रमण और फल तोड़ने की छूट दी जाती है। ₹20 प्रति किलो की दर से ताजा नाशपाती खरीदने का अनुभव उन्हें बेहद खास लगता है।
“बागान जितना खूबसूरत है, फल उतना ही मीठा है,”
— पर्यटक अविनाश पांडेय
प्रोसेसिंग यूनिट से होगा और विकास
हालांकि, स्थानीय किसानों और व्यापारियों का मानना है कि यदि सरकार यहां स्थायी फल बाजार या प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना करे तो नेतरहाट पूरे पूर्वी भारत का प्रमुख फल उत्पादक केंद्र बन सकता है। इससे स्थानीय युवाओं को रोजगार, किसानों को बेहतर मूल्य और ब्रांडिंग में मदद मिलेगी।
न्यूज़ देखो – लोकल खेती, राष्ट्रीय पहचान
न्यूज़ देखो का मानना है कि नेतरहाट जैसे प्राकृतिक क्षेत्रों में जब आधुनिक कृषि और सरकारी समर्थन जुड़ता है, तो स्थानीय उत्पादन भी वैश्विक ब्रांड बन सकता है। नाशपाती की यह सफलता झारखंड के अन्य इलाकों के लिए भी प्रेरणा है।
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