Latehar

पति की लंबी उम्र के लिए नवविवाहिताओं का आस्था से भरा व्रत, महुआडांड़ में वट सावित्री पर दिखा उल्लास

#महुआडांड़ #वटसावित्रीव्रत – नई-नवेली दुल्हनों ने सोलह श्रृंगार कर किया व्रत, हर गांव में दिखा पूजा का उत्साह

  • महुआडांड़ प्रखंड के कई गांवों में सोमवार को सुहागिनों ने किया वट सावित्री व्रत
  • सुबह से ही बरगद के पेड़ों के पास जुटीं महिलाएं, विधिवत पूजा और परिक्रमा की
  • सावित्री-सत्यवान की पौराणिक कथा सुनकर महिलाओं ने जताई भक्ति
  • नवविवाहित महिलाओं में विशेष जोश, सजी-धजी होकर की पूजा अर्चना
  • पुजारी ने बताया व्रत का महत्व, वट वृक्ष में त्रिदेवों के वास की मान्यता
  • पूजन में चना, मौसमी फल, पूड़ी और सुहाग सामग्री की गई अर्पित

महुआडांड़ के गांवों में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब

महुआडांड़ प्रखंड मुख्यालय सहित चुटिया दीपाटोली, हामी, चटकपुर, बेलबार, राजडडां और आसपास के गांवों में सोमवार को वट सावित्री व्रत के पावन अवसर पर सुहागिनों ने पूरे विधि-विधान से पूजा अर्चना की। महिलाएं सुबह से ही व्रत रखकर बरगद के पेड़ों के नीचे एकत्रित हुईं और पारंपरिक रीति से व्रत किया। इस व्रत में पति की लंबी उम्र, घर की सुख-शांति और समृद्धि की कामना की जाती है।

दुल्हन की तरह सजीं नवविवाहिताएं, उमंग से भरी रही पूजा

व्रत के अवसर पर नवविवाहित महिलाओं में खास उत्साह देखने को मिला। वे नई साड़ियों और आभूषणों से सजी-धजी थीं और पूरी श्रद्धा के साथ वट वृक्ष की पूजा में शामिल हुईं। सोलह श्रृंगार कर वे पूजा स्थल पर पहुंचीं और वट वृक्ष की परिक्रमा करते हुए कच्चे सूत से पेड़ को लपेटा।

पूजन सामग्री में चना, पूड़ी, मौसमी फल और सुहाग की वस्तुएं जैसे चूड़ी, सिंदूर, बिंदी, आलता आदि शामिल थीं, जिन्हें श्रद्धापूर्वक अर्पित किया गया। इस दृश्य ने ग्रामीण क्षेत्र में धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक परंपरा की जीवंतता को दर्शाया।

व्रत कथा से जुड़ी श्रद्धा और धार्मिक मान्यता

महिलाओं ने पूजा के दौरान सावित्री-सत्यवान की कथा को ध्यानपूर्वक सुना। कथा सुनाने के लिए उपस्थित पुजारी राजेश पाठक ने बताया:

“वट सावित्री व्रत की शुरुआत उस समय से मानी जाती है जब सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से वापस मांग लिए थे। सावित्री ने वट वृक्ष के नीचे तप कर अपने पतिव्रत धर्म से पति को जीवनदान दिलाया।”

पुजारी ने यह भी बताया कि वट वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास माना जाता है, और यही कारण है कि इसकी पूजा करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और घर में शांति-संपन्नता बनी रहती है।

शिव-पार्वती की पूजा से पूर्ण हुआ व्रत

पूजन के अंत में महिलाओं ने भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा कर अपने सुहाग की रक्षा और परिवार के कल्याण की प्रार्थना की। बरगद के पत्ते, पूड़ी, फल और भीगे हुए चने अर्पित किए गए। पूरे क्षेत्र में पूजा के इस आयोजन ने सामाजिक एकता और सांस्कृतिक मूल्यों की मिसाल पेश की।

न्यूज़ देखो : आस्था और परंपरा की हर खबर सबसे पहले

‘न्यूज़ देखो’ आपकी क्षेत्रीय परंपराओं और धार्मिक आयोजनों की प्रामाणिक और विस्तृत रिपोर्टिंग के लिए प्रतिबद्ध है। महुआडांड़ जैसे ग्रामीण क्षेत्रों में भी आस्था और परंपरा की गहराई को उजागर कर हम हर त्योहार की सजीव जानकारी आपके सामने लाते हैं।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

अगर आपको यह खबर उपयोगी लगी हो, तो कृपया इसे रेट करें और नीचे कमेंट में अपनी राय दें।

यह खबर आपके लिए कितनी महत्वपूर्ण थी?

रेटिंग देने के लिए किसी एक स्टार पर क्लिक करें!

इस खबर की औसत रेटिंग: 0 / 5. कुल वोट: 0

अभी तक कोई वोट नहीं! इस खबर को रेट करने वाले पहले व्यक्ति बनें।

चूंकि आपने इस खबर को उपयोगी पाया...

हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करें!

Radhika Netralay Garhwa
Engineer & Doctor Academy
आगे पढ़िए...
नीचे दिए बटन पर क्लिक करके हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करें

Related News

ये खबर आपको कैसी लगी, अपनी प्रतिक्रिया दें

Back to top button
error: