
#रामरेखा_धाम #धार्मिकस्मृतियां : प्रदीप केशरी ने साझा की ऐतिहासिक तस्वीरें – बाबा रामरेखा के प्रति सभी समुदायों की अटूट आस्था को किया याद
- रामरेखा महोत्सव के बीच प्रदीप केशरी ने साझा की 24 साल पुरानी दुर्लभ तस्वीरें।
- तस्वीरों में परम पूजनीय बाबा रामरेखा के साथ कई श्रद्धालु दिखे जिनमें मॉरिस कीड़ों, असतानिस किंडो, जवाहरलाल चौधरी, मंगतु बाबा, दीक्षित बाबा आदि शामिल हैं।
- दूसरी तस्वीर में दीक्षा के बाद का पवित्र क्षण जिसमें प्रदीप केशरी और उनकी धर्मपत्नी, जवाहर चौधरी दंपती, उमेश प्रसाद दंपती सहित कई भक्त शामिल रहे।
- प्रदीप केशरी ने कहा – “बाबा रामरेखा पर सभी समुदायों की अटूट आस्था आज भी कायम है।”
- केंद्र और राज्य सरकार द्वारा रामरेखा धाम को पर्यटन केंद्र की सूची में शामिल करने के प्रयास की सराहना की गई।
रामरेखा धाम के वार्षिक रामरेखा महोत्सव के अवसर पर इस बार श्रद्धा के साथ यादों का एक नया रंग भी देखने को मिला। स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता प्रदीप केशरी ने अपने सोशल मीडिया माध्यमों पर 24 वर्ष पुरानी यादगार तस्वीरें साझा कीं, जिनमें बाबा रामरेखा के साथ कई श्रद्धालु नजर आ रहे हैं। इन तस्वीरों ने न केवल पुराने भक्तों की स्मृतियों को जीवंत किया बल्कि इस धाम की ऐतिहासिक और आध्यात्मिक विरासत को भी पुनः उजागर किया।
24 साल पुरानी तस्वीरों में झलकती भक्ति और एकता
पहली तस्वीर में मॉरिस कीड़ों, असतानिस किंडो, जवाहरलाल चौधरी, मंगतु बाबा, दीक्षित बाबा और प्रदीप केशरी सहित कई श्रद्धालु एक साथ परम पूजनीय बाबा रामरेखा के दर्शन करते हुए नजर आ रहे हैं। यह तस्वीर उस दौर की है जब लोग सीमित साधनों के बावजूद आस्था से ओत-प्रोत होकर बाबा के चरणों में एकत्र होते थे।
प्रदीप केशरी ने कहा: “यह सिर्फ तस्वीरें नहीं, बल्कि हमारी आध्यात्मिक यात्रा की धरोहर हैं। बाबा रामरेखा पर सभी समुदायों की अटूट श्रद्धा रही है और आज भी वही भावनाएं जीवित हैं।”

दीक्षा की यादें और आस्था का निरंतर प्रवाह
दूसरी तस्वीर में उस क्षण को दिखाया गया है जब प्रदीप केशरी, जवाहर चौधरी, उमेश प्रसाद और उनके परिवारजनों ने परम पूजनीय बाबा रामरेखा से दीक्षा प्राप्त की थी। तस्वीर में भावनाओं की वह गहराई झलकती है जो पीढ़ियों तक भक्तों के दिलों में बस गई। प्रदीप केशरी ने बताया कि उनकी और उनके परिवार की आस्था तब से आज तक अटूट बनी हुई है, और यह स्थान उनके लिए केवल एक धार्मिक स्थल नहीं बल्कि आध्यात्मिक प्रेरणा का स्रोत है।
बदलती तस्वीर के साथ बढ़ता विकास
प्रदीप केशरी ने यह भी कहा कि आज रामरेखा धाम की तसवीर और तक़दीर दोनों बदल रही हैं। उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार के प्रयासों की सराहना की, जिन्होंने इस ऐतिहासिक स्थल को पर्यटन केंद्र की सूची में शामिल करने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। उन्होंने कहा कि अगर विकास कार्य इसी तरह जारी रहे, तो आने वाले समय में यह धाम राष्ट्रीय स्तर का आध्यात्मिक पर्यटन केंद्र बन सकता है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि सड़क, जल और प्रकाश व्यवस्था में सुधार से यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ी है, जिससे क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को भी लाभ हो रहा है।

न्यूज़ देखो: आस्था, स्मृति और विकास का अद्भुत संगम
रामरेखा धाम की यह कहानी केवल धार्मिकता की नहीं, बल्कि समाज की सांस्कृतिक एकता और ऐतिहासिक चेतना की मिसाल है। प्रदीप केशरी जैसे लोगों की पहल ने यह साबित किया है कि स्मृतियाँ जब श्रद्धा से जुड़ती हैं, तो वे भविष्य की दिशा तय करती हैं। सरकार के सहयोग से यह स्थल अब आधुनिक सुविधाओं के साथ एक आध्यात्मिक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित हो रहा है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
श्रद्धा की डोर से जुड़ा विकास का संकल्प
रामरेखा बाबा के प्रति यह अटूट भक्ति हमें यह संदेश देती है कि धार्मिक धरोहरों का संरक्षण केवल आस्था का नहीं, बल्कि संस्कृति के सम्मान का दायित्व भी है। जब समाज अपनी जड़ों से जुड़ा रहता है, तभी विकास का मार्ग भी पवित्र और स्थायी बनता है।
सजग रहें, अपनी आस्था और संस्कृति की रक्षा करें।
इस खबर को साझा करें और रामरेखा धाम की इस प्रेरक यात्रा का हिस्सा बनें – क्योंकि यह सिर्फ पूजा नहीं, बल्कि पहचान की पुनर्स्थापना है।




