#सुप्रीमकोर्ट #कांवड़यात्रा : शिवभक्तों की सुरक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त — ढाबों व होटलों को दिखाना होगा लाइसेंस
- सुप्रीम कोर्ट ने दिया स्पष्ट आदेश, कांवड़ रूट पर सभी ढाबों को लाइसेंस प्रदर्शित करना अनिवार्य होगा।
- 22 जुलाई से लागू होगा आदेश — बिना पंजीकरण वाले ढाबों पर हो सकती है प्रशासनिक कार्रवाई।
- QR कोड पर अभी कोई तत्काल आदेश नहीं, लेकिन कोर्ट ने कहा विचार की जरूरत है।
- गंदा भोजन व नकली दुकान की शिकायतों पर बढ़ा था मामला, कोर्ट ने जताई शिवभक्तों की चिंता।
- अब हर दुकान को दिखाना होगा नाम, लाइसेंस नंबर और मालिक की जानकारी।
कोर्ट के आदेश की पृष्ठभूमि: शिवभक्तों की सेहत से खिलवाड़ पर लगा ब्रेक
हर साल सावन महीने में लाखों शिवभक्त कांवड़ लेकर निकलते हैं और गंगा जल चढ़ाने के लिए शिवधाम पहुंचते हैं। इस यात्रा के दौरान ढाबे, होटल और रेस्टोरेंट शिवभक्तों के लिए भोजन और विश्राम का मुख्य सहारा होते हैं। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इन दुकानों की स्वच्छता, गुणवत्ता और वैधता को लेकर गंभीर सवाल उठते रहे हैं। कई बार अस्वस्थ भोजन के कारण शिवभक्त बीमार पड़े, जिससे यात्रा बाधित हुई।
सुप्रीम कोर्ट ने क्यों दिया यह आदेश?
पिछले कुछ समय में सोशल मीडिया और याचिकाओं के जरिए यह मांग उठी थी कि यात्रा मार्ग पर चल रहे ढाबों और रेस्टोरेंट की वैधता सार्वजनिक की जाए। कई लोगों ने शिकायत की थी कि इन दुकानों से अशुद्ध खाना मिलने से उनकी तबीयत खराब हुई। इसके मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा संज्ञान लेते हुए 22 जुलाई 2025 से नया आदेश जारी किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा: “हर ढाबे, होटल व रेस्टोरेंट को अपने लाइसेंस और पंजीकरण प्रमाणपत्र दुकान के बाहर स्पष्ट रूप से चिपकाना होगा ताकि शिवभक्तों को यह जानकारी मिल सके कि वे जहां भोजन कर रहे हैं, वह दुकान वैध है।”
QR कोड पर क्या हुआ फैसला?
कुछ याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट से यह भी आग्रह किया था कि दुकानदारों को QR कोड लगाने के लिए बाध्य किया जाए, जिससे ग्राहक दुकान की रेटिंग, वैधता और सफाई संबंधी जानकारी एक स्कैन में प्राप्त कर सकें। लेकिन कोर्ट ने इस पर फिलहाल कोई त्वरित आदेश नहीं दिया। कोर्ट ने कहा कि यह तकनीकी विषय है और भविष्य में विचार किया जाएगा।
प्रशासन की बढ़ेगी जिम्मेदारी
अब यह सुनिश्चित करना प्रशासन की जिम्मेदारी होगी कि सभी ढाबे, होटल और भोजनालय सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करें। इसके लिए स्थानीय अधिकारी और पुलिस टीमों को नियमित निरीक्षण करना होगा। जिन दुकानों पर लाइसेंस और पंजीकरण सर्टिफिकेट नहीं लगे होंगे, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई संभव होगी।
दुकानदारों को क्या करना होगा?
हर दुकान के बाहर अब दुकान का नाम, मालिक का नाम, लाइसेंस नंबर और पंजीकरण सर्टिफिकेट की कॉपी चस्पा करना अनिवार्य हो गया है। यह दस्तावेज ग्राहक और प्रशासन दोनों के लिए पारदर्शिता और भरोसे का माध्यम बनेंगे।
एक सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा: “यह आदेश लाखों श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा और अवैध कारोबार पर रोक लगाएगा।“
कांवड़ियों को क्या मिलेगा फायदा?
शिवभक्त अब जहां भी रुकेंगे, वहां स्वच्छता और वैधता की जानकारी पहले से मिल सकेगी। इससे उनका भोजन को लेकर विश्वास बढ़ेगा, और यदि कोई गड़बड़ी हो तो दस्तावेज के आधार पर शिकायत दर्ज कराना आसान होगा।
धार्मिक आयोजनों में पारदर्शिता की शुरुआत
यह निर्देश केवल कांवड़ यात्रा तक सीमित नहीं रहेगा। भविष्य में छठ, दुर्गा पूजा, जगन्नाथ यात्रा जैसे बड़े आयोजनों में भी यह मॉडल लागू हो सकता है, जिससे धार्मिक यात्राएं और अधिक सुरक्षित व पारदर्शी बनें।
न्यूज़ देखो: श्रद्धा और व्यवस्था की संगम पर न्याय की मुहर
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला न केवल शिवभक्तों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है, बल्कि यह प्रशासन, दुकानदार और समाज के बीच जवाबदेही की नई परंपरा की शुरुआत भी करता है। भीड़ वाले आयोजनों में स्वच्छता और पारदर्शिता अब केवल इच्छा नहीं, कानून का रूप ले चुके हैं। हर शिवभक्त की आस्था को सुरक्षा देना अब सिर्फ धर्म नहीं, कर्तव्य है।
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