
#चंदवा #कोयलाखदान : एनटीपीसी अधिकारियों की अनुपस्थिति से ग्रामीणों में नाराजगी – ग्रामसभा बेनतीजा रही
- एनटीपीसी कंपनी को आवंटित बनहरदी कोल ब्लॉक के लिए ग्रामसभा आयोजित की गई थी।
 - अधिकारी समय पर नहीं पहुंचे, ग्रामीणों ने घंटों किया इंतजार।
 - ग्रामीणों ने बैठक में देरी और अधिकारियों की अनुपस्थिति की निंदा की।
 - चंदवा अंचलाधिकारी सुमित झा व राजस्व कर्मचारी बाद में पहुंचे।
 - ग्रामीणों ने जमीन औने-पौने दामों में न देने और परियोजना में हिस्सेदारी की मांग दोहराई।
 
लातेहार जिले के चंदवा प्रखंड के बनहरदी गांव में एनटीपीसी कंपनी को आवंटित बनहरदी कोल ब्लॉक के संबंध में सोमवार को ग्रामसभा का आयोजन किया गया। बैठक में ग्रामीणों से भूमि अधिग्रहण और अन्य मसलों पर सहमति लेने का उद्देश्य था। हालांकि, कंपनी के अधिकारी निर्धारित समय पर नहीं पहुंचे, जिससे उपस्थित ग्रामीणों में असंतोष फैल गया। घंटों इंतजार के बाद जब अधिकारी नहीं आए, तो ग्रामसभा बिना किसी निष्कर्ष के समाप्त हो गई और ग्रामीण नाराज होकर अपने घरों को लौट गए।
बैठक में नहीं पहुंचे अधिकारी, ग्रामीणों में रोष
ग्रामसभा की सूचना पहले से दी गई थी और ग्रामीण बड़ी संख्या में निर्धारित स्थल पर एकत्र हुए थे। यह बैठक बनहरदी कोल ब्लॉक से जुड़े भूमि अधिग्रहण के मुद्दों पर चर्चा के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही थी। लेकिन अधिकारी और कंपनी प्रतिनिधि देर तक नहीं पहुंचे।
स्थानीय लोगों ने बताया कि वे सुबह से ही अधिकारीगण की प्रतीक्षा कर रहे थे। ग्रामीणों ने इसे गंभीर लापरवाही बताते हुए नाराजगी जाहिर की और कहा कि जब विकास योजनाओं में जनता की भागीदारी की बात की जाती है, तब इस तरह का रवैया स्वीकार्य नहीं है।
अधिकारी देर से पहुंचे, लेकिन ग्रामीण जा चुके थे
ग्रामीणों के जाने के कुछ समय बाद एनटीपीसी के अधिकारी, चंदवा अंचलाधिकारी सुमित झा और राजस्व कर्मचारी जनेश्वर राम स्थल पर पहुंचे। लेकिन तब तक अधिकांश ग्रामीण अपने घर जा चुके थे। अधिकारियों की उपस्थिति की खबर सुनकर कुछ ग्रामीण पुनः लौटे और जमीन से जुड़ी समस्याओं पर बातचीत की।
अंचलाधिकारी सुमित झा ने मौके पर ग्रामीणों से संवाद किया और कहा कि वे इसी उद्देश्य से यहां आए हैं ताकि ग्रामीणों की बात सुनी जा सके और उनकी समस्याओं का समाधान निकाला जा सके। उन्होंने ग्रामीणों को आश्वस्त किया कि उनकी बातों को वरीय अधिकारियों तक पहुंचाया जाएगा।
भूमि अधिग्रहण को लेकर ग्रामीणों की सख्त शर्तें
बैठक में पहुंचे ग्रामीणों ने अपनी नाराजगी स्पष्ट शब्दों में जताई। उन्होंने कहा कि वे कोयला खदान के लिए अपनी जमीन औने-पौने दामों में नहीं देंगे। ग्रामीणों ने यह भी कहा कि अगर कंपनी वाकई खदान शुरू करना चाहती है, तो ग्रामीणों को परियोजना में भागीदार बनाया जाए।
ग्रामीणों का कहना था कि वे वर्षों से इस भूमि पर निर्भर हैं, इसलिए उचित मुआवजा और स्थायी पुनर्वास योजना जरूरी है। उन्होंने एनटीपीसी अधिकारियों से आग्रह किया कि किसी भी विकास परियोजना में ग्रामीणों को केवल दर्शक नहीं बल्कि साझेदार बनाया जाए।
ग्रामसभा बेनतीजा, प्रशासन पर उठे सवाल
ग्रामसभा बिना निष्कर्ष समाप्त होने के बाद स्थानीय स्तर पर कई सवाल उठ खड़े हुए हैं। ग्रामीणों ने प्रशासन से नाराजगी जताई कि इतने महत्वपूर्ण आयोजन के बावजूद अधिकारियों की अनुपस्थिति रही। उनका कहना है कि यदि जनता से संवाद ही नहीं होगा तो योजनाएं कैसे सफल होंगी।
कई ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि अधिकारियों द्वारा निर्धारित कार्यक्रमों में बार-बार देरी होती है, जिससे जनता का भरोसा कमजोर पड़ता जा रहा है।

न्यूज़ देखो : जनसुनवाई के बिना विकास अधूरा
बनहरदी ग्रामसभा की घटना यह दर्शाती है कि किसी भी विकास योजना का मूल आधार जनता की सहभागिता और विश्वास होता है। जब अधिकारी जनता की आवाज़ नहीं सुनेंगे, तो विकास की दिशा भटक जाएगी। प्रशासन और कंपनियों को यह समझना होगा कि पारदर्शिता और संवाद ही किसी भी परियोजना की सफलता की कुंजी हैं।
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अब समय है जनसहभागिता को प्राथमिकता देने का
यह घटना प्रशासन और ग्रामीणों दोनों के लिए सबक है कि संवाद के बिना समाधान संभव नहीं। अगर अधिकारी समय पर पहुंचें और ग्रामीणों के साथ खुले संवाद की परंपरा कायम करें, तो न केवल अविश्वास दूर होगा बल्कि विकास का मार्ग भी सुगम बनेगा। सजग नागरिक बनें, अपनी राय रखें और जिम्मेदारी साझा करें। इस खबर को साझा करें ताकि हर स्तर पर जवाबदेही और जनसहभागिता की भावना मजबूत हो।
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 



