
#डुमरी #छठ_पर्व : उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर संपन्न हुआ लोकआस्था का महापर्व — घाटों पर गूंजे “जय छठी मैया” के जयघोष
- डुमरी प्रखंड में उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर संपन्न हुआ छठ महापर्व
- सैकड़ों श्रद्धालुओं ने घाटों पर पहुंचकर पूजा-अर्चना की
- महिलाओं ने पारंपरिक वेशभूषा में छठी मैया को अर्घ्य अर्पित किया
- प्रशासन ने घाटों पर सुरक्षा और स्वच्छता की सराहनीय व्यवस्था की
- सत्यनारायण कथा और प्रसाद वितरण से भक्ति और उल्लास का माहौल
तड़के भोर में छठी मैया को अर्घ्य अर्पण
आस्था, अनुशासन और भक्ति का प्रतीक छठ महापर्व मंगलवार की सुबह डुमरी प्रखंड में बड़े हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुआ। तड़के भोर से ही व्रती महिलाएं अपने परिजनों के साथ स्थानीय छठ घाटों पर पहुंचीं। स्नान-ध्यान और पूजा की तैयारियों के बाद उन्होंने उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर छठी मैया से परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की।
पूरे वातावरण में छठ गीतों की मधुर गूंज और दीपों की रोशनी से एक अलौकिक दृश्य बना रहा। घाटों पर “जय छठी मैया” के जयघोष से माहौल गूंज उठा।
पारंपरिक रीति-रिवाजों में डूबी रही महिलाएं
व्रती महिलाओं ने साड़ी में पारंपरिक परिधान धारण कर सिर पर सूप, फल, ठेकुआ, नारियल, केले और गन्ने की अर्पण सामग्री रखी। यह दृश्य भारतीय संस्कृति की सुंदर झलक प्रस्तुत कर रहा था। बच्चे, युवा और बुजुर्ग सभी उत्साह और भक्ति भाव से ओतप्रोत दिखाई दिए। घाटों पर छठी गीतों की गूंज ने सभी को भावविभोर कर दिया।
एक श्रद्धालु महिला रीता देवी ने कहा: “छठ सिर्फ पूजा नहीं, बल्कि आत्म-शुद्धि और परिवार के कल्याण का पर्व है। इस दिन की सुबह जैसे नई ऊर्जा का संचार करती है।”
कथा, प्रसाद और पारण से पूर्ण हुआ चार दिवसीय व्रत
अर्घ्य अर्पण के उपरांत घाटों पर ही सत्यनारायण भगवान की कथा का आयोजन किया गया। उपस्थित भक्तों ने श्रद्धा और भक्ति भाव से कथा श्रवण किया। इसके बाद ठेकुआ, केला और प्रसाद वितरण किया गया, जिससे भक्ति का माहौल और गहरा हो गया।
व्रती महिलाएं घाट से लौटने के बाद अपने-अपने घरों में पहुंचकर स्थानीय मंदिरों में पूजा-अर्चना करती नजर आईं। पूजा के उपरांत उन्होंने दही-शरबत और ठेकुआ ग्रहण कर व्रत का पारण किया। इस प्रकार चार दिनों तक चलने वाला यह महान पर्व पूर्ण हुआ।
प्रशासन ने निभाई सराहनीय भूमिका
छठ पर्व के दौरान डुमरी प्रशासन और पुलिस बल लगातार सक्रिय रही। घाटों पर सफाई, प्रकाश व्यवस्था और सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा गया। प्रशासन ने गोताखोरों और स्वयंसेवकों की टीम तैनात की थी ताकि किसी अप्रिय घटना को रोका जा सके।
स्थानीय लोगों ने भी प्रशासन के इस सहयोग की खुले दिल से सराहना की और कहा कि इस वर्ष घाटों पर व्यवस्था पिछले वर्षों की तुलना में और बेहतर रही।
श्रद्धा और संस्कृति का संगम बना डुमरी
सुबह की लालिमा में जब उगते सूर्य की पहली किरणें जल में पड़ीं, तो पूरा डुमरी छठी मैया के जयघोष से गूंज उठा। हर घाट पर श्रद्धा और संस्कृति का सुंदर संगम दिखाई दिया। लोगों ने एक-दूसरे को बधाई दी और सामाजिक सौहार्द का संदेश दिया।
स्थानीय युवा अमित कुमार ने कहा: “छठ केवल धार्मिक पर्व नहीं, यह हमारी संस्कृति, अनुशासन और सामूहिक एकता का प्रतीक है।”
न्यूज़ देखो: आस्था और अनुशासन से सजे जन-श्रद्धा के पल
“न्यूज़ देखो” मानता है कि छठ महापर्व भारत की सबसे सशक्त सामाजिक परंपराओं में से एक है, जो अनुशासन, निस्वार्थता और लोक आस्था को जोड़ता है। डुमरी में प्रशासन, श्रद्धालुओं और समाज के सामूहिक प्रयास ने दिखाया कि कैसे एक पर्व सामुदायिक एकता का प्रतीक बन सकता है।
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चलिए बनें सजग और सहभागी नागरिक
छठ का संदेश है — साफ-सफाई, संयम और सद्भाव। इस पावन पर्व की भावना को आगे बढ़ाते हुए हमें भी अपने आसपास स्वच्छता और सामाजिक सौहार्द बनाए रखना चाहिए। अगर यह खबर आपको प्रेरणादायक लगी, तो इसे अपने मित्रों, परिवार और समुदाय समूहों में साझा करें ताकि आस्था और संस्कृति की यह भावना और गहराई तक पहुंचे।




