
#महुआडांड़ #धनतेरस : दीपोत्सव के स्वागत में सजा पूरा बाजार – घरों, दुकानों और गलियों में साफ-सफाई और सजावट की धूम
- धनतेरस और दीपावली को लेकर बाजारों में खरीदारी का उत्साह चरम पर।
- लोग घर-दुकानों की सफाई, रंग-रोगन और सजावट में जुटे।
- मिट्टी के दीये, रंगीन लाइटें और देवी-देवताओं की तस्वीरें खूब बिक रही हैं।
- सोना-चांदी महंगे होने से पीतल और स्टील के बर्तनों की मांग में इजाफा।
- स्वदेशी वस्तुओं की खरीदारी बढ़ने से स्थानीय कारीगरों और कुम्हारों को लाभ।
- दुकानदारों को इस बार अच्छे व्यवसाय की उम्मीद।
महुआडांड़ प्रखंड में धनतेरस और दीपावली का उल्लास चारों ओर दिखाई दे रहा है। बाजारों में लोगों की भीड़ बढ़ गई है और हर तरफ चहल-पहल है। दुकानों की सजावट से लेकर घरों की रंगाई-पुताई तक, हर व्यक्ति दीपोत्सव का स्वागत करने में व्यस्त है। इस बार स्वदेशी वस्तुओं की मांग बढ़ी है जिससे स्थानीय कारीगरों में खुशी का माहौल है।
दीपोत्सव के स्वागत में सजा महुआडांड़ बाजार
महुआडांड़ का मुख्य बाजार इस समय पूरी तरह दीपावली के रंग में रंग चुका है। दुकानों पर खरीदारों की भीड़ लगी हुई है। लोग दीये, मोमबत्तियां, रंग-बिरंगी झालरें, और सजावटी लाइटें खरीद रहे हैं। देवी-देवताओं की तस्वीरें, आकर्षक फ्रेम और धार्मिक सजावट के सामान की मांग भी तेजी से बढ़ी है।
दुकानदारों ने अपने प्रतिष्ठानों को आकर्षक ढंग से सजाया है ताकि ग्राहकों को त्योहार की उमंग का अनुभव हो। कई जगहों पर बच्चों और युवाओं ने घरों की सजावट में भी उत्साह से भाग लिया है, जिससे पूरे इलाके में त्योहार की चमक फैल गई है।
धनतेरस पर स्वदेशी वस्तुओं की खरीदारी में बढ़ोतरी
इस वर्ष प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के “स्वदेशी अपनाओ” आह्वान का असर ग्रामीण इलाकों तक गहराई से दिख रहा है। लोग मिट्टी के दीये, लोकल सजावटी वस्तुएं और हस्तनिर्मित उत्पादों को प्राथमिकता दे रहे हैं। पिछले वर्षों की तुलना में इस बार मिट्टी के दीयों की बिक्री में काफी इजाफा हुआ है।
स्थानीय कुम्हारों ने बताया कि इस बार उन्हें पिछले वर्षों की तुलना में अधिक ऑर्डर मिले हैं और उनकी आमदनी भी बढ़ी है। इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली है और लोगों में आत्मनिर्भरता की भावना प्रबल हुई है।
सोने-चांदी की बढ़ती कीमतों से बदला रुझान
सोना और चांदी के दामों में लगातार बढ़ोतरी के कारण आम उपभोक्ता अब अन्य धातुओं की ओर रुख कर रहे हैं। पीतल, स्टील, और कॉपर के बर्तनों की बिक्री में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। दुकानदारों का कहना है कि धनतेरस पर शुभ मानकर लोग नए बर्तन, दीये और सजावटी सामग्री खरीद रहे हैं।
कई लोग दैनिक उपयोग की वस्तुएं जैसे थाली, लोटा, दीया स्टैंड, पूजा थाली आदि खरीद रहे हैं। इससे छोटे व्यापारियों को भी काफी लाभ हुआ है।
साफ-सफाई और सजावट में जुटे लोग
घर-घर में लोग दीपावली से पहले साफ-सफाई, पुताई और सजावट में लगे हैं। महिलाएं और बच्चे मिलकर घरों को रंग-बिरंगे रंगों से सजा रहे हैं। कई परिवारों ने बाजार से नई लाइटें और सजावट सामग्री खरीदी है ताकि घर को आकर्षक बनाया जा सके।
शहर के मुख्य चौक-चौराहों और मंदिरों को भी लाइटों और झालरों से सजाया जा रहा है। इससे पूरा महुआडांड़ इस समय उत्सव के रंग में डूबा नजर आ रहा है।
व्यापारियों में उमंग और उम्मीद
दुकानदारों का कहना है कि इस वर्ष दीपावली और धनतेरस दोनों पर अच्छी बिक्री की उम्मीद है। लोगों में खरीदारी को लेकर उत्साह बढ़ा है और स्वदेशी उत्पादों की लोकप्रियता से छोटे व्यापारी लाभान्वित हो रहे हैं।
एक स्थानीय व्यापारी ने बताया कि पिछले कुछ सालों की तुलना में इस बार बाजार में अधिक चहल-पहल है और ग्राहक पहले से ज्यादा खरीदारी कर रहे हैं।
न्यूज़ देखो: त्योहारों से स्थानीय अर्थव्यवस्था में जान
महुआडांड़ की तस्वीर बताती है कि त्यौहार केवल खुशियों का प्रतीक नहीं बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देने का माध्यम भी हैं। स्वदेशी उत्पादों की बढ़ती मांग ने स्थानीय कारीगरों को नई उम्मीद दी है। सरकार और समाज दोनों को ऐसे अवसरों पर स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देना चाहिए ताकि आत्मनिर्भर भारत की राह मजबूत हो सके।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
दीपोत्सव में आत्मनिर्भरता का उजाला
दीपावली केवल दीयों की रोशनी का नहीं बल्कि आत्मनिर्भरता और सामाजिक एकता का प्रतीक है। इस धनतेरस पर यदि हर व्यक्ति एक-एक स्वदेशी उत्पाद खरीदने का संकल्प ले, तो न केवल देश की अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा बल्कि हजारों स्थानीय कारीगरों का जीवन भी प्रकाशित होगा।
सजग रहें, स्वदेशी अपनाएं और दूसरों को भी प्रोत्साहित करें। अपनी राय कमेंट करें, खबर को दोस्तों तक पहुंचाएं और इस शुभ अवसर पर जिम्मेदारी साझा करें।