
#पांकी #धार्मिक_अनुष्ठान : पांकी प्रखंड के गांव में महाअष्टमी के अवसर पर कन्या पूजन और कथा श्रवण का आयोजन, श्रद्धालुओं ने माता रानी से आशीर्वाद प्राप्त किया
- पांकी प्रखंड के चंद्रपुर गांव स्थित हनुमान मंदिर में महाअष्टमी के अवसर पर धार्मिक आयोजन सम्पन्न हुआ।
- नौ कन्याओं को पूजकर प्रसाद, दक्षिणा और चुनरी अर्पित की गई।
- कथा श्रवण का आयोजन पंडित ब्रजेश पाठक ने किया, जिसमें ग्रामीण और श्रद्धालु शामिल हुए।
- तीर्थयात्रा कर लौटे श्रद्धालु विरु सिंह, ब्रजेश सिंह और संजय सिंह ने धार्मिक आयोजन में भाग लिया।
- कार्यक्रम के अंत में सभी श्रद्धालुओं में महाप्रसाद का वितरण किया गया।
पांकी प्रखंड के चंद्रपुर गांव स्थित हनुमान मंदिर में महाअष्टमी के अवसर पर श्रद्धालुओं ने बड़ी आस्था और भक्ति के साथ कन्या पूजन और कथा श्रवण का आयोजन किया। इस दौरान नौ कन्याओं को पूजकर उन्हें प्रसाद, दक्षिणा और चुनरी अर्पित की गई और माता रानी के आशीर्वाद से लाभ प्राप्त किया गया। कार्यक्रम में शामिल सभी श्रद्धालुओं के बीच महाप्रसाद का वितरण भी किया गया।
आयोजन की रूपरेखा
इस धार्मिक आयोजन में पहले नवरात्र पर मां वैष्णो दरबार में पूजा-पाठ कर लौटे श्रद्धालु विरु सिंह, ब्रजेश सिंह और संजय सिंह मुख्य रूप से शामिल हुए। पंडित ब्रजेश पाठक ने सपरिवार कथा श्रवण कराया, जिसमें माता रानी के विभिन्न रूपों और उनकी कथाओं का उल्लेख किया गया।
श्रद्धालुओं ने बताया कि तीर्थयात्रा कर लौटने के बाद गांव में होने वाले इस आयोजन से धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक ज्ञान में वृद्धि होती है।
श्रद्धालुओं का अनुभव
विरु सिंह ने कहा: “धाम की यात्रा जीवन की भागदौड़ से मन को शांति प्रदान करती है। व्यस्तता के बीच तीर्थस्थलों पर जाने से सारे शोक-संताप मिट जाते हैं और मन को गहरा सुकून मिलता है।”
ब्रजेश सिंह ने कहा: “ऐसे धार्मिक स्थलों की यात्रा से हमारी सभ्यता और संस्कृति की गहरी जानकारी प्राप्त होती है, जो जीवन को नई दिशा देती है।”
न्यूज़ देखो: धार्मिक आयोजन और आस्था का संगम
महाअष्टमी पर आयोजित यह कार्यक्रम स्पष्ट करता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में धार्मिक आयोजन सिर्फ आस्था का प्रदर्शन नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक चेतना बढ़ाने का भी माध्यम हैं। श्रद्धालुओं ने माता रानी के आशीर्वाद से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि की कामना की।
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आस्था और संस्कृति के प्रति प्रतिबद्धता
धार्मिक आयोजनों में सक्रिय भागीदारी से हमारी संस्कृति और परंपराओं का संरक्षण होता है। हमें इन अवसरों पर सामूहिक रूप से जुड़कर अपने समाज में भाईचारा और सांस्कृतिक जागरूकता फैलानी चाहिए। अपनी राय कमेंट करें, इस खबर को साझा करें और माता रानी के आशीर्वाद के साथ अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाएं।