
#गढ़वा #शहादतदिवस : शहीद आशीष तिवारी की प्रतिमा पर माल्यार्पण, परिजनों से मिला सीआरपीएफ
- गढ़वा में 172 बटालियन सीआरपीएफ ने शहादत दिवस मनाया।
- शहीद आशीष कुमार तिवारी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया।
- परिजनों से मुलाकात कर सम्मान और कुशलक्षेम जाना गया।
- विद्यालय परिसर में छात्रों को शहीद की प्रेरणा से अवगत कराया गया।
- स्थानीय ग्रामीण, अधिकारी और जवान कार्यक्रम में शामिल हुए।
गढ़वा के 172 बटालियन सीआरपीएफ मुख्यालय में 26 जुलाई को शहादत दिवस के मौके पर शहीद जवानों को नमन किया गया। कार्यक्रम में शहीद सिपाही आशीष कुमार तिवारी (शौर्य चक्र, मरणोपरांत) को विशेष श्रद्धांजलि दी गई। अधिकारी दल ने उनके पैतृक गांव पहुंचकर प्रतिमा पर माल्यार्पण किया और परिजनों को सम्मानित किया।
शहीदों की याद में गढ़वा का भावुक पल
गढ़वा में शहादत दिवस का आयोजन पूरी गरिमा के साथ हुआ। इस दौरान 172 बटालियन सीआरपीएफ के अधिकारी उप कमांडेंट उमाकांत ओझा ने शहीद आशीष तिवारी के पैतृक गांव चेवरिया (अटौला) स्थित प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। अधिकारी दल ने परिजनों से मिलकर उनका हालचाल जाना और कहा कि सीआरपीएफ हमेशा शहीद परिवारों के साथ खड़ा रहेगा।
उप कमांडेंट उमाकांत ओझा: “शहीदों की शहादत को कभी भुलाया नहीं जा सकता। उनका बलिदान हम सबके लिए प्रेरणा है।”
बच्चों को दी गई प्रेरणा की सीख
इस मौके पर प्रोजेक्ट उच्च विद्यालय अटौला के शिक्षकों और विद्यार्थियों को शहादत दिवस का महत्व बताया गया। अधिकारियों ने शहीद आशीष तिवारी के जीवन और साहसिक कार्यों की चर्चा की। छात्रों से देश सेवा के प्रति समर्पित रहने का आह्वान किया गया।
स्थानीय सहभागिता और सम्मान
समारोह में निरीक्षक जीडी यशवीर सिंह के अलावा बटालियन के अन्य जवान, शिक्षक और ग्रामीण बड़ी संख्या में मौजूद रहे। सभी ने एक सुर में शहीदों की अमर गाथा को याद करते हुए देशभक्ति के भाव को मजबूत करने की बात कही।



न्यूज़ देखो: शहादत की मिसाल से सीखने की जरूरत
गढ़वा में आयोजित यह कार्यक्रम सिर्फ एक औपचारिकता नहीं था, बल्कि समाज को यह याद दिलाने का संदेश था कि देश की सुरक्षा में दिया गया बलिदान सबसे बड़ा होता है। हमें न सिर्फ शहीदों को सम्मान देना चाहिए, बल्कि उनके सपनों को पूरा करने की दिशा में काम करना चाहिए।
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अब हमारी बारी: शहीदों के सपनों का भारत बनाएं
शहीदों की कुर्बानी व्यर्थ न जाए, इसके लिए समाज को एकजुट होकर शिक्षा, सेवा और जागरूकता में आगे बढ़ना होगा। अपनी राय कमेंट करें, इस खबर को शेयर करें और शहीदों की गाथा को हर घर तक पहुंचाएं।