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सावन की अंतिम सोमवारी पर बाबा टांगीनाथ धाम में श्रद्धालुओं का महासैलाब, गूंजा हर-हर महादेव

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#Dumri #ShraddhaAurAstha : अंतिम सोमवारी पर शिवभक्तों का आस्था से भरा संगम — टांगीनाथ धाम में उमड़ी रिकॉर्ड भीड़
  • सावन की अंतिम सोमवारी पर बाबा टांगीनाथ धाम में लगभग एक लाख श्रद्धालु पहुंचे।
  • झारखंड के साथ छत्तीसगढ़, उड़ीसा, बंगाल सहित अन्य राज्यों से शिवभक्तों की भारी आमद।
  • पुलिस प्रशासन और स्वयंसेवी संगठनों ने भीड़ को नियंत्रित करने में निभाई अहम भूमिका।
  • श्रद्धालुओं के लिए भंडारा, पेयजल, स्नानागार और पार्किंग की रही बेहतरीन व्यवस्था।
  • पूरे परिसर में गूंजे हर-हर महादेव और बोल बम के जयघोष।

सुबह से शुरू हुआ शिवभक्तों का रेला

डुमरी प्रखंड स्थित बाबा टांगीनाथ धाम में सोमवार सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लग गया। सावन की अंतिम सोमवारी पर लगभग एक लाख भक्तों ने जलाभिषेक कर सुख, शांति और समृद्धि की कामना की। अहले सुबह से ही लोग कतारबद्ध होकर शिवलिंग पर जल अर्पित करने का इंतजार करते नजर आए।

विभिन्न राज्यों से उमड़े श्रद्धालु

श्रद्धालुओं में झारखंड के अलावा छत्तीसगढ़, ओडिशा, बंगाल और अन्य राज्यों से आए लोग शामिल थे। बाबा टांगीनाथ की ख्याति दूर-दूर तक फैली होने के कारण यहां हर साल सावन में विशाल मेले जैसा माहौल रहता है। इस बार भी श्रद्धा और आस्था का अद्भुत नजारा देखने को मिला।

सुरक्षा और व्यवस्था रही सख्त

श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे। पुलिस बल, वॉलंटियर्स और बाबा टांगीनाथ धाम विकास समिति के सदस्य पूरी मुस्तैदी से व्यवस्था संभालते दिखे। पार्किंग, स्नानागार, पेयजल और शौचालय की व्यवस्था दुरुस्त रही, जिससे भक्तों को कोई असुविधा नहीं हुई।

कांवरियों की टोली ने बढ़ाया उत्साह

इस अवसर पर करीब एक हजार कांवरिए अपनी टोली के साथ पहुंचे। रास्ते भर गूंजते रहे “जय बाबा टांगीनाथ” और “बोल बम” के जयघोष। मंदिर परिसर में डमरू और ढोल की थाप ने माहौल को पूर्ण रूप से शिवमय बना दिया।

सामाजिक संगठनों की सेवा

श्रद्धालुओं की सेवा में सामाजिक संगठनों और स्थानीय समितियों ने भंडारे का आयोजन किया। हजारों भक्तों ने प्रसाद ग्रहण कर पुण्य अर्जित किया। इस दौरान पूरे परिसर में महाशिवरात्रि मेले जैसी भीड़ देखने को मिली।

न्यूज़ देखो: शिवभक्ति और सामाजिक एकता का अद्भुत संगम

बाबा टांगीनाथ धाम में उमड़ी यह भीड़ सिर्फ आस्था का प्रतीक नहीं, बल्कि सामाजिक एकता और सांस्कृतिक गौरव का भी संदेश देती है। प्रशासन, सामाजिक संगठनों और श्रद्धालुओं की साझी जिम्मेदारी ने इस आयोजन को सफल बनाया। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

आस्था से जुड़कर समाज को मजबूत करें

सावन की इस अंतिम सोमवारी ने हमें यह संदेश दिया कि सामूहिक श्रद्धा, अनुशासन और सेवा भाव से हर आयोजन सफल होता है। आप भी ऐसे धार्मिक आयोजनों में अपनी सकारात्मक भागीदारी दें। इस खबर पर अपनी राय कमेंट करें, और इसे अपने मित्रों व परिवार के साथ शेयर करना न भूलें

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