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सिमडेगा में सावन की अंतिम सोमवारी पर उमड़ा आस्था का जनसैलाब, शंख नदी से शिवालयों तक कांवरियों का सैलाब गूंजा हर-हर महादेव

#सिमडेगा #सोमवारी : शंख नदी के पवित्र संगम तट से शिवालयों तक कांवरियों की लंबी कतारें, बोल बम के नारों से गूंजा पूरा शहर

सावन की अंतिम सोमवारी पर सिमडेगा जिले में धार्मिक आस्था का अद्भुत नजारा देखने को मिला। अहले सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ शंख नदी के पवित्र संगम तट पर जुटने लगी। बोल बम और हर-हर महादेव के जयकारों के बीच कांवरियों ने जलाभिषेक के लिए लंबी यात्रा शुरू की। भगवा परिधान में सजे पुरुष, महिलाएं, युवा और बच्चे आस्था के सैलाब में पूरी तरह डूबे नजर आए। सड़कें, गलियां और मंदिर परिसर भक्तों से खचाखच भरे रहे, जबकि शहर का हर कोना शिवमय हो उठा।

शंख नदी संगम से शिवालयों तक कांवरियों का उमड़ा हुजूम

सिमडेगा की शंख नदी के पवित्र संगम तट से कांवर यात्रा की शुरुआत हुई। दूर-दराज के गांवों और कस्बों से आए भक्त अपने कांवर के साथ जल लेने पहुंचे। इसके बाद उन्होंने विभिन्न शिवालयों की ओर प्रस्थान किया। पूरे मार्ग पर बोल बम और हर-हर महादेव के नारे गूंजते रहे। जहां तक नजर जाती थी, भगवा परिधान में लिपटे कांवरियों की कतारें ही दिखाई देती थीं। श्रद्धालु नृत्य करते, गाते हुए जयकारे लगाते आगे बढ़ते रहे।

प्रशासन ने की सख्त सुरक्षा व्यवस्था, समाजसेवियों ने बढ़ाया हाथ

भारी भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन ने पहले से सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे। हर प्रमुख स्थान पर पुलिस बल की तैनाती की गई थी। ट्रैफिक को नियंत्रित करने के लिए अलग से कर्मी तैनात रहे। वहीं स्थानीय समाजसेवी संगठनों ने जगह-जगह जलपान शिविर लगाए, जहां कांवरियों को पानी, शरबत और प्रसाद उपलब्ध कराया गया। इसके अलावा मेडिकल टीम भी अलर्ट पर रही ताकि किसी भी आपात स्थिति से निपटा जा सके।

धार्मिक उत्साह के साथ दिखा प्राकृतिक सौंदर्य का संगम

शंख नदी का पवित्र संगम और उसके आसपास की प्राकृतिक सुंदरता ने श्रद्धालुओं की थकान को भी दूर कर दिया। लोग पूजा-अर्चना के बाद नदी किनारे रुककर दृश्य का आनंद लेते दिखे। कई श्रद्धालु अपने परिवार के साथ यहां पहुंचे थे, जिसने इस यात्रा को एक आध्यात्मिक और पारिवारिक उत्सव का रूप दे दिया।

न्यूज़ देखो: सिमडेगा की आस्था का अद्भुत संगम और प्रशासन की सराहनीय तैयारी

सावन की अंतिम सोमवारी पर उमड़ा यह जनसैलाब न केवल धार्मिक आस्था की झलक दिखाता है, बल्कि यह बताता है कि बेहतर प्रबंधन और समाज की भागीदारी से बड़े आयोजनों को सफल बनाया जा सकता है। श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधा सुनिश्चित करने में प्रशासन और स्थानीय संगठनों ने जिस मुस्तैदी का परिचय दिया, वह प्रशंसनीय है। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

आस्था और सजगता से बनता है समाज मजबूत

यह दृश्य सिर्फ आस्था का नहीं, बल्कि सामाजिक एकजुटता का प्रतीक भी है। अब समय है कि हम ऐसे आयोजनों को और अधिक सुव्यवस्थित और पर्यावरण के अनुकूल बनाने में योगदान दें। अपनी राय कमेंट करें और इस खबर को दोस्तों के साथ शेयर करें ताकि अधिक से अधिक लोग इस सकारात्मक संदेश से जुड़ सकें।

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