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गणेश चतुर्थी के उपलक्ष्य पर महुआडांड़ में आर्यन संघ द्वारा भव्य भंडारा आयोजित, हज़ारों भक्तों ने पाया प्रसाद

#महुआडांड़ #श्रीगणेशचतुर्थी : मूर्ति विसर्जन कल दोपहर में होगा, बिजली आपूर्ति रहेगी बाधित

महुआडांड़ प्रखंड मुख्यालय में श्री गणेश चतुर्थी के उपलक्ष्य में आर्यन संघ द्वारा आयोजित सात दिवसीय पूजा उत्सव का भव्य आयोजन जारी है। इसी क्रम में संघ द्वारा सोमवार को विशाल भंडारा किया गया। इस अवसर पर भारी संख्या में श्रद्धालु एकत्र हुए और प्रसाद ग्रहण किया।

गणमान्य लोगों की उपस्थिति में हुआ शुभारंभ

भंडारे का उद्घाटन किराना व्यवसायी आलोक जायसवाल, होंडा शोरूम के प्रोपराइटर श्रीमान शुक्ला, विहिप के प्रदीप जायसवाल और समाजसेवी बिहारी जायसवाल सहित समिति के सहयोगी उत्तम गुप्ता एवं सोनू दास ने सामूहिक फीता काटकर किया। कार्यक्रम में भक्तों का उत्साह देखने लायक था।

पंडाल और लाइटिंग से सजा शिव मंदिर परिसर

आर्यन संघ के पंकज दास बाबू ने बताया कि बीते दस वर्षों से बाजार शिव मंदिर परिसर में गणेश पूजा का आयोजन किया जा रहा है। इस वर्ष आकर्षक पंडाल और भव्य लाइटिंग सजावट ने माहौल को और भी मनमोहक बना दिया है।

आयोजन समिति की सक्रिय भूमिका

इस पूजा को भव्य बनाने में अभिषेक कुमार, अमित पांडेय, पंकज दास बाबू, विकास कुमार भोला, सत्यम कुमार, हंस कुमार, निकेश कुमार, भोला केशरी, मन्नू कुमार, करण कुमार, संतोष जायसवाल, विवेक शर्मा, ऋषभ सोनी, रोहित कुमार, विशेष जायसवाल, अभिषेक प्रजापति, अंशु कुमार, सूरज कुमार, अनूप कुमार, सूरज केशरी, प्रियांशु बजरंगी, सुरेश कुमार, मोनू गुप्ता, आशित कुमार, मोती लाल, मनीष कुमार, आकाश कुमार, शौर्य कुमार और प्रियांशु कुमार ने विशेष योगदान दिया।

कल होगा मूर्ति विसर्जन

आर्यन संघ की ओर से बताया गया कि मूर्ति विसर्जन का कार्यक्रम मंगलवार को दोपहर 12 बजे से आयोजित होगा। इस दौरान बिजली विभाग (जेई रामजी प्रसाद यादव) ने जानकारी दी है कि विसर्जन कार्यक्रम के समय क्षेत्र में बिजली आपूर्ति बाधित रहेगी।

न्यूज़ देखो: आस्था और भक्ति का संगम

महुआडांड़ का गणेश उत्सव सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि सामाजिक एकता और सामूहिकता का प्रतीक है। जब हजारों लोग एक साथ जुड़ते हैं, तो यह त्योहार सामूहिक भक्ति और सहयोग की मिसाल पेश करता है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

समाज और संस्कृति को जोड़ने वाला पर्व

अब समय है कि हम सभी इस तरह के आयोजनों को केवल आस्था का नहीं बल्कि सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक मानें। आइए, अपनी राय कॉमेंट करें और इस खबर को दोस्तों के साथ शेयर करें ताकि अधिक लोग इस प्रेरणा का हिस्सा बनें।

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