
#लातेहार #किसान_आंदोलन : बिजली ट्रांसफॉर्मर, पोल और तार की मांग को लेकर अठुला-चटुआग के किसानों का धरना जारी — महिलाओं ने जताया शांतिपूर्ण प्रतिरोध।
- सांसद आदर्श ग्राम अठुला-चटुआग में किसानों का आंदोलन दूसरे दिन भी जारी रहा।
- आधा दर्जन महिलाओं ने जमीन समाधि सत्याग्रह कर सरकार से बिजली सुविधा की मांग की।
- आंदोलन का नेतृत्व पंचायत समिति सदस्य अयुब खान ने किया।
- गांव के दर्जनों टोलों में आज तक पोल और बिजली तार नहीं लगाए गए हैं।
- ग्रामीण बांस-बल्ली के सहारे बिजली जलाने को मजबूर, सुरक्षा जोखिम बढ़ा।
लातेहार जिले के चंदवा प्रखंड स्थित सांसद आदर्श ग्राम अठुला-चटुआग के किसानों का आंदोलन दूसरे दिन भी जारी रहा। इस दौरान आधा दर्जन महिलाओं ने जमीन समाधि सत्याग्रह करते हुए बिजली पोल, ट्रांसफॉर्मर और तार लगाने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। ग्रामीणों का कहना है कि वर्षों से मांग करने के बावजूद क्षेत्र में विद्युतीकरण का कार्य अधूरा है।
मूलभूत बिजली सुविधा से अब भी वंचित चटुआग
पंचायत समिति सदस्य अयुब खान ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार का लक्ष्य हर घर तक बिजली पहुंचाना है, लेकिन जब तक पोल और तार नहीं लगाए जाएंगे, तब तक यह योजना धरातल पर पूरी नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि अठुला, कारी टोंगरी, उबका पानी, पहना पानी, परहैया टोला, लोहराही, पोक्या, चोरझरिया, पुरंमपनियां, भेलवाही, बगडेगवा और चरकापत्थल जैसे दर्जनों टोलों में अब तक बिजली का खंभा नहीं लगाया गया है।
अयुब खान ने कहा: “आजादी के 75 साल बाद भी इन टोलों में लोगों को बांस और पेड़ों के सहारे बिजली जलानी पड़ रही है — यह हमारे विकास मॉडल पर सवाल खड़ा करता है।”
बांस और पेड़ों से लटक रहे तार, खतरे में ग्रामीणों की जान
ग्रामीणों ने बताया कि पोल और तार के अभाव में वे बांस-बल्ली और लकड़ी के खंभों के सहारे बिजली उपयोग कर रहे हैं। समय के साथ यह लकड़ी सड़कर टूट जाती है, जिससे करंट लगने और आग लगने का खतरा हमेशा बना रहता है। यह स्थिति न केवल अव्यवस्था को दर्शाती है, बल्कि ग्रामीणों की सुरक्षा को भी खतरे में डालती है।
महिलाओं ने संभाला आंदोलन का नेतृत्व
आंदोलन के दूसरे दिन महिलाएं भी आगे आईं और जमीन समाधि सत्याग्रह कर सरकार से तत्काल कार्रवाई की मांग की। महिलाओं ने कहा कि उन्हें अपने बच्चों की सुरक्षा और घर की रोशनी दोनों की चिंता है। वे चाहती हैं कि सरकार जल्द से जल्द गांव में ट्रांसफॉर्मर और पोल लगवाए, ताकि अंधेरे से छुटकारा मिल सके।
सत्याग्रह में वीनीता कोनगाड़ी, फगुनी भेंगरा, फुलो भेंगरा, सनीयारो हेरेंज, सीमा केरकेट्टा, जीदन टोपनो, सनीका मुंडा, नेमा परहैया, बेने मुंडा, ललूआ गंझु, दिलवा गंझु, महेश गंझु, सुखु नगेशिया, पलिंजर गंझु, सुखू मुंडा, मंगु मुंडा, सिमॉन भेंगरा, धुमा भेंगरा, दाउद होरो, अंधरियस टोपनो, मागरेट टोपनो, मुक्ता टोपनो, और अमीत भेंगरा सहित दर्जनों किसान उपस्थित रहे।
“विकास योजनाएं केवल कागज पर”
अयुब खान ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिन किसानों के दम पर देश की अर्थव्यवस्था टिकी है, वही किसान आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। उन्होंने कहा कि सरकारें योजनाएं तो बनाती हैं, पर उनका धरातली क्रियान्वयन कमजोर है।
उन्होंने सरकार से मांग की कि जल्द से जल्द चटुआग के सभी टोलों में पोल और तार लगाकर बिजली आपूर्ति शुरू की जाए।
अयुब खान ने कहा: “समाज में सबसे निचले पायदान पर खड़े लोगों की पहचान अब भी विकास की सूची में गायब है। यह स्थिति लोकतंत्र के लिए गंभीर चिंता का विषय है।”
न्यूज़ देखो: जब धरती की कोख से उठी आवाज़
लातेहार के इस आंदोलन ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि गांवों तक विकास की रोशनी अभी नहीं पहुंची। महिलाओं का जमीन समाधि सत्याग्रह सरकार के लिए चेतावनी है कि ग्रामीण अब अपने अधिकारों के लिए सड़क से लेकर धरती तक संघर्ष करेंगे। बिजली जैसी मूलभूत आवश्यकता पर सरकार की लापरवाही सामाजिक असमानता को और गहरा करती है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
ग्रामीण विकास की असली परीक्षा
चटुआग की यह कहानी सिर्फ बिजली की नहीं, बल्कि व्यवस्था की उस लाचारी की है जो आज भी आम आदमी को अंधेरे में रखे हुए है।
अब समय है कि शासन और प्रशासन मिलकर ऐसी नीतियों को धरातल पर उतारें, जिनसे अंतिम व्यक्ति तक विकास पहुंचे।
आइए, हम सब इस आंदोलन की भावना को समझें — जागरूक बनें, आवाज उठाएं और सरकार से जवाब मांगें।
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