
#लातेहार #विश्वआदिवासीदिवस : आदिवासी एकता, संस्कृति और अधिकारों की रक्षा के लिए 27 किमी लंबी शोभायात्रा और श्रद्धांजलि समारोह आयोजित
- छेछाड़ी आदिवासी जागृति मंच ने महुआडांड़ से पकरीपाठ तक 27 किमी लंबी शोभायात्रा का आयोजन किया।
- शहीद चौक, बिरसा चौक एवं ब्लॉक परिसर में वीर आदिवासी पूर्वजों को पुष्पांजलि अर्पित की गई।
- पारंपरिक विधि-विधान से पाहन और बैगा ने पूजा-अर्चना की।
- बच्चों के लिए खेलकूद प्रतियोगिता और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए।
- झारखंड निर्माता शिबू सोरेन को भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई।
- आदिवासियों के अधिकारों की सुरक्षा और परंपरा के संरक्षण का जोरदार संदेश दिया गया।
विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर लातेहार के महुआडांड़ और पकरीपाठ में छेछाड़ी आदिवासी जागृति मंच द्वारा एक भव्य शोभायात्रा और श्रद्धांजलि समारोह आयोजित किया गया। इस आयोजन में आदिवासी वीरों को पुष्पांजलि अर्पित करते हुए उनकी बलिदान की याद ताजा की गई और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से आदिवासी समुदाय की एकता, परंपरा और अधिकारों पर चर्चा की गई। यह आयोजन आदिवासी समाज की सांस्कृतिक चेतना और अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने का महत्वपूर्ण प्रयास साबित हुआ।
वीर आदिवासी पूर्वजों को श्रद्धांजलि और भव्य शोभायात्रा
कार्यक्रम की शुरुआत महुआडांड़ के शहीद चौक, रेसिडेंशल स्कूल, बिरसा चौक और ब्लॉक परिसर में वीर आदिवासी किसानों की प्रतिमाओं पर पुष्पांजलि अर्पित कर हुई। श्रद्धांजलि देने के बाद शोभायात्रा निकाली गई जो करीब 27 किलोमीटर की दूरी तय कर पकरीपाठ स्थित कार्यक्रम स्थल तक पहुंची। इस यात्रा में आदिवासी समाज के विभिन्न वर्गों के लोग शामिल थे जो अपने पूर्वजों के प्रति सम्मान व्यक्त कर रहे थे।
पारंपरिक पूजा-अर्चना और सांस्कृतिक कार्यक्रम
पकरीपाठ में शोभायात्रा के समापन पर पाहन और बैगा के नेतृत्व में पारंपरिक विधि-विधान से पूजा-अर्चना की गई। इसके बाद बच्चों के लिए खेलकूद प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं, जो आदिवासी युवा पीढ़ी के उत्साह और प्रतिभा को दर्शाती थीं। साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रमों के जरिए आदिवासी परंपरा, भाषा और लोकनृत्य की प्रस्तुति भी दी गई। इस दौरान समुदाय के सदस्यों ने एकजुटता और अधिकारों की रक्षा का संदेश भी दिया।
आदिवासी अधिकारों की रक्षा और चेतना का संदेश
कार्यक्रम के दौरान “आदिवासियों के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित हो” का जोरदार नारा लगाया गया। यह दिवस केवल उत्सव का नहीं, बल्कि संविधान, संस्कृति और चेतना के संरक्षण का दिन बताया गया। झारखंड के आदिवासी नेता और निर्माता दिशोम गुरु शिबू सोरेन को श्रद्धांजलि दी गई और उनके आदिवासी संघर्षों को याद करते हुए उनके पदचिह्नों पर चलने का संकल्प लिया गया।
अन्य क्षेत्रों में भी आदिवासी दिवस का उल्लास
इसी प्रकार 21 पड़हा समिति, चटकपुर में आदिवासी नेता अजीत पाल कुजूर के नेतृत्व में सांस्कृतिक कार्यक्रम और नृत्य प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने भाग लिया और आदिवासी संस्कृति का उत्सव मनाया।

न्यूज़ देखो: आदिवासी संस्कृति और अधिकारों की मजबूती का परिचायक
विश्व आदिवासी दिवस पर लातेहार में हुए आयोजन ने आदिवासी समाज की सांस्कृतिक चेतना और अधिकारों के प्रति उनकी सजगता को उजागर किया। यह दिवस आदिवासी समुदाय के अधिकारों की सुरक्षा, उनके संघर्षों की याद और सांस्कृतिक संरक्षण का महत्वपूर्ण प्रतीक है। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
आदिवासी एकता और संस्कृति की रक्षा में हम सबकी भूमिका अहम
आइए हम सब मिलकर आदिवासी समाज की सांस्कृतिक विरासत को संजोएं और उनके अधिकारों के प्रति सजग रहें। अपने आसपास जागरूकता फैलाएं, इस खबर को शेयर करें और अपनी राय कमेंट में जरूर बताएं। अब समय है कि हम सब इस बदलाव में योगदान दें।