
#पाकरटांड़ #मनरेगा_प्रशिक्षण : फिया फाउंडेशन द्वारा आयोजित एकदिवसीय प्रशिक्षण में मेटों को रोजगार प्रक्रियाओं, सामाजिक अंकेक्षण और कार्यस्थल सुविधाओं की दी गई विस्तृत जानकारी
- 13 दिसंबर 2025 को पाकरटांड़ प्रखंड में मनरेगा मेटों का एकदिवसीय प्रशिक्षण आयोजित।
- आयोजन फिया फाउंडेशन के तत्वावधान में किया गया।
- प्रशिक्षण की थीम रही हर मेट हर काम हर दिन।
- प्रखंड समन्वयक समीर किस्पोट्टा और प्रोजेक्ट्स कॉर्डिनेटर अमर केवट ने किया शुभारंभ।
- जॉब कार्ड निबंधन, मजदूरी भुगतान, बेरोजगारी भत्ता और कार्यस्थल सुविधाओं पर सत्र।
- प्रशिक्षण के समापन पर मेटों से निरंतर सहयोग की अपील की गई।
पाकरटांड़ प्रखंड में मनरेगा के प्रभावी क्रियान्वयन को लेकर एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए 13 दिसंबर 2025 को प्रखंड के सभी मनरेगा मेटों का एकदिवसीय क्षमता विकास प्रशिक्षण सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। यह प्रशिक्षण फिया फाउंडेशन के द्वारा आयोजित किया गया, जिसमें मेटों को मनरेगा से जुड़ी विभिन्न रोजगार प्रक्रियाओं, सामाजिक अंकेक्षण और कार्यस्थल से संबंधित आवश्यक सुविधाओं की विस्तृत जानकारी दी गई। प्रशिक्षण का उद्देश्य मेटों की कार्यक्षमता बढ़ाकर ग्रामीण रोजगार की गुणवत्ता में सुधार लाना रहा।
प्रशिक्षण का शुभारंभ और उद्देश्य
कार्यक्रम का शुभारंभ प्रखंड समन्वयक समीर किस्पोट्टा और प्रोजेक्ट्स कॉर्डिनेटर अमर केवट ने संयुक्त रूप से किया। उद्घाटन सत्र में वक्ताओं ने मनरेगा योजना के सफल संचालन में मेटों की भूमिका को अत्यंत महत्वपूर्ण बताया।
समीर किस्पोट्टा ने कहा: “मनरेगा के सफल क्रियान्वयन के लिए मेटों की क्षमता को निरंतर मजबूत करना आवश्यक है। इस तरह के प्रशिक्षण से मेटों की कार्यकुशलता बढ़ती है और योजना का लाभ सही लोगों तक समय पर पहुंचता है।”
उन्होंने कहा कि मेट जमीनी स्तर पर योजना के सबसे अहम कड़ी होते हैं, इसलिए उनका प्रशिक्षित होना बेहद जरूरी है।
रोजगार प्रक्रियाओं पर विस्तृत सत्र
प्रशिक्षण के दौरान मनरेगा से संबंधित विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों पर अलग-अलग सत्र आयोजित किए गए। इनमें जॉब कार्ड निबंधन, काम की मांग की प्रक्रिया, समय पर मजदूरी भुगतान, बेरोजगारी भत्ता और कार्यस्थल पर मूलभूत सुविधाएं शामिल रहीं।
मेटों को बताया गया कि किस प्रकार मजदूरों से समय पर काम की मांग दर्ज कराई जाए और भुगतान में देरी होने पर नियमानुसार कार्रवाई की जानकारी दी जाए। इसके साथ ही मजदूरों के अधिकारों और उनकी शिकायतों के समाधान की प्रक्रिया पर भी प्रकाश डाला गया।
कार्यस्थल सुविधाएं और सुरक्षा पर जोर
प्रशिक्षण में कार्यस्थल पर उपलब्ध कराई जाने वाली सुविधाओं जैसे पानी, छाया, प्राथमिक उपचार, दुर्घटना बीमा और मुआवजा प्रावधान पर विशेष रूप से चर्चा की गई।
अमर केवट ने कहा: “कार्यस्थल पर सुविधाएं सुनिश्चित करना केवल नियम नहीं, बल्कि मजदूरों की सुरक्षा और सम्मान से जुड़ा विषय है। मेटों को इन प्रावधानों की पूरी जानकारी होना जरूरी है।”
उन्होंने कहा कि दुर्घटना की स्थिति में मुआवजा प्रक्रिया को लेकर मेटों की भूमिका अहम होती है।
सामाजिक अंकेक्षण और पारदर्शिता
प्रशिक्षण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा सामाजिक अंकेक्षण को लेकर रहा। मेटों को बताया गया कि सामाजिक अंकेक्षण के माध्यम से मनरेगा कार्यों में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जाती है। इससे न केवल भ्रष्टाचार पर रोक लगती है, बल्कि ग्रामीणों का विश्वास भी मजबूत होता है।
वक्ताओं ने कहा कि मेट यदि नियमों की सही जानकारी रखेंगे, तो वे सामाजिक अंकेक्षण में भी प्रभावी भूमिका निभा सकेंगे।
पूर्व अनुभवों और भविष्य की तैयारी
फिया फाउंडेशन ने बताया कि इसी तरह के एकदिवसीय प्रशिक्षण सत्र पूर्व में भी कई जिलों में आयोजित किए जा चुके हैं। उन सत्रों में जल संरक्षण, जॉब कार्ड प्रबंधन और सामाजिक अंकेक्षण जैसे विषयों को कवर किया गया था, जिनके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं।
पाकरटांड़ प्रखंड में भी यह प्रशिक्षण मेटों को नवीनतम नियमों और प्रक्रियाओं से अपडेट रखने के उद्देश्य से आयोजित किया गया, ताकि चल रहे और आगामी मनरेगा कार्यों को और अधिक प्रभावी बनाया जा सके।
समापन और धन्यवाद ज्ञापन
प्रशिक्षण के अंत में फिया फाउंडेशन के प्रखंड समन्वयक समीर किस्पोट्टा ने सभी मेटों का धन्यवाद ज्ञापन किया और भविष्य में भी इसी तरह के सहयोग की अपेक्षा जताई।
समीर किस्पोट्टा ने कहा: “आप सभी के सहयोग से ही मनरेगा योजना को सफल बनाया जा सकता है। हमें उम्मीद है कि आज की सीख का उपयोग आप अपने कार्यक्षेत्र में करेंगे।”
उन्होंने विश्वास जताया कि इस पहल से पाकरटांड़ प्रखंड में मनरेगा के कार्यान्वयन में नई ऊर्जा का संचार होगा।
न्यूज़ देखो: जमीनी स्तर पर मनरेगा को मजबूत करने की पहल
यह प्रशिक्षण दर्शाता है कि मनरेगा को केवल कागजी योजना नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर प्रभावी बनाने की दिशा में गंभीर प्रयास किए जा रहे हैं। मेटों की क्षमता बढ़ाने से रोजगार कार्यों की गुणवत्ता और पारदर्शिता दोनों में सुधार होगा। प्रशासन और सामाजिक संस्थाओं को ऐसी पहलों को निरंतर जारी रखना चाहिए। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
प्रशिक्षित मेट, सशक्त गांव
मनरेगा का असली लाभ तभी मिलेगा जब योजना को लागू करने वाले लोग पूरी तरह प्रशिक्षित और जागरूक हों। पाकरटांड़ में आयोजित यह प्रशिक्षण गांवों में रोजगार, सम्मान और पारदर्शिता की दिशा में एक मजबूत कदम है। यदि ऐसे प्रयास लगातार होते रहें, तो ग्रामीण विकास को नई गति मिल सकती है।





