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गिरिडीह में खुले नाले ने ली मासूम की जान: दो वर्षीय रौशन का शव 16 घंटे बाद खेत में मिला

#गिरिडीह #दुर्घटना : गांधी चौक के पास खुले नाले में दो वर्षीय मासूम बहा 16 घंटे बाद शव बरामद

गिरिडीह शहर शनिवार की शाम दर्दनाक हादसे का गवाह बना जब भारी बारिश के दौरान गांधी चौक के पास खुले नाले में मंगरोडीह गांव का मासूम रौशन कुमार बह गया। मासूम अपने माता-पिता के साथ कपड़े खरीदने बाजार आया था। तेज बारिश से बचने के लिए वे शेड के नीचे खड़े थे, तभी अचानक नजदीक का खुला नाला रौशन के लिए मौत का जाल बन गया। लगभग 16 घंटे तक चले प्रयासों के बाद रविवार सुबह उसका शव झरियागादी के पास एक खेत से बरामद हुआ। इस घटना से पूरे शहर में मातम पसर गया और नगर निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो गए।

हादसे की भयावह तस्वीर

शनिवार शाम को गांधी चौक पर चारों ओर पानी भरा हुआ था। लोग बारिश से बचने के लिए दुकानों और शेड के नीचे खड़े थे। इसी दौरान मंगरोडीह निवासी दीपक ठाकुर का पुत्र रौशन कुमार अचानक खुले नाले में गिर गया और पानी की तेज धारा में बह गया। परिजन और आसपास खड़े लोग चीखते-चिल्लाते रह गए, लेकिन बच्चा बहकर दूर चला गया।

रेस्क्यू ऑपरेशन और शव बरामदगी

घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय लोगों और नगर प्रशासन ने मिलकर बच्चे को ढूंढ़ने का प्रयास शुरू किया। घंटों तक खोजबीन चलती रही। आखिरकार रविवार सुबह झरियागादी के पास एक खेत में मासूम का शव मिला। हादसे के बाद परिवार में कोहराम मच गया। बच्चे के दादा-दादी, मां-पिता और परिजन बेसुध हो गए।

परिवार और शहर में मातम

रविवार सुबह जब रौशन का शव घर पहुंचा तो पूरा गांव और इलाका रो पड़ा। हर किसी की आंखों में आंसू थे। परिवार की स्थिति बेहद दयनीय है। पूरे गिरिडीह में शोक की लहर है और लोग नगर निगम की जिम्मेदारी पर सवाल उठा रहे हैं। परिजनों और ग्रामीणों का कहना है कि अगर नाला ढका होता तो यह हादसा टल सकता था।

लोगों का आक्रोश और मांगें

हादसे के बाद स्थानीय लोगों ने नगर निगम से मांग की है कि शहर के सभी खुले नालों को तत्काल सुरक्षित किया जाए। उन्होंने कहा कि बारिश के मौसम में यह नाले बड़े खतरे साबित हो सकते हैं। ऐसी घटनाओं से बचने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए।

एक स्थानीय निवासी ने कहा: “हर साल बारिश में यही हाल होता है, खुले नाले किसी न किसी की जान ले लेते हैं। प्रशासन कब जागेगा?”

प्रशासन पर उठे सवाल

यह घटना गिरिडीह शहर के बुनियादी ढांचे की खामियों को उजागर करती है। नगर निगम द्वारा समय रहते सुरक्षा इंतजाम न करने से मासूम की जान गई। लोग सवाल पूछ रहे हैं कि आखिरकार शहर में नालों को ढकने और सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने में इतनी लापरवाही क्यों हो रही है।

न्यूज़ देखो: मासूम की मौत से खुली नगर प्रशासन की पोल

गिरिडीह की यह घटना सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि शहर की अव्यवस्थित व्यवस्था का आईना है। खुले नालों को लेकर वर्षों से शिकायतें होती रहीं लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। अब जरूरी है कि प्रशासन सिर्फ आश्वासन न दे, बल्कि तत्काल कार्रवाई कर खुले नालों को ढके और नागरिक सुरक्षा को प्राथमिकता बनाए।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

अब बदलाव का समय है

गिरिडीह की जनता को अब अपनी आवाज और बुलंद करनी होगी। नगर प्रशासन को जवाबदेह बनाना होगा ताकि भविष्य में कोई और मासूम ऐसी लापरवाही का शिकार न बने। अपनी राय कमेंट करें, इस खबर को साझा करें और शहर को सुरक्षित बनाने के लिए जागरूकता फैलाएं।

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