
#महुआडांड़ #शिविर_अनियमितता : चटकपुर में आयोजित सरकारी शिविर में आधार पंजीकरण के नाम पर ₹150 की अवैध वसूली से ग्रामीणों में आक्रोश
- चटकपुर पंचायत भवन में आयोजित शिविर में ₹150 प्रति व्यक्ति वसूले जाने का आरोप।
- अधिकारियों ने पहले ही निःशुल्क आधार सेवा का निर्देश जारी किया था।
- ऑपरेटरों द्वारा ‘प्रक्रिया शुल्क’ बताकर की गई मनमानी वसूली।
- ग्रामीणों ने इसे खुलेआम लूट बताते हुए कार्रवाई की मांग की।
- जिला प्रशासन से शीघ्र जांच और दोषियों पर सख्त कदम उठाने की अपेक्षा।
चटकपुर पंचायत भवन में आयोजित “आपकी योजना–आपकी सरकार–आपके द्वार” शिविर में आधार कार्ड पंजीकरण और सुधार कार्य के दौरान ग्रामीणों से अवैध रूप से ₹150 प्रति आवेदन वसूले जाने का मामला सामने आया। यह वसूली तब की गई जब शिविर में मौजूद अधिकारियों ने पहले ही स्पष्ट निर्देश दिया था कि आधार कार्ड पंजीकरण व अपडेट प्रक्रिया निःशुल्क है। ग्रामीणों ने बताया कि विरोध जताने पर भी ऑपरेटरों ने वसूली जारी रखी और इसे ‘प्रक्रिया शुल्क’ बताया। घटना सामने आने के बाद स्थानीय लोग बेहद नाराज़ हैं और प्रशासन से तुरंत जांच कर दोषियों को दंडित करने की मांग कर रहे हैं।
चटकपुर शिविर में अवैध वसूली का मामला कैसे सामने आया
चटकपुर के पंचायत भवन में गुरुवार को एक दिवसीय शिविर आयोजित किया गया था, जिसका उद्देश्य उन लोगों को सुविधा देना था जिनका आधार कार्ड पहली बार बनना है या जिन्हें उसमें सुधार करवाना है। ग्रामीण बताते हैं कि जैसे ही आधार पंजीकरण काउंटर पर भीड़ जुटी, ऑपरेटरों ने प्रति व्यक्ति ₹150 मांगना शुरू कर दिया। यह वसूली खुलेआम की जा रही थी, जबकि ग्रामीणों को पहले से पता था कि सरकार ने शिविर में यह सेवा निःशुल्क घोषित की है।
ग्रामीणों के आरोप: ‘यह सीधी-सीधी लूट है’
ग्रामीणों का कहना है कि सरकारी शिविरों में भी अगर उन्हें पैसे देने पड़ेंगे, तो वे मदद के लिए कहाँ जाएँगे। कई लोगों ने बताया कि जब उन्होंने अवैध शुल्क का कारण पूछा तो ऑपरेटरों ने इसे ‘प्रक्रिया शुल्क’ बताते हुए बहाना बनाया। इससे नाराज़ ग्रामीणों ने इसे लूट की श्रेणी में बताया और कहा कि यह गरीब जनता का सीधा शोषण है।
अधिकारियों के निर्देशों को किया गया नजरअंदाज
शिविर से पहले उच्च अधिकारियों ने जिला, प्रखंड और पंचायत स्तर पर निर्देश जारी किए थे कि आधार कार्ड पंजीकरण (विशेष रूप से पहली बार बनवाने पर) पूरी तरह निःशुल्क रहेगा। साथ ही साफ आदेश था कि शिविर में किसी भी प्रकार की अवैध वसूली नहीं होनी चाहिए। इसके बावजूद ऑपरेटरों द्वारा इस तरह शुल्क वसूला जाना सरकारी निर्देशों की घोर अवहेलना को दर्शाता है।
ग्रामीणों की मांग: दोषियों पर हो कार्रवाई
घटना के बाद ग्रामीणों में भारी आक्रोश है। उनका कहना है कि अगर सरकारी कर्मियों की निगरानी में चल रहे शिविरों में ऐसी वसूली होगी, तो आम जनता पर इसका बुरा असर पड़ेगा। लोगों ने जिला प्रशासन से मामले की तत्काल जांच कराने, ऑपरेटरों की जिम्मेदारी तय करने और दोषियों पर कार्रवाई करने की मांग की है।
न्यूज़ देखो: अवैध वसूली पर प्रशासन की जिम्मेदारी तय हो
यह घटना ग्रामीण क्षेत्रों में चल रहे शिविरों की निगरानी व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाती है। यदि सरकारी निर्देशों के बावजूद खुलेआम पैसे वसूले जा रहे हैं, तो यह न केवल पारदर्शिता पर चोट है बल्कि आम जनता के विश्वास को भी तोड़ता है। प्रशासन को उन लोगों की पहचान कर कठोर कार्रवाई करनी चाहिए जिन्होंने सरकारी सेवा को अवैध कमाई का माध्यम बना दिया है।
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जागरूकता ही अधिकारों की सबसे बड़ी ताकत
यह जरूरी है कि नागरिक अपने अधिकारों के प्रति सजग रहें और किसी भी अवैध वसूली या अनियमितता का विरोध करने में पीछे न हटें। सरकारी योजनाएँ तभी सफल होंगी, जब जनता और प्रशासन दोनों ईमानदारी से अपनी भूमिका निभाएँ। आज का यह मामला हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि पारदर्शिता को सुरक्षित रखने की ज़िम्मेदारी हम सबकी है।
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