
#लातेहार #ऑपरेशन_ऑक्टोपस — सुरक्षा बलों की सफलता, आत्मसमर्पण की बढ़ती लहर
- ऑपरेशन ऑक्टोपस और डबल बुल ऑपरेशन से माओवादियों के गढ़ ध्वस्त
- भाकपा (माओवादी) के कई शीर्ष नेता गिरफ्तार या आत्मसमर्पण को मजबूर
- 15 अप्रैल को दो इनामी माओवादियों ने लातेहार एसपी के समक्ष किया आत्मसमर्पण
- सुरक्षा बलों की रणनीति और सरकार की पुनर्वास नीति बनी आत्मसमर्पण की वजह
- माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में चल रही सामुदायिक पुलिसिंग से ग्रामीणों को मिल रही राहत
लातेहार में माओवादियों पर कड़ा प्रहार, ऑपरेशन का असर दिखा
झारखंड के लातेहार जिले में माओवादी गतिविधियों पर नियंत्रण के लिए चलाए जा रहे अभियानों का सकारात्मक परिणाम सामने आ रहा है।
4 अप्रैल 2001 को पलामू से अलग होकर बना यह जिला वर्षों तक माओवादी गतिविधियों का गढ़ रहा, लेकिन अब सुरक्षा बलों की लगातार दबिश और रणनीतिक अभियानों ने माओवादियों की कमर तोड़ दी है।
ऑपरेशन ऑक्टोपस और डबल बुल: नक्सली संगठनों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई
लातेहार, गुमला और लोहरदगा जिलों में ऑपरेशन ऑक्टोपस और डबल बुल ऑपरेशन के जरिए सुरक्षा बलों ने भाकपा (माओवादी), TSPC, JJMP, PLFI जैसे संगठनों पर कड़ा प्रहार किया है।
“ऑपरेशन ऑक्टोपस के तहत बुढ़ा पहाड़ को माओवादियों से मुक्त किया गया, जो वर्षों से उनका गढ़ रहा था।” — लातेहार पुलिस सूत्र
इस दौरान रीजनल कमिटी सदस्य रविंद्र गंझू के दस्ते को बड़ा नुकसान पहुंचा और कई उग्रवादियों को आत्मसमर्पण करना पड़ा।
आत्मसमर्पण की राह पर माओवादी, दो इनामी उग्रवादियों ने छोड़ा हिंसा का रास्ता
15 अप्रैल 2025 को लातेहार पुलिस अधीक्षक कुमार गौरव के समक्ष दो इनामी माओवादियों – अमरजीत उर्फ काली उर्फ सनी बिरजिया (19 वर्ष) एवं मिथिलेश उर्फ अखिलेश कोरवा (28 वर्ष) ने आत्मसमर्पण किया।
दोनों बलरामपुर, छत्तीसगढ़ के निवासी हैं और लंबे समय से छिपादोहर, महुआडांड, नेतरहाट और बुढ़ा पहाड़ में हिंसक घटनाओं में संलिप्त रहे।
“हम अब सामान्य जीवन जीना चाहते हैं। सरकार की पुनर्वास नीति से उम्मीद है कि समाज में फिर से स्थान मिलेगा।” — अमरजीत बिरजिया, आत्मसमर्पित माओवादी
इन पर हत्या के प्रयास, पुलिस पर हमला और रंगदारी जैसे गंभीर आरोप दर्ज थे।
पुनर्वास नीति से मिल रही नई दिशा
सरकार की “नई दिशा” पुनर्वास नीति के तहत आत्मसमर्पण करने वाले उग्रवादियों को नकद सहायता, आवास, भूमि, शिक्षा और रोजगार की सुविधा दी जा रही है।
“हम अपराधियों को मुख्यधारा में लाने के साथ-साथ ग्रामीणों के जीवन स्तर को सुधारने के लिए भी लगातार प्रयास कर रहे हैं।” — कुमार गौरव, पुलिस अधीक्षक, लातेहार
सामुदायिक पुलिसिंग से जुड़ रहे ग्रामीण, बढ़ा भरोसा
अब पुलिस नेतरहाट, महुआडांड, गारु, छिपादोहर जैसे क्षेत्रों में सामुदायिक पुलिसिंग के जरिए ग्रामीणों को स्वास्थ्य, राशन, शिक्षा और पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं दे रही है।
इससे माओवादियों के प्रति समर्थन में कमी और सरकार व सुरक्षा बलों पर भरोसा बढ़ा है।
न्यूज़ देखो : माओवाद मुक्त झारखंड की ओर
लातेहार पुलिस और सुरक्षा बलों की यह सफल रणनीति झारखंड को शांति और विकास की ओर ले जा रही है।
आत्मसमर्पण की बढ़ती घटनाएं इस बात का संकेत हैं कि अब उग्रवादियों में डर और समाज में भरोसा दोनों बढ़ रहा है।
न्यूज़ देखो आपसे आग्रह करता है कि ऐसे सकारात्मक बदलावों को पहचानें, साझा करें और नए झारखंड के निर्माण में भागीदार बनें।
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