
#चतरा #अवैध_नशा_खेती : वन भूमि में वर्षों से जारी पोस्ता उत्पादन पर कार्रवाई सवालों के घेरे में।
चतरा जिले के लावालौंग थाना क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अफीम पोस्ता की अवैध खेती सामने आई है। सुदूरवर्ती और वन क्षेत्रों में तस्कर बेखौफ होकर पोस्ता उगा रहे हैं, जबकि प्रशासनिक जागरूकता अभियान का कोई ठोस असर नहीं दिख रहा। वर्षों से जारी इस अवैध गतिविधि से नशे का नेटवर्क मजबूत हो रहा है और युवा वर्ग तेजी से इसकी चपेट में आ रहा है। मामले ने पुलिस और प्रशासनिक कार्रवाई की गंभीरता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
- लावालौंग थाना क्षेत्र में वर्षों से जारी अफीम पोस्ता की खेती।
- वन भूमि में सबसे अधिक अवैध खेती, तस्कर सक्रिय।
- 26 वर्षों से पोस्ता उत्पादन की चर्चा, फिर भी ठोस रोक नहीं।
- अफीम से ब्राउन शुगर तक का अवैध नेटवर्क सक्रिय।
- एनडीपीएस एक्ट के तहत कई लोग जेल में, फिर भी खेती जारी।
चतरा जिले के सुदूरवर्ती लावालौंग प्रखंड में अफीम पोस्ता की खेती एक गंभीर और लगातार बढ़ती समस्या बनती जा रही है। थाना क्षेत्र के लगभग सभी पंचायतों में यह अवैध खेती खुलेआम की जा रही है। खासकर वन भूमि और दुर्गम इलाकों को तस्करों ने अपना सुरक्षित ठिकाना बना लिया है, जहां प्रशासनिक निगरानी बेहद कमजोर मानी जा रही है।
स्थानीय लोगों के अनुसार, यहां पोस्ता की खेती कोई नई बात नहीं है। बीते करीब 26 वर्षों से यह अवैध गतिविधि चल रही है। हर वर्ष जिला प्रशासन, पुलिस और वन विभाग द्वारा कार्रवाई की बातें तो होती हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर इसका प्रभाव नगण्य नजर आता है। नतीजतन, तस्करों के हौसले लगातार बुलंद होते जा रहे हैं।
वन भूमि बनी अवैध खेती का केंद्र
लावालौंग थाना क्षेत्र में सबसे अधिक अफीम पोस्ता की खेती वन भूमि में की जा रही है। घने जंगल, पहाड़ी इलाका और सीमित पहुंच का फायदा उठाकर तस्कर बड़े पैमाने पर पोस्ता उगा रहे हैं। पोस्ता से अफीम निकाली जाती है, जिसे आगे रिफाइन कर ब्राउन शुगर जैसे खतरनाक नशीले पदार्थ तैयार किए जाते हैं।
यह अवैध कारोबार करोड़ों रुपये का बताया जा रहा है। इसमें अंतरराज्यीय तस्करों की सक्रिय भूमिका सामने आती रही है। पोस्ता की खेती से लेकर अफीम निकालने और फिर नशीले पदार्थों की आपूर्ति तक का पूरा नेटवर्क साल भर सक्रिय रहता है।
युवा पीढ़ी पर पड़ रहा घातक असर
अफीम और ब्राउन शुगर की उपलब्धता का सबसे खतरनाक प्रभाव स्थानीय युवा वर्ग पर पड़ रहा है। नशे की लत से कई परिवार तबाह हो चुके हैं। गांवों में अपराध, बेरोजगारी और सामाजिक असंतुलन बढ़ता जा रहा है। कई लोग पहले ही एनडीपीएस एक्ट के तहत जेल भेजे जा चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद अवैध खेती पर रोक नहीं लग पा रही है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि रातों-रात अमीर बनने की लालसा में कई ग्रामीण भी इस अवैध धंधे से जुड़ते जा रहे हैं। कुछ ही दिनों में पोस्ता के पौधों में चीरा लगाने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी, जिसके बाद अफीम उत्पादन तेज हो जाता है।
जागरूकता अभियान बेअसर, कार्रवाई नदारद
हालांकि जिला प्रशासन की ओर से समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाने और पोस्ता नहीं लगाने के निर्देश दिए जाते रहे हैं। उपायुक्त कृतिश्री और एसपी सुमित कुमार अग्रवाल के निर्देश पर कई जगहों पर पोस्टर भी लगाए गए हैं, लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल अलग है।
लोगों का आरोप है कि पुलिस को इस अवैध खेती की पूरी जानकारी होने के बावजूद नियमित और सख्त कार्रवाई नहीं की जाती। इसी वजह से तस्करों का मनोबल लगातार बढ़ रहा है। सवाल यह भी उठ रहा है कि आखिर किसके संरक्षण में यह अवैध कारोबार फल-फूल रहा है।
इन क्षेत्रों में लहलहा रही है पोस्ता की खेती
स्थानीय सूत्रों के अनुसार लावालौंग थाना क्षेत्र के कई गांवों और टोले में खुलेआम अफीम पोस्ता की खेती की जा रही है। इनमें प्रमुख रूप से टिकुलिया, जोभी, धरधरिया, चेतमटांड़, मार्छीबैयर, होशिर, कुटसेल, हरदीपुर, चानो, कलगी, पिपरटांड, टिकदा, गैरवाडीह, गरहे, पासागण, कुम्हिया, चाडी, छगरी डहेर, मौसरी तेली, बिगुगड़नात जैसे इलाके शामिल हैं। इन क्षेत्रों में अब तक ठोस कार्रवाई नहीं होने से सवाल और गहरे हो गए हैं।
जिम्मेदारी तय करने की जरूरत
राज्य सरकार और पुलिस मुख्यालय की ओर से यह स्पष्ट निर्देश हैं कि जिस क्षेत्र में पोस्ता की खेती पाई जाएगी, वहां के थाना प्रभारी, वनकर्मी और संबंधित जनप्रतिनिधियों की जवाबदेही भी तय की जाएगी। बावजूद इसके, लावालौंग क्षेत्र में स्थिति जस की तस बनी हुई है।
न्यूज़ देखो: कार्रवाई कब होगी, जवाब कौन देगा
लावालौंग में वर्षों से चल रही अफीम पोस्ता की खेती प्रशासनिक तंत्र की बड़ी परीक्षा है। जागरूकता अभियान के बाद भी अगर अवैध खेती जारी है, तो यह निगरानी और कार्रवाई की कमजोरी को दर्शाता है। क्या इस बार प्रशासन ठोस कदम उठाएगा या फिर मामला कागजों में ही सिमट जाएगा—यह देखना अहम होगा। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
नशा मुक्त समाज के लिए सख्त कदम जरूरी
नशे का कारोबार केवल कानून-व्यवस्था का मुद्दा नहीं, बल्कि पूरे समाज के भविष्य से जुड़ा सवाल है।
स्थानीय प्रशासन, जनप्रतिनिधि और समाज—तीनों की साझा जिम्मेदारी है।
आप भी सजग बनें, अवैध गतिविधियों की सूचना दें।
अपनी राय कमेंट करें, खबर साझा करें और नशा मुक्त समाज के लिए आवाज उठाएं।





