
#पलामू #कृषि : किसानों की शिकायत पर प्रशासन हरकत में, जांच के आदेश जारी
- यूरिया खाद वितरण में कालाबाजारी और अधिक दाम वसूले जाने की शिकायत।
- प्रखंड प्रमुख नीतू सिंह ने बीडीओ को लिखित जांच का आदेश दिया।
- आवंटन और वितरण का पूरा विवरण मांगा गया, सत्यापित प्रति प्रस्तुत करने के निर्देश।
- किसानों ने महंगे दाम और समय पर खाद न मिलने पर जताई नाराजगी।
- दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी, प्रमुख खुद करेंगी निगरानी।
पलामू जिले के पांडू प्रखंड में यूरिया खाद वितरण को लेकर बड़ी शिकायतें सामने आई हैं। किसानों ने दुकानदारों और आपूर्ति चैन पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया है कि खाद खुलेआम अधिक कीमत पर बेचा जा रहा है। इस पर प्रखंड प्रमुख नीतू सिंह ने सख्त रवैया अपनाते हुए प्रखंड विकास पदाधिकारी को जांच का आदेश दिया है।
शिकायतों पर तुरंत कार्रवाई
प्रखंड प्रमुख ने लिखित आदेश में बीडीओ से स्पष्ट रिपोर्ट मांगी है कि जिला से पांडू प्रखंड को कितनी मात्रा में यूरिया खाद आवंटित हुई और किन-किन पैक्स, एपीओ या निबंधित दुकानदारों को स्टॉक मिला। साथ ही उन्होंने वितरण पंजी की सत्यापित प्रति उपलब्ध कराने को भी कहा है।
किसानों की नाराजगी
स्थानीय किसानों का कहना है कि हर साल खाद वितरण के समय ऐसी स्थिति बनती है।
एक किसान ने कहा, “हर साल दुकानदार खुलेआम अधिक कीमत पर यूरिया बेचते हैं। मजबूरी में हमें महंगा खाद खरीदना पड़ता है।”
वहीं एक अन्य किसान ने कहा, “समय पर खाद न मिलने से फसल पर सीधा असर पड़ता है, प्रशासन को सख्ती करनी चाहिए।”
प्रमुख का सख्त रुख
प्रखंड प्रमुख नीतू सिंह ने कहा कि किसानों के साथ किसी भी तरह की धोखाधड़ी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
नीतू सिंह: “खाद किसानों की जरूरत है, इसे कोई भी कालाबाजारी कर निजी मुनाफा नहीं कमा सकता। मैं खुद इसकी निगरानी कर रही हूँ और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होगी।”
प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती
खाद वितरण में पारदर्शिता और समयबद्धता सुनिश्चित करना प्रशासन के लिए हमेशा चुनौतीपूर्ण रहा है। इस बार किसानों की नाराजगी खुलकर सामने आई है, जिससे स्पष्ट है कि निगरानी और भी मजबूत करनी होगी।
न्यूज़ देखो: किसानों की उम्मीदों पर खरी उतरेगी जांच
किसानों के हितों की रक्षा और कृषि उत्पादन को सुरक्षित रखना सरकार और प्रशासन की प्राथमिक जिम्मेदारी है। यदि यूरिया जैसे महत्वपूर्ण खाद की कालाबाजारी रोकी जाती है तो न केवल फसलों की पैदावार सुधरेगी बल्कि किसानों का विश्वास भी प्रशासन पर बढ़ेगा।
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किसानों की मजबूरी अब नहीं चलेगी
यूरिया खाद किसानों के लिए जीवनरेखा है। यदि इसकी कालाबाजारी पर अंकुश नहीं लगा तो खेती प्रभावित होगी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ेगा। अब समय है कि किसान अपनी आवाज बुलंद करें और प्रशासन के साथ मिलकर इस समस्या को खत्म करें। अपनी राय कॉमेंट करें और खबर को शेयर करें ताकि यह मुद्दा और प्रभावी बने।