- मकर संक्रांति पर पांडू प्रखंड के डालाकलां स्थित बेनुगोपाल मंदिर में पांच दिवसीय मेला शुरू।
- बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ से भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे।
- मेले में सर्कस, जादूगर शो, मिना बाजार, और अन्य मनोरंजन गतिविधियां।
- महंत विष्णुचित स्वामी महाराज ने मेले के ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डाला।
मेले का उद्घाटन और मनोरंजन कार्यक्रम
मकर संक्रांति के पावन अवसर पर पांडू प्रखंड के डालाकलां के बेनुगोपाल मंदिर में हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी पांच दिवसीय भव्य मेले का आयोजन किया गया। उद्घाटन पांडू प्रमुख नीतू सिंह और प्रमुख प्रतिनिधि प्रद्युम्न कुमार सिंह उर्फ सिंटू सिंह ने किया।
मेले में सर्कस, जादूगर शो, मिना बाजार, ब्रेक डांस और कई मनोरंजन कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं। मेले को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए मेला समिति और पुलिस प्रशासन सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
बेनुगोपाल मंदिर का ऐतिहासिक महत्व
मंदिर के महंत विष्णुचित स्वामी महाराज ने बताया कि श्रीबेनुगोपाल मंदिर का निर्माण 1946 में वैष्णव संप्रदाय के संत त्रिदंडी स्वामी महाराज के तत्वावधान में शुरू हुआ था। इसका कार्य 11 मार्च 1954 को पूर्ण हुआ, जिसमें भगवान राधे-कृष्ण की प्रतिमा स्थापित की गई।
मकर संक्रांति पर इस मेले का आयोजन पहली बार 14 जनवरी 1956 को हुआ था। इसके बाद से हर वर्ष यह मेला आयोजित होता आ रहा है। इस दौरान श्रद्धालु भगवान राधे-कृष्ण की पूजा अर्चना करने के साथ-साथ मेले का आनंद लेते हैं।
विशेष प्रबंध और धार्मिक आयोजन
मेले में दूर-दराज से आए श्रद्धालुओं के ठहरने और महा प्रसाद के लिए नि:शुल्क व्यवस्था की गई है। महंत ने बताया कि मंदिर में साल में चार बड़े उत्सव—रामनवमी, कृष्ण जन्माष्टमी, दीपावली, और मकर संक्रांति—मनाए जाते हैं।
मकर संक्रांति उत्सव के दौरान श्रद्धालुओं के लिए विशेष पूजा, भगवान को 56 प्रकार के व्यंजन का भोग, और अन्य धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं।
समाप्ति संदेश
बेनुगोपाल मंदिर का यह मेला न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक भी है। ‘न्यूज़ देखो’ के साथ जुड़े रहें और गढ़वा और पलामू की हर खबर की ताजा जानकारी प्राप्त करें।