#कश्मीर #आतंकीहमला सरकार की कश्मीर नीति पर फिर खड़े हुए सवाल, झारखंड से उठी जवाबदेही की मांग
- 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर आतंकी हमला, 28 लोगों की दर्दनाक मौत
- झारखंड जनाधिकार महासभा ने हमले की कड़ी निंदा की, मृतकों को श्रद्धांजलि अर्पित की
- सरकार की कश्मीर नीति को असफल बताते हुए गृह मंत्री और NSA से इस्तीफे की मांग
- घटना को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिशों की आलोचना, एकता और संवैधानिक अधिकारों की बहाली की अपील
- राजनीतिक कैदियों की रिहाई और कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा लौटाने की मांग
झारखंड जनाधिकार महासभा का तीखा बयान: सुरक्षा दावों की पोल खोलता है पहलगाम हमला
झारखंड जनाधिकार महासभा ने 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा करते हुए इसे मोदी सरकार की कश्मीर नीति की विफलता करार दिया है। महासभा ने मृतकों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि देश के भीतर नागरिकों की जान की सुरक्षा सुनिश्चित करना केंद्र सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी है।
“कश्मीर में व्यापक सैन्यकरण के बावजूद आम नागरिक, प्रवासी मजदूर और अब पर्यटक तक सुरक्षित नहीं हैं। यह केंद्र की जिम्मेदारी है और गृह मंत्री व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को इस्तीफा देना चाहिए।”
— झारखंड जनाधिकार महासभा
सरकार की प्राथमिकताएं सवालों के घेरे में
महासभा का कहना है कि सरकार शांति बहाली और कश्मीरियों के लोकतांत्रिक अधिकारों को बहाल करने की बजाय पत्रकारों, छात्रों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की आवाज़ों को दबाने में लगी हुई है। अनुच्छेद 370 को निष्क्रिय करने के बाद भी स्थिति सामान्य नहीं हुई है, बल्कि लोगों को सैन्य दबाव के अधीन रखा गया है, जिससे कश्मीरियों की लोकतांत्रिक आकांक्षाएं कुचली जा रही हैं।
साम्प्रदायिक एजेंडे के ख़िलाफ़ चेतावनी
घटना को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिशों की महासभा ने कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि मुख्यधारा मीडिया और कुछ सत्ताधारी ताकतें इस हमले को धार्मिक एंगल देकर देश में नफ़रत फैलाने की कोशिश कर रही हैं, जबकि स्थानीय कश्मीरियों ने हमले के समय पर्यटकों की मदद की थी और घटना का विरोध भी किया था।
“भाजपा शासन में देश ऐसे मोड़ पर पहुँच गया है जहाँ आतंकवादियों की तरह कुछ हिंदुत्ववादी संगठन भी सरकारी संरक्षण में धर्म के नाम पर अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित कर रहे हैं।”
— झारखंड जनाधिकार महासभा
न्यायिक जांच और संवाद की अपील
महासभा ने केंद्र सरकार से मांग की है कि घटना की निष्पक्ष और गहन जांच कर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए। साथ ही कश्मीर में राजनीतिक कैदियों को रिहा किया जाए, संविधानिक स्वायत्ता बहाल की जाए, और लोगों की शिकायतों को सुलझाने के लिए एक ईमानदार संवाद प्रक्रिया शुरू की जाए। उन्होंने यह भी कहा कि देश में कहीं भी कश्मीरियों और मुसलमानों के खिलाफ कोई हिंसा नहीं होनी चाहिए।
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