
#महुआडांड़ #स्कूल_समस्या : पहाड़ कापू के राजकीय प्राथमिक मध्य विद्यालय में छह महीने से पानी नहीं—बच्चे और शिक्षक पीने से लेकर मध्यान्ह भोजन तक संकट झेल रहे हैं।
- राजकीय प्राथमिक मध्य विद्यालय, पहाड़ कापू में छह महीने से पानी बंद।
- स्कूल के पास की जलमीनार खराब, पानी आपूर्ति पूरी तरह ठप।
- मध्यान्ह भोजन घरों से पानी मंगाकर बन रहा।
- बच्चों की पढ़ाई, स्वास्थ्य और स्वच्छता गंभीर रूप से प्रभावित।
- प्राचार्य विनय तिर्की ने समस्या को प्रशासन तक पहुंचाया।
- अभिभावकों ने जिला प्रशासन से त्वरित समाधान की मांग की।
महुआडांड़ प्रखंड के राजकीय प्राथमिक मध्य विद्यालय, पहाड़ कापू के बच्चे पिछले छह महीनों से एक गंभीर मूलभूत समस्या से जूझ रहे हैं—पानी की उपलब्धता। स्कूल में न पीने का स्वच्छ पानी है और न ही मध्यान्ह भोजन बनाने के लिए कोई स्थायी स्रोत। जलमीनार होते हुए भी खराबी के कारण महीनों से पानी बंद है, जिससे स्कूल संचालन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। प्राचार्य विनय तिर्की ने बताया कि स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है और अभिभावक भी अब नाराज हैं।
छह महीने से बंद है जलमीनार, स्कूल बना ‘बिना पानी’ का केंद्र
स्कूल के बगल में स्थापित जलमीनार ही विद्यालय की मुख्य पानी आपूर्ति का स्रोत है, लेकिन यह छह महीने से खराब पड़ा है।
इस खराबी की सूचना कई बार स्थानीय प्रशासन और संबंधित विभागों को दी गई, परंतु अब तक मरम्मत नहीं हो सकी है।
परिणामस्वरूप बच्चे प्यासे रहते हैं और शिक्षकों को स्वयं व्यवस्था करनी पड़ती है।
मध्यान्ह भोजन के लिए घरों से पानी, बढ़ा बोझ और खतरा
स्कूल में मध्यान्ह भोजन बच्चों का अधिकार है, लेकिन पानी न होने के कारण कर्मचारियों को ग्रामीणों और बच्चों के घरों से पानी मंगाना पड़ रहा है।
इससे भोजन की गुणवत्ता, साफ-सफाई और समयबद्धता सब प्रभावित हो रहे हैं।
प्राचार्य विनय तिर्की ने स्पष्ट कहा कि
“पानी की कमी ने स्कूल के पूरे संचालन को बाधित कर दिया है। बच्चे परेशान हैं, और यह स्थिति अब असहनीय हो चुकी है।”
बच्चों की पढ़ाई, स्वास्थ्य और स्वच्छता पर गंभीर प्रभाव
स्कूल के शिक्षक बताते हैं कि पानी न होने से बच्चों को कई समस्याएं हो रही हैं—
- पीने के स्वच्छ पानी का अभाव
- हाथ धोने, सफाई और शौचालयों की सफाई प्रभावित
- गर्मियों में बच्चों की शारीरिक परेशानी बढ़ी
- बीमारी फैलने का जोखिम भी बढ़ा
अभिभावकों ने कहा कि पानी की समस्या के कारण बच्चों की पढ़ाई पर भी नकारात्मक असर पड़ रहा है, क्योंकि वे बार-बार घर लौटने को मजबूर होते हैं।
अभिभावकों और ग्रामीणों का धैर्य जवाब दे रहा है
स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि छह महीने का वक्त कम नहीं होता।
कई बार शिकायतें करने के बाद भी न तो जलमीनार की मरम्मत हुई और न ही वैकल्पिक पानी आपूर्ति की व्यवस्था।
उन्होंने जिला प्रशासन, बीडीओ और शिक्षा विभाग से कहा कि
“बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ बिल्कुल बर्दाश्त नहीं। जल्द से जल्द पानी उपलब्ध कराया जाए।”
ग्रामीणों का कहना है कि इससे बड़ा प्रशासनिक लापरवाही का उदाहरण नहीं हो सकता कि एक सरकारी स्कूल आधे साल तक पानी के बिना चल रहा हो।
शिक्षा विभाग और प्रशासन की कार्रवाई अब जरूरी
स्कूल प्रशासन ने आग्रह किया है कि जलमीनार की तत्काल मरम्मत की जाए या फिर स्कूल के लिए वैकल्पिक पानी आपूर्ति की स्थायी व्यवस्था बनाई जाए।
शिक्षक और अभिभावक इस बात पर एकमत हैं कि बच्चों के स्वास्थ्य और पढ़ाई को बचाने के लिए प्रशासन का हस्तक्षेप अब अनिवार्य हो चुका है।
न्यूज़ देखो: बच्चों की बुनियादी सुविधाओं पर कार्रवाई क्यों धीमी?
यह मामला सिर्फ एक स्कूल की परेशानी नहीं, बल्कि सरकारी तंत्र की सुस्ती का उदाहरण है। पानी जैसी अनिवार्य सुविधा का छह महीने तक बहाल न होना बेहद चिंताजनक है। शिक्षा विभाग को यह समझना होगा कि स्कूल केवल इमारत नहीं—बच्चों का भविष्य होता है। ऐसे मामलों में तत्काल हस्तक्षेप और जवाबदेही सुनिश्चित करना आवश्यक है। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
बच्चों की शिक्षा बचाने में आपकी आवाज मायने रखती है
समस्याएँ तभी हल होती हैं जब समाज आवाज उठाता है।
यदि आपके क्षेत्र में भी किसी स्कूल को बुनियादी सुविधाओं की कमी का सामना करना पड़ रहा है, तो चुप न रहें।
बच्चों के अधिकारों और उनकी सुरक्षा के लिए जागरूक बनें—यही जिम्मेदार नागरिक होने का पहला कदम है।
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