
#PalamuNews #AmbedkarJayanti2025 #समता_दिवस #ज्ञान_दिवस | ऊंटारी रोड प्रखंड में शोभायात्रा, विचार गोष्ठी और सांस्कृतिक झांकी की तैयारी पूरी
- डेवड़र गांव के डॉ. अंबेडकर भवन में आयोजन समिति की बैठक सम्पन्न
- 135वीं अंबेडकर जयंती को “समानता दिवस” और “ज्ञान दिवस” के रूप में मनाने का निर्णय
- कार्यक्रम में भव्य झांकी और प्रभात फेरी का आयोजन प्रस्तावित
- अध्यक्ष लल्लू राम, सचिव विजय कुमार रवि, कोषाध्यक्ष शैलेश कुमार चयनित
- सैकड़ों ग्रामीणों और बुद्धिजीवियों ने बैठक में लिया भाग
भव्य आयोजन की तैयारी में जुटा डेवड़र ग्राम
पलामू जिले के ऊंटारी रोड प्रखंड अंतर्गत डेवड़र गांव स्थित डॉ. भीमराव अंबेडकर भवन में 10 अप्रैल 2025 को एक अहम बैठक का आयोजन किया गया। बैठक का मुख्य उद्देश्य डॉ. भीमराव अंबेडकर की 135वीं जयंती समारोह को भव्यता से मनाने की रूपरेखा तैयार करना था।
बैठक की अध्यक्षता सेवानिवृत्त शिक्षक माननीय विनोद पाल ने की। उन्होंने कहा:
“ऊंटारी रोड प्रखंड के सभी नागरिकों की सहभागिता से यह कार्यक्रम ऐतिहासिक रूप से सफल होगा।”
शोभायात्रा और विचार गोष्ठी का होगा आयोजन
बैठक में यह तय किया गया कि 14 अप्रैल को गांव में प्रभात फेरी, सांस्कृतिक झांकी और विचार गोष्ठी का आयोजन किया जाएगा। इसके लिए दोपहर 2 बजे आजन बन पोटो खेल मैदान में भव्य जुलूस का समापन समारोह होगा।
कार्यक्रम को व्यवस्थित और सफल बनाने हेतु समिति का गठन भी किया गया:
- अध्यक्ष: श्री लल्लू राम
- सचिव: श्री विजय कुमार रवि
- कोषाध्यक्ष: श्री शैलेश कुमार
“समता दिवस” और “ज्ञान दिवस” के रूप में पहचान
श्री लल्लू राम ने सभा को संबोधित करते हुए कहा:
“डॉ. अंबेडकर समानता और ज्ञान के प्रतीक हैं। उनका जन्मदिन ‘समता दिवस’ और ‘ज्ञान दिवस’ के रूप में मनाया जाना चाहिए।”
उन्होंने डॉ. अंबेडकर के सामाजिक न्याय और मानवाधिकारों के संघर्ष को याद करते हुए बताया कि भीम जयंती की शुरुआत 1928 में पुणे में सदाशिव रणपिसे ने की थी।
सैकड़ों लोगों की उपस्थिति, जन भागीदारी की मिसाल
इस बैठक में मानदेव साहब, लालमन चौधरी, नागेंद्र चौधरी, सुरेश राम, सुदामा राम, शंभू पाल, समेत सैकड़ों ग्रामीणों व बुद्धिजीवियों ने अपनी भागीदारी दर्ज कराई। सभी ने एकजुट होकर अंबेडकर जयंती को गौरवशाली बनाने का संकल्प लिया।
न्यूज़ देखो – संविधान निर्माता के सिद्धांतों को जन-जन तक पहुँचाएं
डॉ. भीमराव अंबेडकर न केवल संविधान निर्माता थे, बल्कि वे सामाजिक समरसता के महान योद्धा भी थे। ‘न्यूज़ देखो’ परिवार सभी से अपील करता है कि वे उनके विचारों को अपने जीवन में अपनाएं और इस ‘समता दिवस’ पर समाज में बराबरी और जागरूकता की अलख जगाएं।