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पलामू में खेल संसाधनों का संकट: प्रतिभाएं दम तोड़ रही हैं, डे-बोडिंग व स्टेडियम अधूरे

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#पलामू #खेलविकास : 21 में से सिर्फ 7 मैदान सुसज्जित, आवासीय डे-बोडिंग का नामोनिशान नहीं, खिलाड़ियों को बेहतर मंच का इंतजार

  • पलामू जिले में सिर्फ 7-8 खेल मैदान ही सुसज्जित हैं
  • 6 गैर-आवासीय डे-बोडिंग सेंटर संचालित, सामग्री और प्रशिक्षकों की भारी कमी
  • 6 करोड़ की लागत से इंडोर स्टेडियम निर्माण प्रक्रियाधीन
  • शहीद पोटो हो योजना में अब तक 368 मैदान तैयार, 416 योजनाएं चालू
  • आवासीय डे-बोडिंग की शुरुआत की कोई ठोस संभावना नहीं

बुनियादी ढांचे की कमी से दब रही खेल प्रतिभाएं

पलामू जिला, जो झारखंड में अपनी सांस्कृतिक पहचान के लिए जाना जाता है, खेल के क्षेत्र में लगातार पिछड़ता नजर आ रहा है21 खेल मैदानों में से केवल 7 से 8 ही उपयोगी हालत में हैं। आवासीय डे-बोडिंग की व्यवस्था न के बराबर है, जिससे खिलाड़ियों को स्थायी प्रशिक्षण, पोषण और सुविधा का लाभ नहीं मिल पा रहा।

गैर-आवासीय डे-बोडिंग में भी घोर अव्यवस्था

“गैर-आवासीय डे-बोडिंग में खेल सामग्रियों की भारी कमी है। कबड्डी गर्ल्स के लिए कोई प्रशिक्षक भी नहीं है।”
– निधि उपाध्याय, जिला को-ऑर्डिनेटर, जिला खेल कार्यालय

जिले में छह गैर-आवासीय डे-बोडिंग चल रहे हैं, जिनमें कबड्डी, एथलेटिक्स, बॉलीबाल, कुश्ती शामिल हैं। हुसैनाबाद, लेस्लीगंज, पिपरा जैसे क्षेत्रों में इन्हें संचालित किया जा रहा है। हालांकि कबड्डी गर्ल्स डे-बोडिंग में कोई प्रशिक्षक नहीं है और खेल सामग्रियों की भारी कमी है। राज्य सरकार से सामग्रियों की मांग की गई है, पर आपूर्ति अभी लंबित है।

अधूरे प्रोजेक्ट और लंबित अनुमोदन

6 करोड़ की लागत से जिला मुख्यालय में इंडोर स्टेडियम का निर्माण प्रस्तावित है, जो फिलहाल टेंडर प्रक्रिया में अटका हुआ है। वहीं नरसिंहपुर-पथरा, छतरपुर, पाटन, सतबरवा में बने स्टेडियम का जीर्णोद्धार हो चुका है। मगर नौडीहा बाजार और उंटारी रोड के स्टेडियमों का पुनरीक्षित प्राक्कलन उपायुक्त कार्यालय में लंबित पड़ा है।

शहीद पोटो हो योजना बनी सहारा, फिर भी अधूरे काम

“शहीद पोटो योजना के तहत 911 योजनाओं में 368 पूर्ण हो चुकी हैं, 416 कार्य प्रगति पर हैं।”
– उपेंद्र राम, कार्यक्रम पदाधिकारी, मनरेगा

शहीद पोटो हो खेल विकास योजना के तहत 265 पंचायतों में 911 योजना ली गई थी, जिसमें से 368 पूरी, 416 निर्माणाधीन हैं। इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण बच्चों को खेलने के लिए समतल मैदान, शौचालय और चेजिंग रूम उपलब्ध कराना है। मनरेगा के तहत कार्यों का क्रियान्वयन हो रहा है, लेकिन कई पंचायतों में अब भी खिलाड़ियों को बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं।

खिलाड़ियों को नहीं मिल रहा मंच

GLA कॉलेज स्टेडियम का निर्माण पूरा हो चुका है, जिसकी देखरेख नगर निगम के जिम्मे है। पर खेल प्रतिभाओं को राज्य और राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाने के लिए संसाधनों की सख्त जरूरत है। स्थानीय कोच की कमी, प्रशिक्षण समय का अभाव और आवासीय सुविधा न होना खिलाड़ियों के लिए सबसे बड़ी बाधा बन चुकी है।

न्यूज़ देखो : खेलों को देना होगा संसाधन और संबल

‘न्यूज़ देखो’ का मानना है कि खेल प्रतिभा तभी निखरती है जब उन्हें उचित दिशा, सुविधा और मंच मिले। सरकार और प्रशासन को चाहिए कि वे खेलों को सिर्फ बजट दस्तावेज़ नहीं, जमीनी हकीकत बनाएं। पलामू के बच्चों में संभावनाएं हैं, जरूरत है तो उन्हें संरक्षण और सम्मान देने की।

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