Palamau

पलामू में नदियों को पुनर्जीवित करने की मुहिम शुरू, ब्लू एलिक्सिर कर रही कोयल, औरंगा और बूढ़ा नदी का सर्वे

Join News देखो WhatsApp Channel

#PalamuTigerReserve #BlueElixir #WaterConservation | कोयल, औरंगा और बूढ़ा नदी को बचाने की कोशिश

  • कोयल, औरंगा और बूढ़ा नदी के लिए शुरू हुआ पुनर्जीवन सर्वे
  • ब्लू एलिक्सिर संस्था को सर्वे की मिली जिम्मेदारी
  • गर्मी में सूख जाती हैं नदियां, मानसून पर है निर्भरता
  • सहायक नदियों और नालों को खोजकर किया जाएगा पुनर्जीवित
  • पहाड़, पठार, समतल क्षेत्र का हो रहा अलग-अलग सर्वे

ब्लू एलिक्सिर को सौंपी गई जिम्मेदारी

पलामू टाइगर रिजर्व (पीटीआर) ने नदियों के जलस्तर में गिरावट और गर्मियों में सूखने की समस्या को देखते हुए कोयल, औरंगा और बूढ़ा नदियों को पुनर्जीवित करने की योजना शुरू की है। इस कार्य के लिए हैदराबाद की संस्था ‘ब्लू एलिक्सिर’ को सर्वेक्षण का कार्य सौंपा गया है।

“दो हजार से अधिक छोटी नदियां और नाले हैं जिन्हें पुनर्जीवित करने की योजना है।”
– प्रजेशकान्त जेना, उपनिदेशक, पीटीआर

मानसून पर निर्भर हैं तीनों प्रमुख नदियां

कोयल नदी गुमला के कुटवा से निकलती है और मोहम्मदगंज में सोने नदी से मिलती है। औरंगा नदी लोहरदगा के चूल्हा पानी से निकलकर केचकी में कोयल से मिलती है जबकि बूढ़ा नदी बूढ़ा पहाड़ से निकलती है और कोयल में मिल जाती है। तीनों नदियां वर्षा पर पूरी तरह निर्भर हैं, और गर्मियों में सूख जाती हैं, जिससे पलामू, गढ़वा और लातेहार जिले जल संकट से जूझते हैं।

सैटेलाइट मैपिंग से होगी सहायक नदियों की पहचान

ब्लू एलिक्सिर संस्था और पीटीआर संयुक्त रूप से सैटेलाइट मैपिंग कर रही हैं ताकि यह पता चल सके कि कौन-कौन सी सहायक नदियां और नाले अब भी अस्तित्व में हैं और किसे पुनर्जीवित किया जा सकता है।

ग्रामीणों की अहम भूमिका

इस योजना में स्थानीय ग्रामीणों का भी सहयोग लिया जा रहा है। ग्रामीणों के पास स्थानीय जल स्रोतों की गहरी जानकारी है, जिसका उपयोग पानी को रोकने और सहेजने के उपायों में किया जाएगा।

“स्थानीय अनुभव और वैज्ञानिक तकनीकों का मेल ही इस परियोजना की सफलता की कुंजी है।”
– पलामू टाइगर रिजर्व अधिकारी

गाद की वजह से लुप्त हो गई कई नदियां

पहाड़ी क्षेत्रों से बारिश का पानी बहकर समतल भूमि में गाद जमा कर देता है जिससे कई छोटी नदियां और नाले खत्म हो गए हैं। इन्हें फिर से खोजकर पुनर्जीवित किया जाएगा।

चेन गेवियन तकनीक का इस्तेमाल

नदियों के बहाव को नियंत्रित करने और गाद की समस्या को रोकने के लिए ‘चेन गेवियन’ तकनीक अपनाई जा रही है, जिसमें पत्थरों को विशेष तरीके से जोड़कर बहाव को धीमा किया जाता है। यह तकनीक पलामू टाइगर रिजर्व और ब्लू एलिक्सिर मिलकर लागू करेंगे।

न्यूज़ देखो : जल संरक्षण की दिशा में नई उम्मीद

पलामू में नदियों के संरक्षण की यह पहल केवल जल संकट से राहत नहीं दिलाएगी, बल्कि पारिस्थितिक तंत्र और वन्य जीवों के लिए भी वरदान साबित होगी। ‘न्यूज़ देखो’ अपील करता है कि हर नागरिक इस जल पुनर्जीवन मुहिम से जुड़े और अपने जल स्रोतों की रक्षा करें। जल है तो कल है!

यह खबर आपके लिए कितनी महत्वपूर्ण थी?

रेटिंग देने के लिए किसी एक स्टार पर क्लिक करें!

इस खबर की औसत रेटिंग: 0 / 5. कुल वोट: 0

अभी तक कोई वोट नहीं! इस खबर को रेट करने वाले पहले व्यक्ति बनें।

चूंकि आपने इस खबर को उपयोगी पाया...

हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करें!

IMG-20250610-WA0011
IMG-20250723-WA0070
IMG-20250604-WA0023 (1)
IMG-20250925-WA0154
IMG-20251017-WA0018
1000264265
आगे पढ़िए...

नीचे दिए बटन पर क्लिक करके हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करें


Related News

Back to top button
error: