#पलामू #प्रतिकार_मार्च – हिंदू समाज में असुरक्षा की भावना, सड़कों पर उतरे नागरिक, सुरक्षा नीति पर उठे सवाल
- पहलगाम में धर्म पूछकर हत्या की घटना से पलामू में फैला आक्रोश
- ‘खुला मंच’ व्हाट्सएप ग्रुप ने निकाला प्रतिकार मार्च, सैकड़ों लोग हुए शामिल
- डॉ. राजेंद्र प्रसाद चौक तक गूंजे गगनभेदी नारे और जनसंदेश
- वक्ताओं ने हिंदू समाज की सुरक्षा को लेकर जताई चिंता
- अधिकारियों से आतंकवाद पर सख्त नीति बनाने की मांग
- पहलगाम जैसी घटनाओं को ‘नई कश्मीर नीति’ की विफलता बताया गया
आस्था के नाम पर हिंसा के खिलाफ पलामू की सड़कों पर जनसैलाब
पलामू जिले में पहलगाम हत्या कांड के विरोध में ‘खुला मंच’ व्हाट्सएप ग्रुप के नेतृत्व में भारी विरोध प्रदर्शन और प्रतिकार मार्च निकाला गया। इस मार्च में सैकड़ों स्थानीय नागरिकों, युवाओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।
कचहरी शहीद चौक से लेकर डॉ. राजेंद्र प्रसाद चौक छहमुहान तक निकले इस मार्च में आतंकवाद का धर्म तय करो, हिंदू हत्या नहीं सहेगा हिंदुस्तान, जैसे गगनभेदी नारे लगाए गए। इस प्रदर्शन ने क्षेत्र में हिंदू समाज की असुरक्षा और राष्ट्र की नीतियों पर भरोसे की गिरावट को उजागर किया।
वक्ताओं की तीखी प्रतिक्रिया और भावनात्मक अपील
मार्च के दौरान मंच पर आए कई वक्ताओं ने प्रखर भाषण देते हुए केंद्र सरकार और नीति निर्माताओं से सख्त कार्रवाई की मांग की।
“यह सही है कि हर इस्लामिक आतंकवादी नहीं होता है लेकिन गोली खाने वाला हमेशा हिंदू ही होता है।”
— नवदीप सिंह ऋषि, अध्यक्ष, खुला मंच व्हाट्सएप ग्रुप“जहां उनकी आबादी कम है वहां भाईचारा दिखता है, पर जहां अधिक है वहां हिंदू चारा बन जाता है।”
— रजनीश सिंह, एडमिन, खुला मंच“मृतकों से पटी भू है पहचान… इसमें कहां तू है?”
— राहुल मिश्रा, कोषाध्यक्ष
इन वक्तव्यों ने प्रदर्शन को आक्रोश और विवेक का संगम बना दिया। हिंदू सुरक्षा नीति पर दोबारा सोचने की ज़रूरत जताई गई।
सामाजिक एकता के मंच पर दिखा जनसमूह का साहस
इस विरोध मार्च में शामिल लोगों की संख्या ने यह दिखाया कि हिंदू समाज अब चुप नहीं रहने वाला। रितेश कुमार टिंकू, सह-कोषाध्यक्ष ने कहा कि अगर हिंदू भारत में सुरक्षित नहीं रहेगा, तो यह धर्म का नहीं, सभ्यता का भी पतन होगा।
नवीन तिवारी, मीडिया प्रभारी ने बताया कि इस मार्च का उद्देश्य किसी धर्म के खिलाफ नहीं, बल्कि आतंकवाद और धर्म-आधारित हत्याओं के खिलाफ चेतना फैलाना है।
सुरक्षा एजेंसियों से कार्रवाई की मांग
प्रदर्शनकारियों ने जिला प्रशासन से मांग की कि पहलगाम जैसी घटनाओं पर केवल बयान नहीं, ठोस कार्रवाई हो। लोगों ने संसद से लेकर पंचायत स्तर तक कानून में बदलाव की जरूरत बताई और कहा कि अगर अब भी हम नहीं जागे, तो ऐसी घटनाएं आम होती जाएंगी।
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