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पलामू प्रमंडल में बालू संकट: गंभीर समस्या पर सत्येंद्र नाथ तिवारी ने उठाए सवाल

पलामू प्रमंडल में पिछले पांच वर्षों से बालू संकट एक गंभीर जन समस्या बन चुका है। बालू खनन के लिए सरकार द्वारा टेंडर न निकाले जाने और नदियों-नालों से बालू निकासी बंद होने के कारण काला बाजारी बढ़ रही है। यह संकट निर्माण कार्यों से लेकर प्रधानमंत्री आवास योजना तक को प्रभावित कर रहा है।

बालू संकट का कारण

  1. सरकार की निष्क्रियता:
    सत्येंद्र नाथ तिवारी ने सरकार पर आरोप लगाया कि यह समस्या जानबूझकर बनाई गई है। उन्होंने कहा कि बालू खनन को बंद करने और टेंडर जारी न करने के पीछे राज्य सरकार की रणनीति है।
  2. कालाबाजारी का बोलबाला:
    बालू की किल्लत के कारण पलामू प्रमंडल में कालाबाजारी फल-फूल रही है। बालू की कीमतें आसमान छू रही हैं, जिससे आम जनता और निर्माण कार्य बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं।
  3. मंत्रियों की संलिप्तता:
    तिवारी ने इशारों में कहा कि पूर्व सरकार और प्रभावशाली मंत्री बालू की इस समस्या को और बढ़ाने में जिम्मेदार हैं। उन्होंने इसे “बालू लूट” करार दिया।

समाधान का सुझाव

सत्येंद्र नाथ तिवारी ने हेमंत सरकार से आग्रह किया कि बालू खनन की प्रक्रिया को सरल बनाया जाए और बालू मुफ्त उपलब्ध कराया जाए। उनका कहना है कि इससे न केवल बालू संकट हल होगा, बल्कि जनता को बड़ी राहत मिलेगी

“बालू को लेकर समस्या कोई अचानक नहीं आई। यह सरकार की रणनीति के तहत बालू की कृत्रिम समस्या पैदा की गई। बालू की कालाबाजारी को रोकने के लिए बालू मुक्त किया जाए।”

पलामू प्रमंडल की जनता को अब सरकार से ठोस कदम की उम्मीद है ताकि इस लंबे समय से चल रही समस्या का समाधान हो सके।

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