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- राजा मेदिनीराय की स्मृति में पलामू किला के पास मेला का आयोजन
- वित्त मंत्री राधा कृष्ण किशोर और समाज कल्याण मंत्री चमरा लिंडा मुख्य अतिथि
- SHG समूहों द्वारा बनाए गए उत्पादों की बिक्री और प्रोत्साहन
- सरना कोड और पेसा कानून को प्रभावशाली तरीके से लागू करने की मांग
- दुबीयाखाड़ में विश्वविद्यालय स्थापित कर आदिवासी शोध को बढ़ावा देने का सुझाव
आदिवासी गौरव और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
पलामू: झारखंड के वीर योद्धा राजा मेदिनीराय, जिनके शासनकाल में समृद्धि और खुशहाली थी, उनकी स्मृति में राजकीय आदिवासी विकास महाकुंभ का आयोजन किया जाता है। हर साल फरवरी में आयोजित होने वाले इस मेले का उद्देश्य आदिवासी संस्कृति और उनके उत्थान को बढ़ावा देना है।
विशिष्ट अतिथियों का सम्मान
इस वर्ष मेला में झारखंड के वित्त मंत्री राधा कृष्ण किशोर और समाज कल्याण मंत्री चमरा लिंडा को बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित किया गया। मंच पर उनका स्वागत झारखंड माटीकला बोर्ड के उत्कृष्ट उत्पाद और अंगवस्त्र देकर किया गया। इसके बाद, राजा मेदिनीराय की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा
मेले में लगे विभिन्न स्टॉलों का निरीक्षण किया गया, जहां SHG समूहों द्वारा निर्मित दैनिक उपयोग की वस्तुएं और खाद्य सामग्री प्रदर्शित की गईं। पलास मार्ट के माध्यम से इन उत्पादों को बेचा और खरीदा गया, जिससे स्थानीय कारीगरों और महिलाओं को आर्थिक सहयोग मिला।
सरना कोड और पेसा कानून की मांग
कार्यक्रम में वक्ताओं ने सरना कोड को मान्यता देने और पेसा कानून को प्रभावशाली तरीके से लागू करने की मांग की, जिससे आदिवासी समाज को सशक्त किया जा सके। साथ ही, दुबीयाखाड़ में एक विश्वविद्यालय स्थापित कर आदिवासी परंपराओं और इतिहास पर शोध की जरूरत पर जोर दिया गया।
मेले का विस्तार और वैश्विक पहचान
आयोजकों ने आग्रह किया कि इस राजकीय आदिवासी विकास महाकुंभ को और अधिक व्यापक बनाया जाए। यदि मेले की अवधि दो दिन और बढ़ाई जाए और इसमें देशभर के आदिवासी समुदायों की भागीदारी सुनिश्चित की जाए, तो यह मेला वैश्विक पहचान प्राप्त कर सकता है और पलामू को पर्यटन तथा राजस्व के क्षेत्र में आगे बढ़ा सकता है।
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