
#पलामू #जनसुविधा : जोगा पंचायत की सड़क की खराब स्थिति से ग्रामीणों को हो रही मुश्किलें, युवा समाजसेवी ने उठाए सवाल
- जोगा पंचायत की सड़क कीचड़ और गड्ढों से भरी, बारिश में जानलेवा बन चुकी है।
- बच्चों का स्कूल जाना, बीमारों को अस्पताल ले जाना और आम जनता का आवागमन मुश्किल।
- पंचायत के मुखिया और सरपंच की अनदेखी और जनप्रतिनिधियों की मौन स्थिति पर ग्रामीणों में आक्रोश।
- युवा समाजसेवी विकाश मेहरा ने स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को सवालों के लिए जवाबदेह ठहराया।
- विकास के नाम पर पंचायत में कागज़ी खानापूर्ति और जनता को वादों के सहारे रखा जाना।
पलामू जिला अंतर्गत जोगा पंचायत की यह सड़क विकास की कहानी नहीं, बल्कि स्थानीय प्रशासन और प्रतिनिधियों की लापरवाही और भ्रष्टाचार का सच्चा प्रतिबिंब है। बारिश के मौसम में यह सड़क गंभीर खतरे का कारण बन गई है, जिससे बच्चों का स्कूल जाना, बीमारों का इलाज और आम लोगों का आवागमन अत्यंत कठिन हो गया है।
ग्रामीणों का कहना है कि पंचायत के मुखिया और सरपंच अपने दायित्वों से लगातार भाग रहे हैं, और जनता की परेशानियों पर किसी का ध्यान नहीं जा रहा। विकास के नाम पर केवल कागज़ों में रिकॉर्ड तैयार किया जाता है, जबकि जमीन पर कोई सुविधा नहीं पहुंचती।
युवा समाजसेवी ने उठाए सवाल
स्थानीय युवा समाजसेवी विकाश मेहरा ने इस कुव्यवस्था के खिलाफ जोरदार आवाज़ उठाई। उन्होंने कहा:
“जनता टैक्स भी देती है, वोट भी देती है, तो सुविधा क्यों नहीं मिल रही? मुखिया और सरपंच तुरंत जवाब दें।”
विकाश मेहरा ने ग्रामीणों की पीड़ा को मुखर करते हुए पूछा कि विकास के लिए बजट और संसाधन कहाँ खर्च हुए, और जब सड़क न बनती है तो इसका उत्तरदायी कौन है। उन्होंने पंचायत और प्रखंड प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग की।
जनता की उम्मीद और संघर्ष
ग्रामीणों का कहना है कि यह केवल सड़क का मामला नहीं है, बल्कि जनप्रतिनिधियों और प्रशासन की जिम्मेदारी की परीक्षा है। अगर समय रहते सुधार नहीं हुआ, तो यह समस्या और गंभीर रूप ले सकती है।
ग्रामीण और युवा समाजसेवी मिलकर पंचायत प्रशासन पर दबाव बना रहे हैं कि सड़क निर्माण कार्य तुरंत शुरू हो और बरसात में जीवन संकट से मुक्ति मिले।

न्यूज़ देखो: जोगा पंचायत की सड़क संकट से ग्रामीणों ने उठाया आवाज़
यह मामला यह दिखाता है कि ग्रामीण इलाकों में जनप्रतिनिधियों की निष्क्रियता और भ्रष्टाचार सीधे जनता की जीवन गुणवत्ता पर असर डालती है। युवा समाजसेवी द्वारा उठाई गई आवाज़ और पंचायत पर दबाव ग्रामीण लोकतंत्र की मजबूती और जनता की सजगता का उदाहरण है।
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सड़कों और बुनियादी सुविधाओं की समस्या सिर्फ सरकारी मामला नहीं है, बल्कि हर नागरिक की जिम्मेदारी है कि वह अपनी आवाज़ उठाए। अपने गांव और पंचायत में बदलाव के लिए पहल करें, समस्याओं की जानकारी साझा करें, और जनता के अधिकारों के लिए हमेशा सजग रहें। अपनी राय कमेंट करें, खबर को साझा करें और जागरूकता फैलाएं।