
#पलामू #किसान_संकट : चैनपुर प्रखंड में निलगाय से रबी फसल तबाह, सरकार से राहत की गुहार।
पलामू जिले के चैनपुर प्रखंड में निलगाय के बढ़ते आतंक से किसान गंभीर संकट में हैं। रबी फसलों को भारी नुकसान झेल रहे किसानों ने खेती को असंभव बताते हुए स्थायी समाधान की मांग की है। मनवाधिकार सुरक्षा एवं संरक्षण से जुड़े स्वयंसेवक ने प्रभावित गांवों का दौरा कर किसानों की समस्याएं सुनीं। किसानों का कहना है कि मुआवजा प्रक्रिया जटिल है और निलगाय से निजात के बिना खेती बचाना मुश्किल हो गया है।
- प्रभावित क्षेत्र: चैनपुर प्रखंड की कई पंचायतें।
- मुख्य समस्या: निलगाय द्वारा फसलों को रौंदकर नष्ट करना।
- प्रमुख फसलें प्रभावित: चना, मसूर, अरहर, सरसों, आलू।
- किसानों की मांग: स्थायी समाधान और सरल मुआवजा व्यवस्था।
- स्थानीय पहल: मनवाधिकार सुरक्षा एवं संरक्षण द्वारा किसानों से संवाद।
पलामू जिले के चैनपुर प्रखंड में खेती-किसानी आज गंभीर संकट से गुजर रही है। सोमवार 22 दिसंबर को मनवाधिकार सुरक्षा एवं संरक्षण, पलामू जिला के स्वयंसेवक नागेंद्र चौरसिया ने ग्राम पंचायत कोशियारा सहित आसपास के गांवों का दौरा कर किसानों से मुलाकात की। इस दौरान किसानों ने एक स्वर में बताया कि निलगाय के आतंक ने उनकी वर्षों की मेहनत पर पानी फेर दिया है।
खेती महंगी, नुकसान असहनीय
किसानों का कहना है कि आज के समय में खेती करना पहले से कहीं ज्यादा महंगा हो गया है। उन्नत बीज, खाद, कीटनाशक, सिंचाई और तकनीकी साधनों पर भारी खर्च होता है। इसके बावजूद जब फसल तैयार होने लगती है, तब निलगाय झुंड में आकर फसलों को खा जाने से ज्यादा रौंदकर बर्बाद कर देती हैं।
कई पंचायतें प्रभावित
निलगाय के आतंक से कोशियारा, तेनला, बोकेया, रामपुर, लिधकी, बैना, गुरयही, नगवा, मझिगवां, पुरबडिहा, पतरिया सहित कई पंचायतों की खेती बुरी तरह प्रभावित हो रही है। किसानों के अनुसार, खेतों में रात-दिन पहरा देना भी अब बेअसर साबित हो रहा है।
किसानों की पीड़ा, नामजद शिकायतें
रामपुर गांव के किसान शिव प्रसाद सिंह, आनंद सिंह, मुरारी सिंह और नकुल सिंह ने बताया कि उनकी रबी फसलें लगभग नष्ट हो चुकी हैं। वहीं कोशियारा के किसान शंभु चौरसिया, गिरवर महतो, बिशुनदेव महतो, धर्मदेव महतो, कर्मदेव महतो, मनसोख चौरसिया, धौल महतो, मोहन, अशेष प्रसाद, बिनोद चौरसिया, अमलेश चौरसिया, धर्मेंद्र चौरसिया, ललन चौरसिया सहित दर्जनों किसानों ने एक जैसी समस्या बताई।
जनप्रतिनिधियों की चिंता
इस मौके पर वार्ड सदस्य पति प्रभु, पंचायत समिति सदस्य पति संजय चौरसिया, बिंदा जी चौरसिया, बिरबहादुर चौरसिया उर्फ गजू जी, पुटुन जी, राजकिशोर चौरसिया, अमूल्य चौरसिया, अनिरुद्ध चौरसिया भी उपस्थित थे। सभी ने प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की।
अन्य गांवों की स्थिति भी गंभीर
बोकेया गांव के किसान ब्रह्मदेव चौधरी, लालमुनि चौधरी, प्रभु चौधरी और तेनला गांव के किसान मुशाफिर शर्मा, रामावतार साव, सतेन्द्र राम, कपिल देव राम, त्रिवेणी राम ने बताया कि निलगाय का आतंक हर साल बढ़ता जा रहा है, लेकिन समाधान की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
मुआवजा प्रक्रिया पर नाराजगी
किसानों ने बताया कि वन विभाग द्वारा फोटो और दस्तावेज जमा करने, फिर सत्यापन के बाद मुआवजा भुगतान की बात कही जाती है। लेकिन यह प्रक्रिया केवल कार्यालयों के चक्कर तक सीमित रह जाती है। कई किसानों को आज तक उचित मुआवजा नहीं मिल सका है।
चकबंदी नहीं, बिखरी खेती
किसानों ने यह भी कहा कि चकबंदी के अभाव में खेती टुकड़ों में बंटी हुई है, जिससे निलगाय से फसलों की सुरक्षा और भी मुश्किल हो जाती है। जब तक निलगाय के आतंक का स्थायी समाधान नहीं निकाला जाता, तब तक खेती करना लगभग असंभव हो गया है।
रबी फसल पर सबसे ज्यादा असर
इस वर्ष रबी फसल सबसे अधिक प्रभावित हुई है। किसानों के अनुसार चना, मसूर, अरहर, सरसों और आलू जैसी फसलें निलगाय द्वारा बर्बाद कर दी गई हैं। इससे किसानों की आर्थिक स्थिति और अधिक कमजोर हो गई है।
मानवाधिकार संगठन की पहल
मनवाधिकार सुरक्षा एवं संरक्षण के स्वयंसेवक नागेंद्र चौरसिया ने किसानों की समस्याओं को गंभीर बताते हुए कहा कि यह केवल खेती का नहीं, बल्कि किसानों के जीवन और आजीविका का सवाल है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि किसानों की मांगों को प्रशासन और सरकार तक पहुंचाया जाएगा।
न्यूज़ देखो: खेती बचाने को नीति जरूरी
यह मामला दर्शाता है कि निलगाय का बढ़ता आतंक ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए गंभीर खतरा बन चुका है। केवल मुआवजा नहीं, बल्कि स्थायी नीति और वैज्ञानिक समाधान की आवश्यकता है। सरकार और वन विभाग को मिलकर ठोस कदम उठाने होंगे। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
किसान हित में ठोस पहल जरूरी
खेती बचेगी तभी गांव बचेगा।
किसानों की आवाज को अनसुना नहीं किया जा सकता।
आपकी राय क्या है—निलगाय से निजात का समाधान क्या हो सकता है?
अपनी बात कमेंट में लिखें, खबर साझा करें और किसान हित की इस मांग को मजबूती दें।





