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पलामू किला और बेतला टाइगर सफारी बनेंगे झारखंड के पर्यटन आइकॉन – 2027 तक दोनों परियोजनाएं होंगी शुरू

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#बरवाडीह #पर्यटन_विकास : पलामू किला का संरक्षण और बेतला टाइगर सफारी निर्माण पर 2027 तक दिखेगा बदलाव — पर्यटन और वन विभाग ने शुरू की तेज़ तैयारी
  • पलामू के नए और पुराने किले के संरक्षण और जीर्णोद्धार पर होगा 40–50 करोड़ रुपये का व्यय
  • बेतला क्षेत्र में 300 एकड़ जमीन में 215 करोड़ रुपये की लागत से बनेगी टाइगर सफारी
  • बैठक में शामिल हुए पर्यटन मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू और वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर
  • राजा मेदिनीराय के ऐतिहासिक किले को पुरातात्विक धरोहर के रूप में विकसित करने की योजना
  • मुख्यमंत्री से सहमति मिलने के बाद अब योजनाओं को 2027 तक पूरा करने का लक्ष्य

योजनाओं की समीक्षा बैठक में बना रोडमैप

बरवाडीह स्थित सरकारी आवास में आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक में पर्यटन मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू और वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने पलामू किला और बेतला टाइगर सफारी योजनाओं की स्थिति की समीक्षा की। बैठक में वन एवं पर्यावरण सचिव अबू बकर सिद्दीकी, पर्यटन सचिव मनोज कुमार, संस्कृति निदेशक आसिफ एकराम, झारखंड राज्य वन निगम के प्रबंध निदेशक वाई.के. दास, और पलामू टाइगर प्रोजेक्ट के निदेशक एस.आर. नाटेश मौजूद थे।

पलामू किला के संरक्षण को लेकर विस्तृत DPR बनेगा

अधिकारियों ने बताया कि राजा मेदिनीराय द्वारा निर्मित पलामू का नया और पुराना किला झारखंड की ऐतिहासिक विरासत है, जिसे पुरातात्विक धरोहर घोषित कर इसके संरक्षण और विकास की योजना बनाई जा रही है। इसके लिए किसी अनुभवी कंसलटेंट से विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन (DPR) तैयार कराया जाएगा, जिसे सक्षम प्राधिकरण से तकनीकी स्वीकृति और वेटिंग के बाद कार्यान्वित किया जाएगा। योजना पर कुल 40 से 50 करोड़ रुपये खर्च होने की संभावना है।

पर्यटन मंत्री सोनू ने बताया कि 2025-26 के बजट भाषण में भी इस संरक्षण कार्य का उल्लेख किया गया था, और अब इसे मूर्त रूप देने की दिशा में तेज़ी से काम शुरू कर दिया गया है।

बेतला टाइगर सफारी से जुड़े विस्तृत प्रोजेक्ट प्लान

बेतला टाइगर प्रोजेक्ट के अंतर्गत 300 एकड़ जमीन पर टाइगर सफारी बनाए जाने की योजना पर भी बैठक में गहन चर्चा हुई। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की संवैधानिक सहमति के बाद अब इस परियोजना को 2027 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इस परियोजना की अनुमानित लागत 215 करोड़ रुपये बताई गई है।

विभागीय अधिकारियों ने जानकारी दी कि भूमि चिह्नित हो चुकी है और अब टेंडरिंग, DPR और पर्यावरणीय मंज़ूरी जैसे सभी औपचारिकताएं पूरी की जाएंगी

पर्यटन मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू ने कहा: “पलामू किला और बेतला टाइगर सफारी झारखंड का ड्रीम प्रोजेक्ट है। इन दोनों परियोजनाओं से न सिर्फ ऐतिहासिक और जैव विविधता को संरक्षित किया जाएगा, बल्कि पर्यटन, स्थानीय रोज़गार और आर्थिक विकास को भी नई दिशा मिलेगी।”

अधिकारियों को मिला स्पष्ट निर्देश

मंत्रियों ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि दोनों परियोजनाओं के लिए सभी विभाग आपसी समन्वय से काम करें और हर प्रक्रिया को पारदर्शिता और गुणवत्ता के साथ पूरा करें। विशेषकर पुनर्वास, वन स्वीकृति, तकनीकी ड्राइंग, लागत विश्लेषण, और जनता से संवाद की प्रक्रिया समयबद्ध ढंग से की जाए।

न्यूज़ देखो: झारखंड पर्यटन को नई उड़ान देने की तैयारी

‘न्यूज़ देखो’ की नज़र से देखें तो यह स्पष्ट है कि झारखंड सरकार अब अपनी ऐतिहासिक और प्राकृतिक धरोहरों को विश्वस्तरीय पर्यटन केंद्रों में बदलने की दिशा में गंभीर है। पलामू का किला हो या बेतला की टाइगर सफारी—दोनों योजनाएं न केवल क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देंगी बल्कि झारखंड की सांस्कृतिक पहचान को भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करेंगी।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

सकारात्मक सोच, सजग भागीदारी

स्थानीय विरासत को बचाने और विकसित करने की यह पहल हम सभी के लिए गर्व की बात है। चलिए, इस बदलाव का हिस्सा बनें—अपना मत ज़रूर साझा करें, इस लेख को शेयर करें, और झारखंड की सांस्कृतिक धरोहर को सबके सामने लाएं।

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