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पलामू: पाण्डु के ढांचाबार में बारिश बनी आफत, कच्ची सड़क की फिसलन से त्रस्त स्कूली बच्चे

#पांडू #ग्राम_समस्या : बारिश में कच्ची सड़क बनी ग्रामीणों के लिए जानलेवा—स्कूली बच्चे और बुजुर्गों को आवागमन में सबसे ज्यादा परेशानी

ग्रामीणों की पीड़ा: हर बारिश में डर, गिरने और घायल होने का खतरा

पलामू के पांडू प्रखंड अंतर्गत डाला कला पंचायत के ढांचाबार गांव में सड़क नहीं होने से बरसात में ग्रामीणों की परेशानी चरम पर है। हर दिन स्कूली बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं कीचड़ से भरे, गड्ढों वाले रास्ते से गुजरते हुए फिसल जाते हैं और घायल हो रहे हैं। ऐसे में बारिश अब गांव वालों के लिए राहत नहीं बल्कि एक मुसीबत बन गई है

स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि सड़क की स्थिति इतनी खराब है कि स्कूल जाने वाले बच्चे कई बार रास्ते में गिरकर चोटिल हो चुके हैं। बुजुर्गों और बीमारों को इलाज के लिए अस्पताल ले जाना भी कठिन हो गया है। गांव से मुख्य सड़क तक पहुंचना भारी जोखिम भरा कार्य हो गया है

समाजसेवी मोहित सिंह ने उठाई आवाज, कहा— सड़क के बिना नहीं होगा विकास

युवा समाजसेवी मोहित सिंह ने सड़क की बदहाली को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि “सड़क किसी भी गांव के विकास का आधार होती है। लेकिन जब सड़क ही कीचड़ और गड्ढों से भरी हो, तो यह साफ है कि उस क्षेत्र में विकास की अनदेखी हो रही है।”

मोहित सिंह ने कहा:ग्रामीण कई बार अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से सड़क निर्माण की मांग कर चुके हैं, लेकिन अब तक सिर्फ आश्वासन मिला है, समाधान नहीं।”

महिलाओं और मरीजों के लिए बनी दोहरी मुसीबत

गांव की महिलाएं विशेष रूप से इस कच्ची सड़क से परेशान हैं, क्योंकि बारिश में जलजमाव और कीचड़ से उनका बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है। गर्भवती महिलाओं, बीमार व्यक्तियों और बुजुर्गों के लिए यह सड़क जानलेवा साबित हो सकती है, क्योंकि एम्बुलेंस तक गांव के भीतर नहीं पहुंच पाती

कीचड़ से भरी सड़क और नाली की अनुपस्थिति से संकट और गहराया

स्थानीय लोगों ने बताया कि सड़कों के किनारे जल निकासी की कोई समुचित व्यवस्था नहीं है। ऐसे में बारिश का पानी गड्ढों और खेतों में जमा हो जाता है। नतीजा ये होता है कि सड़क एक दलदल में तब्दील हो जाती है और गांव से बाहर निकलना ही भारी चुनौती बन जाता है।

एक ग्रामीण महिला ने कहा:बच्चों को स्कूल भेजते समय हमेशा डर रहता है कि वे कहीं फिसलकर गिर न जाएं। कई बार चोटें लग चुकी हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही।”

न्यूज़ देखो: ग्रामीण आवाज़ों की अनदेखी कब तक?

न्यूज़ देखो मानता है कि ढांचाबार जैसे इलाकों में सड़क जैसी बुनियादी सुविधा का अभाव प्रशासन की नाकामी को दर्शाता है। एक ओर सरकार ग्रामीण विकास की बात करती है, तो दूसरी ओर लोगों को कीचड़ और फिसलन भरे रास्तों पर जान जोखिम में डालकर सफर करना पड़ता है। समय आ गया है कि ग्रामीणों की इन बुनियादी जरूरतों पर गंभीरता से काम हो
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

सजग नागरिक बनें, आवाज़ उठाएं

अगर आप भी ढांचाबार और ऐसे अन्य गांवों की समस्याओं को महसूस करते हैं, तो इस खबर को साझा करें, अपने क्षेत्रीय प्रतिनिधियों से सवाल पूछें और जनहित के कार्यों में भागीदारी निभाएं। सकारात्मक बदलाव तभी संभव है जब हम सब मिलकर प्रयास करें।

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