
#पलामू #श्रद्धांजलिसभा : पंचायत भवन परिसर में उमड़ा जनसैलाब, ग्रामीणों ने कहा — उनके सपनों का झारखंड बनाएंगे
- पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन के निधन पर पूरे क्षेत्र में शोक की लहर।
- पंचायत भवन परिसर में मुखिया पूनम देवी के नेतृत्व में श्रद्धांजलि सभा।
- गुरूजी के संघर्ष और त्याग को बताया प्रेरणास्रोत।
- ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों ने पुष्प अर्पित कर मौन रखा।
- सशक्त और आत्मनिर्भर झारखंड के सपने को पूरा करने का संकल्प।
झारखंड आंदोलन के प्रणेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन ने पूरे पलामू-पांडू इलाके को गहरे शोक में डाल दिया है। गुरुवार को पंचायत भवन परिसर में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में सैकड़ों ग्रामीण, जनप्रतिनिधि और स्वयंसेवक शामिल हुए। सभी ने उनके योगदान को झारखंड की अस्मिता और गौरव की आधारशिला बताया।
संघर्ष और त्याग का अद्वितीय उदाहरण
श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए मुखिया पूनम देवी ने कहा कि शिबू सोरेन का जीवन गरीबों, आदिवासियों, किसानों और मजदूरों की आवाज को बुलंद करने के लिए समर्पित रहा। उनका हर कदम झारखंड की अस्मिता और अधिकारों की रक्षा के लिए था। पूनम देवी ने गुरूजी को झारखंड की राजनीति और सामाजिक चेतना का सबसे चमकता सितारा बताया।
ग्रामवासियों की श्रद्धांजलि और संकल्प
कार्यक्रम में दिनेश श्रीवास्तव, अजीत कुमार, एजाज, शारदा देवी, मीना देवी, सुनेश्वर बैठा, मितलेश कुमार, अरविंद कुमार, संतोष कुमार और नित्यानंद समेत कई पंचायत प्रतिनिधि और ग्रामीण मौजूद रहे। सभी ने गुरूजी के चित्र पर पुष्प अर्पित किए और दो मिनट का मौन रखकर उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।
सपनों का झारखंड बनाने का आह्वान
गांव के बुजुर्गों और युवाओं ने एकमत होकर कहा कि गुरूजी का सपना — एक सशक्त, आत्मनिर्भर और खुशहाल झारखंड — तभी पूरा होगा जब सभी मिलकर विकास और सामाजिक न्याय के लिए काम करेंगे। उन्होंने वादा किया कि गुरूजी के दिखाए रास्ते पर चलते हुए राज्य के हर कोने में खुशहाली लाने का प्रयास किया जाएगा।
न्यूज़ देखो: शहादत और संघर्ष की विरासत
दिशोम गुरु शिबू सोरेन का जीवन हमें सिखाता है कि संघर्ष और त्याग से ही बड़े बदलाव आते हैं। उनकी सोच और कार्यपद्धति झारखंड के लिए दिशा-सूचक बनी रहेगी। अब यह जिम्मेदारी झारखंडवासियों की है कि वे उनके अधूरे सपनों को पूरा करें। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
प्रेरणा से कार्य की ओर
ऐसे महान नेता की विरासत को आगे बढ़ाना हम सबका कर्तव्य है। उनकी शिक्षाओं को अपने जीवन में अपनाकर ही हम उनके संघर्ष को सार्थक बना सकते हैं। इस खबर को अपने दोस्तों और परिवार के साथ साझा करें और अपने विचार जरूर लिखें।