
#सिमडेगा #सामाजिक_जागरूकता : पारा शिक्षक ने 600 किलोमीटर की साइकिल यात्रा कर युवाओं को नशा नाश का संदेश दिया
- पारा शिक्षक लतीफ अंसारी ने 17 अक्टूबर को गोड्डा से साइकिल यात्रा शुरू की और 600 किलोमीटर की दूरी तय कर सिमडेगा पहुंचे।
- उनकी यात्रा का मुख्य उद्देश्य समाज में नशा मुक्ति और जागरूकता फैलाना था।
- यात्रा में दुमका, जामताड़ा, धनबाद, बोकारो, रामगढ़, लोहरदगा और गुमला जैसे जिले शामिल थे।
- सिमडेगा में पत्रकार संघ ने उनका स्वागत अंगवस्त्र और मिठाई देकर किया।
- यात्रा का अगला पड़ाव खूंटी, रांची, हजारीबाग, गिरिडीह, देवघर होकर 31 अक्टूबर को गोड्डा पर समाप्त होगा।
पारा शिक्षक लतीफ अंसारी ने समाज सेवा और जागरूकता के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई है। दीपावली और छठ की छुट्टियों का लाभ उठाते हुए उन्होंने गोड्डा से साइकिल पर यात्रा शुरू की, ताकि ग्रामीण और शहरी युवाओं को नशा और उसका हानिकारक प्रभाव समझाया जा सके। उनका यह अभियान न केवल शारीरिक परिश्रम का उदाहरण है, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी का भी परिचायक है।
यात्रा और संदेश का महत्व
लतीफ अंसारी ने कहा कि नशा समाज की जड़ें कमजोर करता है और युवा पीढ़ी को प्रभावित करता है। उन्होंने इस अभियान के माध्यम से लोगों को संदेश दिया कि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए नशा त्यागना आवश्यक है। उनकी यात्रा में विभिन्न शहरों और ग्रामीण इलाकों के स्कूलों, पंचायतों और स्थानीय समुदायों में जाकर लोगों से संवाद किया गया।
सिमडेगा में स्वागत
सिमडेगा पहुँचने पर सिमडेगा पत्रकार संघ ने उन्हें गर्मजोशी से स्वागत किया। स्वागत समारोह में उन्हें अंगवस्त्र और मिठाई भेंट की गई। इस अवसर पर स्थानीय पत्रकारों और नागरिकों ने उनके साहस और सामाजिक जिम्मेदारी की सराहना की।
लतीफ अंसारी ने कहा: “युवा पीढ़ी को नशे से दूर रखना हमारी जिम्मेदारी है, और इसके लिए हमें लगातार प्रयासरत रहना होगा। मेरी यह यात्रा समाज में जागरूकता फैलाने का एक छोटा कदम है।”
आगे की यात्रा
सिमडेगा से लतीफ अंसारी का सफर खूंटी, रांची, हजारीबाग, गिरिडीह और देवघर होते हुए 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस पर गोड्डा में समाप्त होगा। यह यात्रा न केवल नशा मुक्ति संदेश को फैलाएगी, बल्कि राज्य के विभिन्न हिस्सों में युवाओं और आम जनता के बीच सामाजिक चेतना को भी बढ़ावा देगी।
न्यूज़ देखो: साइकिल यात्रा के माध्यम से नशा मुक्ति संदेश का असरदार अभियान
यह पहल दिखाती है कि व्यक्तिगत प्रयास और लगन समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। लतीफ अंसारी जैसे शिक्षक न केवल शिक्षा के क्षेत्र में बल्कि सामाजिक जागरूकता फैलाने में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। प्रशासन और नागरिकों को ऐसे प्रयासों का समर्थन करना चाहिए ताकि युवा पीढ़ी स्वस्थ और सशक्त बने।
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