
- गढ़वा पर्यटन संवर्धन समिति की बैठक में सतबहिनी झरना तीर्थ का नाम तक नहीं लिया गया।
- स्थानीय मुखिया सुबोध कुमार वर्मा ने इस उपेक्षा पर जताई नाराजगी।
- सतबहिनी झरना तीर्थ को ‘ए’ श्रेणी पर्यटन स्थल में अपग्रेड करने की मांग।
- प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु और पर्यटक यहां पहुंचते हैं, फिर भी प्रशासन की अनदेखी।
पर्यटन समिति की बैठक में सतबहिनी झरना की उपेक्षा
गढ़वा जिले के उपायुक्त की अध्यक्षता में हुई पर्यटन संवर्धन समिति की बैठक में जिले के कई पर्यटन स्थलों को अपग्रेड करने पर चर्चा की गई। साथ ही, नए पर्यटन स्थलों को स्वीकृति देने के प्रस्ताव भी पारित किए गए। लेकिन, राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध सतबहिनी झरना तीर्थ का किसी ने जिक्र तक नहीं किया।
यह गढ़वा जिले का सबसे प्रमुख धार्मिक और पर्यटन स्थल माना जाता है। ऐसे में बैठक में इसकी अनदेखी किए जाने से स्थानीय लोगों में नाराजगी है।
मुखिया सुबोध कुमार वर्मा ने जताया विरोध
इस मामले में सरकोनी पंचायत के मुखिया सुबोध कुमार वर्मा ने प्रशासन के रवैये पर गहरा दुख व्यक्त किया।
- उन्होंने कहा कि बैठक में अन्य पर्यटन स्थलों को शामिल किया गया, लेकिन सतबहिनी झरना तीर्थ की अनदेखी की गई।
- इस उपेक्षा से आहत होकर रात 11 बजे उपायुक्त शेखर जमुआर को व्हाट्सएप पर संदेश भेजकर ध्यान देने की अपील की।
सतबहिनी झरना तीर्थ: धार्मिक और पर्यटन महत्व
यह तीर्थ स्थल गढ़वा जिले का ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है, जहां हर साल 3 से 4 लाख श्रद्धालु आते हैं।
- यहां साल में 5 बड़े मेले लगते हैं, जिनमें छठ महापर्व और माघ पूर्णिमा का 11 दिवसीय मानस महायज्ञ शामिल है।
- रोजाना दर्जनों गाड़ियों में पर्यटक इस स्थल पर पूजा-अर्चना और प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेने आते हैं।
मुखिया सुबोध कुमार वर्मा का कहना है कि यहां की खूबसूरती और धार्मिक महत्व को देखते हुए इसे ‘ए’ श्रेणी पर्यटन स्थल में शामिल किया जाना चाहिए।
‘न्यूज़ देखो’ की नज़र:
- क्या प्रशासन सतबहिनी झरना तीर्थ के महत्व को समझेगा?
- क्या इसे ‘ए’ श्रेणी पर्यटन स्थल में शामिल किया जाएगा?
- क्या गढ़वा जिले के पर्यटन स्थलों के विकास में कोई ठोस कदम उठाए जाएंगे?
‘न्यूज़ देखो’ इस मामले पर नजर बनाए रखेगा और आपको हर अपडेट देगा।