
#गढ़वा #बंगालहिंसा_विरोध – वफ्फ कानून की आड़ में हो रही हिंसा पर जताई चिंता, राष्ट्रपति शासन की मांग तेज
- विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल ने गढ़वा में सौंपा राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन
- पश्चिम बंगाल में वफ्फ कानून विरोध के नाम पर हो रही हिंसा पर जताया रोष
- अब तक 200 से अधिक घरों और दुकानों में आगजनी, कई नागरिकों की मौत
- महिलाओं से अभद्रता, हजारों हिंदू परिवारों का पलायन बना चिंता का विषय
- हिंसा की एनआईए जांच और राष्ट्रपति शासन की मांग की गई
- बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों की पहचान और निष्कासन की भी अपील
गढ़वा में सौंपा गया ज्ञापन, राष्ट्रपति से की गई कड़ी कार्रवाई की मांग
गढ़वा में विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के पदाधिकारियों ने संयुक्त रूप से राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन जिला उपायुक्त को सौंपा। ज्ञापन में पश्चिम बंगाल में वफ्फ कानून के विरोध की आड़ में भड़काई गई हिंसा पर कड़ा विरोध जताया गया। संगठन का कहना है कि राज्य में कानून व्यवस्था पूर्णतः चरमरा चुकी है और आमजन भय के साये में जीने को मजबूर हैं।
हिंसा के भयावह आंकड़े और पीड़ितों की पीड़ा
ज्ञापन में बताया गया कि अब तक 200 से अधिक हिंदू परिवारों के घर और दुकानें जला दी गई हैं, तीन नागरिकों की जान चली गई है और सैकड़ों लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। इसके अलावा महिलाओं से अभद्रता की घटनाएं भी सामने आई हैं जो कि एक सभ्य समाज के लिए शर्मनाक है।
स्थानीय प्रशासन की निष्क्रियता और पीड़ितों की अनदेखी
संगठन ने आरोप लगाया कि स्थानीय प्रशासन या तो मूकदर्शक बना रहा या कुछ स्थानों पर उपद्रवियों को समर्थन मिला। पीड़ितों से मिलने के बजाय मुख्यमंत्री ने उन इमामों से मुलाकात की जिन्होंने पहले ही भड़काऊ बयान दिए थे, जिससे पीड़ितों में असंतोष और आक्रोश और अधिक बढ़ गया।
राष्ट्रपति शासन और एनआईए जांच की उठी मांग
ज्ञापन में पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू करने, हिंसा की जांच एनआईए से कराने, और कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी केंद्रीय बलों को सौंपने की मांग की गई। इसके साथ ही बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों की पहचान कर निष्कासन करने की भी अपील की गई है ताकि इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके।
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