
#सिमडेगा #स्वास्थ्यव्यवस्थाकीबदहाली : चुंदियारी गांव में दुर्घटनाग्रस्त वृद्ध महिला को खटिया पर लादकर अस्पताल ले गए ग्रामीण — एंबुलेंस रास्ते में हुई खराब, बोलेरो से हुआ मरीज का इलाज संभव
- घायल वृद्धा को खटिया पर अस्पताल पहुंचाया गया
- चुंदियारी गांव से एंबुलेंस नहीं पहुंच पाई समय पर
- एंबुलेंस रास्ते में हुई खराब, गांव वालों ने बोलेरो किराए पर ली
- पूर्व प्रत्याशी श्रद्धानंद बेसरा ने की सिविल सर्जन से पहल
- स्वास्थ्य मंत्री के दावों की खुली पोल, 3 महीने में दूसरी घटना
घायल वृद्ध महिला को खटिया पर पहुंचाया अस्पताल
सिमडेगा जिला अंतर्गत पाकरडांड प्रखंड के केसलपुर पंचायत स्थित चुंदियारी गांव में स्वास्थ्य सेवाओं की जमीनी हकीकत फिर सामने आई है। एक वृद्ध महिला, जो सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हुई थीं, खटिया पर ढोकर अस्पताल पहुंचाई गईं। यह घटना राज्य की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोलने के लिए काफी है।
एंबुलेंस सेवा बनी मज़ाक
जब गांव वालों ने मामले की जानकारी पूर्व विधानसभा प्रत्याशी श्रद्धानंद बेसरा को दी, तो उन्होंने तुरंत सिविल सर्जन, सिमडेगा से संपर्क कर एंबुलेंस भेजने की मांग की। कुछ देर बाद हल्दिबेड़ा गांव के पास तक एंबुलेंस पहुंच भी गई, लेकिन रास्ते में ही एंबुलेंस खराब हो गई। मजबूर होकर ग्रामीणों ने बोलेरो किराए पर लेकर महिला को अस्पताल पहुंचाया।
श्रद्धानंद बेसरा ने कहा:
“ये हाल तब है जब सरकार हर पंचायत में स्वास्थ्य सुविधा और एंबुलेंस सेवा देने की बात करती है। लेकिन हकीकत गांव-गांव खटिया पर मरीज ढोने की है।”
3 महीने में दूसरी बार दोहराया गया खटिया कांड
यह पहली बार नहीं है जब सिमडेगा जैसे जिले से ऐसा मामला सामने आया हो। तीन महीने पहले भी एक मरीज को खटिया पर ले जाने की घटना चर्चा में आई थी। स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी द्वारा हर पंचायत तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने के दावों के बावजूद व्यवस्था जस की तस है।
न्यूज़ देखो: खटिया पर लदी स्वास्थ्य व्यवस्था की सच्चाई
झारखंड के सुदूर इलाकों में एंबुलेंस जैसी बुनियादी सुविधा का अभाव और स्वास्थ्य तंत्र की गैरजिम्मेदारी ने लोगों को आत्मनिर्भर बनने को मजबूर कर दिया है। न्यूज़ देखो पूछता है — आखिर कब तक खटिया ही एंबुलेंस का विकल्प बनी रहेगी? यह सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि राज्य के स्वास्थ्य तंत्र का आईना है।
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