
#पटना #बदलाव_रैली — गांधी मैदान में हुए जनसभा में मात्र 5000 से 7000 लोग पहुंचे, पार्टी ने ट्रैफिक जाम को ठहराया जिम्मेदार
- प्रशांत किशोर ने दावा किया था 10 लाख लोगों के पहुंचने का
- पटना के गांधी मैदान में रैली में दिखी कम भीड़
- पार्टी ने कहा- बिहार में जगह-जगह जाम में फंसे समर्थक
- राजनीतिक विश्लेषकों ने बताया जन सुराज के लिए बड़ा झटका
- बदलाव का बिगुल बजाने की जगह पार्टी को पुनर्मूल्यांकन की जरूरत
गांधी मैदान से बदलाव की शुरुआत का सपना अधूरा
प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने शुक्रवार, 11 अप्रैल को पटना के गांधी मैदान में ‘बदलाव रैली’ का आयोजन किया था। रैली को लेकर कई दिनों से सोशल मीडिया और प्रेस में बड़े-बड़े दावे किए जा रहे थे। प्रशांत किशोर ने कहा था कि यह रैली बिहार में राजनीतिक बदलाव की शुरुआत होगी और गांधी मैदान को लाखों लोगों से भर देंगे।
लेकिन हकीकत कुछ और ही निकली।
कम भीड़, बड़ा सवाल
रैली के दिन गांधी मैदान में महज 5000 से 7000 लोगों की भीड़ नजर आई। जबकि पार्टी का दावा था कि 10 लाख लोग इस रैली में शामिल होंगे। भीड़ की यह संख्या आयोजकों के लिए निराशाजनक साबित हुई।
पार्टी के नेताओं से जब सवाल किया गया कि इतने बड़े दावे के बाद इतनी कम भीड़ क्यों दिखी, तो उन्होंने कहा:
“हमारे हजारों समर्थक रास्ते में ट्रैफिक जाम में फंसे हैं। पुलिस की अनुमति और प्रबंधन की कमी के चलते लोगों को गांधी मैदान पहुंचने में बाधा आई।”
— जन सुराज पार्टी प्रवक्ता
बदलाव की गूंज या राजनीतिक फ्लॉप?
रैली को लेकर माहौल बनाने में जन सुराज सफल रही थी, लेकिन जमीनी हकीकत ने पार्टी के दावों को खोखला साबित कर दिया।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि:
“प्रशांत किशोर एक रणनीतिकार के तौर पर भले ही सफल रहे हों, लेकिन एक राजनीतिक नेता के तौर पर जनता को जोड़े रखने में उनकी पार्टी अब तक नाकाम रही है। गांधी मैदान की रैली इसका उदाहरण है।”
क्या बदलेगी रणनीति?
जन सुराज पार्टी ने बिहार में बदलाव लाने की बात कही थी, लेकिन गांधी मैदान की यह रैली पार्टी को आत्ममंथन करने के लिए मजबूर कर सकती है।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि भीड़ का ना जुटना जनता के विश्वास की कमी को दर्शाता है। अब पार्टी को अपनी रणनीति, नेटवर्क और जमीनी पकड़ पर दोबारा काम करने की आवश्यकता है।
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