
#गढ़वा #मुहर्रमशांतिबैठक : पुलिस, प्रशासन और समाज के प्रतिनिधियों ने मिलकर तय किए दिशा-निर्देश — डीजे पर ध्वनि सीमा का पालन, निर्धारित मार्ग से निकलेगा जुलूस
- मुहर्रम को लेकर जिले के सभी थाना व ओपी परिसर में शांति समिति की बैठक आयोजित
- बैठक में जनप्रतिनिधि, अखाड़ा समिति, डीजे संचालक और सभी समुदाय के लोग रहे शामिल
- डीजे की ध्वनि सीमा और जुलूस के मार्ग को लेकर बनी सर्वसम्मति
- प्रशासन ने सौहार्द और सुरक्षा के लिए साझा जिम्मेदारी का संदेश दिया
जिलेभर में हुई शांति समिति की सक्रिय पहल
गढ़वा जिले में आगामी मुहर्रम पर्व को लेकर सुरक्षा और सौहार्द की तैयारियां तेज हो गई हैं।
सोमवार को सभी थाना और ओपी परिसर में शांति समिति की बैठक आयोजित की गई, जिसमें पुलिस निरीक्षक, थाना प्रभारी, अंचलाधिकारी और बीडीओ की मौजूदगी में जनप्रतिनिधियों, समाज के प्रबुद्धजनों, अखाड़ा समिति और डीजे संचालकों के साथ संवाद किया गया।
पर्व के शांतिपूर्ण आयोजन को लेकर बनी सर्वसम्मति
बैठकों में पुलिस और प्रशासन की ओर से स्पष्ट निर्देश दिए गए कि मुहर्रम के दौरान जुलूस केवल प्रशासन द्वारा निर्धारित मार्ग से ही निकाला जाए।
साथ ही, डीजे का उपयोग करते समय ध्वनि सीमा का सख्ती से पालन करने की बात दोहराई गई, जिस पर उपस्थित सभी पक्षों ने सहमति जताई।
पुलिस पदाधिकारियों ने कहा: “मुहर्रम सभी समुदायों के बीच भाईचारे और समर्पण का प्रतीक है। हम सभी की जिम्मेदारी है कि इसे शांति और गरिमा के साथ मनाएं।”
जनप्रतिनिधियों और आयोजकों ने प्रशासन को दिया भरोसा
सभी मुहर्रम अखाड़ा समिति के सदस्यों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने प्रशासन को भरोसा दिलाया कि वे पूरी जिम्मेदारी से पर्व को शांतिपूर्वक और अनुशासित ढंग से आयोजित करेंगे।
उन्होंने यह भी कहा कि यदि कोई अव्यवस्था की स्थिति उत्पन्न होती है तो वे खुद प्रशासन को सूचना देंगे और सहयोग करेंगे।
न्यूज़ देखो: सौहार्द का पर्व, जिम्मेदारी का भाव
मुहर्रम पर्व हमें अनुशासन, बलिदान और भाईचारे की शिक्षा देता है।
गढ़वा जिले में हुई शांति समिति की बैठकें यह दर्शाती हैं कि समाज, प्रशासन और नागरिक एकजुट होकर त्योहारों को शांतिपूर्वक मना सकते हैं।
‘न्यूज़ देखो’ ऐसे प्रयासों का स्वागत करता है जो सांप्रदायिक सौहार्द और सामाजिक सहयोग की मिसाल पेश करें।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
त्योहार हम सबका है — एकजुटता ही सबसे बड़ी शक्ति
सभी समुदायों के नागरिकों को चाहिए कि वे पर्व के दौरान धैर्य, सहयोग और अनुशासन का परिचय दें।
एकजुटता ही हमारी असली पहचान है, और इसी भावना से हम गढ़वा को शांति और विकास की दिशा में आगे बढ़ा सकते हैं।
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