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श्रावणी मेले में बाबा को अर्पित हो रहा पेड़ा-चूड़ा — देवघर में प्रसाद की खरीदारी में जुटे श्रद्धालु

#देवघर #श्रावणीमेला : बाबा बैद्यनाथ को प्रिय पेड़ा-चूड़ा बना आस्था का प्रतीक — प्रसाद बांटने से मिलती है सुख-शांति की अनुभूति

बाबा धाम में पेड़ा और चूड़ा बना भक्तों की आस्था का केंद्र

श्रावणी मेला 2025 में देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ धाम में भक्तों का उत्साह चरम पर है। भगवान भोलेनाथ को प्रिय पेड़ा और चूड़ा प्रसाद के रूप में चढ़ाने की परंपरा वर्षों से चली आ रही है। सावन के महीने में जलाभिषेक करने आए भक्त बाबा को पेड़ा अर्पित कर अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।

श्रद्धालु न सिर्फ पेड़ा-चूड़ा चढ़ाते हैं, बल्कि उसे अपने घर ले जाकर परिजनों और समाज में बांटते हैं। धार्मिक मान्यता है कि इससे जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आता है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

पौराणिक मान्यता से जुड़ी है पेड़ा अर्पण की परंपरा

वरिष्ठ पुजारी पंडा परिहस्त शास्त्री बताते हैं कि भगवान शिव को पेड़ा अत्यंत प्रिय है। यह परंपरा पौराणिक कथाओं से जुड़ी है, जब भगवान भोलेनाथ माता सती के मायके दक्ष प्रजापति के घर गए थे, तो माता सती ने उन्हें पेड़ा अर्पित किया था।

पंडा परिहस्त शास्त्री ने कहा: “पेड़ा चढ़ाने और प्रसाद रूप में बांटने से पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-शांति आती है।”

पेड़ा का स्वाद विशेष, श्रद्धालुओं की खरीदारी में उत्साह

देवघर के पेड़े की स्वाद, मिठास और बनावट इसे खास बनाती है। स्थानीय दुकानदारों के अनुसार, हर वर्ष सावन में हजारों किलो पेड़ा की बिक्री होती है।

पुजारी केदारनाथ झा ने बताया: “पेड़ा को शिवलिंग पर चढ़ाया जाता है जबकि चूड़ा को भोग के रूप में अर्पित किया जाता है।”

श्रद्धालु मानते हैं कि देवघर का पेड़ा बाबा का आशीर्वाद होता है जिसे अपने साथ ले जाना पुण्यकारी माना जाता है।

भक्तों की आस्था: प्रसाद से पूरी होती हैं मनोकामनाएं

भक्तों का मानना है कि प्रसाद को बांटने से घर-परिवार में सुख-शांति आती है और अधूरे कार्य पूर्ण होते हैं। एक श्रद्धालु ने बताया कि वह हर वर्ष बाबा के दर्शन के बाद पेड़ा-चूड़ा लेकर जाती हैं, और उसके जीवन के कई मुश्किल काम आसानी से सुलझ जाते हैं।

पेड़ा बिक्री से व्यापारी भी गदगद

श्रावणी मेले के दौरान देवघर के पेड़ा विक्रेताओं में भी खासा उत्साह है।

व्यापारी मनोज केसरी, सौरभ केसरी और नरेश यादव ने बताया: “सरकार ने इस बार पेड़ा का रेट 400 रुपये प्रति किलो निर्धारित किया है, उसी दर पर बिक्री हो रही है। पहली सोमवारी को लेकर बिक्री अच्छी रहने की उम्मीद है।”

देवघर की खास पहचान है पेड़ा और चूड़ा

हर वर्ष की तरह इस बार भी देवघर पहुंचने वाले श्रद्धालु पेड़ा और चूड़ा जरूर खरीद रहे हैं। इसे परिवार और समाज के लोगों में प्रसाद के रूप में वितरित करना पुण्य का कार्य माना जाता है।

श्रावणी मेला के दौरान यह प्रसाद बाबा बैद्यनाथ की विशेष कृपा का प्रतीक बन गया है, और हर भक्त इसे लेकर भक्ति, श्रद्धा और विश्वास से ओतप्रोत होकर घर लौटता है।

न्यूज़ देखो: श्रद्धा और परंपरा की मिठास से महकता सावन

न्यूज़ देखो मानता है कि श्रावणी मेले में पेड़ा और चूड़ा की परंपरा केवल प्रसाद की खरीदारी नहीं, बल्कि हजारों वर्षों पुरानी आस्था और सांस्कृतिक पहचान का जीवंत प्रतीक है।

बाबा बैद्यनाथ की नगरी में भक्तों का उत्साह और व्यापारी वर्ग की तैयारी यह साबित करती है कि धर्म, व्यापार और परंपरा एक सुंदर संतुलन के साथ यहां जीवंत है।

हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

आस्था में रचें-बसें, परंपरा को अपनाएं

अगर आप भी बाबा बैद्यनाथ धाम दर्शन के लिए आ रहे हैं, तो पेड़ा और चूड़ा का प्रसाद जरूर लें, और अपने सगे-संबंधियों को बांटें। यह खबर शेयर करें और हमें बताएं कि आपने इस बार कौन-कौन सा प्रसाद लिया और क्या महसूस किया।

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