
#सिमडेगा #संस्कृति_महोत्सव : करवारजोर गांव में इंद मेला पर भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम का हुआ आयोजन – देर रात तक उमड़ी भीड़
- केरसई प्रखंड के करवारजोर गांव में इंद मेला पर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित हुआ।
- राजेश कुमार सिंह ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया।
- थाना प्रभारी शशि शंकर सिंह और पूर्व मुखिया शिशिर मिंज रहे विशिष्ट अतिथि।
- कार्यक्रम में रूपेश बड़ाईक के गीतों ने दर्शकों को झूमने पर मजबूर किया।
- कलाकारों ने लोक-संस्कृति और पारंपरिक गीतों की सुंदर प्रस्तुति दी।
- आयोजन समिति ने कार्यक्रम को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
करवारजोर गांव में शनिवार की रात इंद मेला के अवसर पर पारंपरिक उत्साह और लोक-संस्कृति से भरा माहौल रहा। मंच पर प्रस्तुतियां देखने के लिए आसपास के गांवों से भी लोग पहुंचे। इस कार्यक्रम का उद्देश्य झारखंड की लोक परंपराओं और सामुदायिक एकता को सशक्त बनाना रहा।
उद्घाटन और आयोजन की झलक
कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि राजेश कुमार सिंह, विशिष्ट अतिथि थाना प्रभारी शशि शंकर सिंह, पूर्व मुखिया शिशिर मिंज और पतरस एक्का ने संयुक्त रूप से रिबन काटकर किया।
कार्यक्रम की शुरुआत मां दुर्गा की वंदना से हुई, जिसके बाद स्थानीय गायक रूपेश बड़ाईक ने भक्ति गीतों से वातावरण को भक्तिमय बना दिया।
लोक-संस्कृति को संजोने का संदेश
अपने संबोधन में मजदूर नेता राजेश कुमार सिंह ने कहा कि दीपावली के बाद इस प्रकार के कार्यक्रम लोक-संस्कृति को जीवंत बनाए रखते हैं।
राजेश कुमार सिंह ने कहा: “युवाओं को अपनी परंपरा और सांस्कृतिक धरोहर को बचाने के लिए आगे आना चाहिए।”
उन्होंने समाज में एकता और नशा-मुक्त जीवन का संदेश दिया।
वहीं, थाना प्रभारी शशि शंकर सिंह ने समिति को धन्यवाद देते हुए कहा कि पुलिस हमेशा जनता के सुख-दुख में साथ है और ऐसे आयोजन समाज में शांति बनाए रखते हैं।
कलाकारों की शानदार प्रस्तुति
रातभर चले इस कार्यक्रम में सुहाना देवी, पंचम राम, प्रीति बरला, आनंद केरकेट्टा सहित कई कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियों से लोगों को मंत्रमुग्ध किया। दर्शक देर रात तक तालियों और नृत्य के साथ झूमते रहे।
आयोजन समिति की भूमिका
कार्यक्रम की सफलता में संजय समीर सिंधिया, बीरेंद्र सिंधिया, रविन्द्र बड़ाईक, कृष्णा, भुनेश्वर बेसरा सहित समिति के सभी सदस्यों की सराहनीय भूमिका रही। स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि यह मेला न केवल मनोरंजन का माध्यम है बल्कि सामाजिक एकजुटता का प्रतीक भी है।



न्यूज़ देखो: लोक संस्कृति के संरक्षण का जिंदा उदाहरण
इंद मेला में दिखा समाज की एकता, परंपरा और सहभागिता का अद्भुत संगम। इस तरह के आयोजन ग्रामीण संस्कृति को बचाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
संस्कृति से जुड़ाव ही समाज की पहचान
लोक कला और परंपराओं को जीवंत रखना हर नागरिक की जिम्मेदारी है। ऐसे आयोजनों में शामिल होकर हम अपनी जड़ों से जुड़े रहते हैं।
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